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कोरोनाः यूरोप से भारत बेहतर

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के निदेशक का दावा है कि कोरोना के तीसरे हमले से डरने की जरूरत नहीं है। भारतीय कोवैक्सीन का असर लोगों को काफी सुरक्षा दे रहा है।

Dr. Ved Pratap Vaidik
Written By Dr. Ved Pratap VaidikPublished By Deepak Kumar
Published on: 25 Nov 2021 10:16 AM IST
Corona virus in india
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कोरोनाः यूरोप से भारत बेहतर।

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के निदेशक का दावा है कि कोरोना के तीसरे हमले से डरने की जरुरत नहीं है। भारतीय कोवैक्सीन (Indian Covaxin) का असर लोगों को काफी सुरक्षा दे रहा है। यह तो उनकी तकनीकी राय है लेकिन भारत की आम जनता का बर्ताव भी यही बता रहा है कि उसे अब कोरोना (coronavirus) का डर ज्यादा नहीं रह गया है।

दिल्ली में मैं देख रहा हूं कि नेता लोग बड़ी-बड़ी सभाएं करने लगे हैं, ब्याह-शादियों में सैकड़ों लोग इकट्ठे होने लगे हैं, बाजारों में भीड़ जुटने लगी है और होटलों में लोग खाना भी खाने लगे हैं, लेकिन ज्यादातर लोग न तो मास्क लगा रहे हैं और न ही शारीरिक फासला रख रहे हैं। जिन लोगों ने दो टीके लगवा लिए हैं, वे तो बेफिक्र हो गए हैं। अभी भी 20 करोड़ से ज्यादा टीके अस्पतालों में पड़े हुए हैं। रेलवे स्टेशनों और हवाई अड्डों पर भी भीड़ बढ़ गई है, लेकिन आप जरा यूरोपीय देशों (European countries) का हाल देखें तो आप थर्रा उठेंगे।

यूरोप के जर्मनी (Germany), फ्रांस (france), हालैंड (holland), स्पेन (Spain) आदि देशों में कोरोना (Coronavirus) का हमला तीसरा और चौथा है। वह इतना तेज है कि कुछ राष्ट्रों ने कड़ी तालाबंदी घोषित कर दी है। स्कूल, कालेज, होटल, सभा-स्थल, सिनेमा घर जैसे सब सार्वजनिक स्थल बंद कर दिए हैं। जो कोरोना का टीका नहीं लगवाएगा, उस पर कुछ देशों ने हजारों रुपए का जुर्माना ठोक दिया है। हालैंड (holland) में इतने मरीज बढ़ गए हैं कि उसके अस्पतालों में उनके लिए जगह ही नहीं है। उन्हें बसों और रेलों में लिटाकर जर्मनी ले जाया जा रहा है।

यूरोपीय देश (European Countries) अपने यहां फैली तीसरी और चौथी लहर से इतने घबरा गए हैं कि वे पड़ोसी देशों के नागरिकों को अपने यहां घुसने नहीं दे रहे हैं। अगले कुछ माह में वहां मरने वालों की संख्या 7 लाख तक पहुंचने का अंदेशा है। यूरोपीय महाद्वीप में कोरोना से अगले साल तक शिकार होने वालों की संख्या 22 लाख तक जा सकती है। भारत में कोरोना (Coronavirus in india) से मरने वालों की संख्या 5 लाख के आस-पास है जबकि उसकी आबादी सारे यूरोपीय देशों (European countries) से लगभग दुगुनी है।

भारत (India) के मुकाबले यूरोपीय देश (European Countries) कहीं अधिक साफ-स्वच्छ हैं और वहां चिकित्सा सुविधाएं भी कहीं बेहतर हैं। यूरोपीय देश में शिक्षितों की संख्या भी भारत से ज्यादा है। फिर भी उसका हाल इतना बुरा क्यों हो रहा है? इसका एक मात्र कारण जो मुझे दिखाई पड़ता है, वह यह है कि यूरोपीय लोग अहंकारग्रस्त हैं। वे अपने डॉक्टरों और नेताओं से भी खुद को ज्यादा प्रामाणिक मानते हैं। वे समझते हैं कि दुनिया में सबसे अधिक सभ्य और स्वस्थ कोई हैं तो वे हैं। इसीलिए तालाबंदी और टीके के विरुद्ध वे प्रदर्शन कर रहे हैं, अपने नेताओं को कोस रहे हैं और अपने डाक्टरों के इरादों पर संदेह कर रहे हैं।

क्या भारत में कोई राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष या कोई बड़ा नेता कोरोनाग्रस्त हुआ? नहीं, लेकिन ब्रिटेन और फ्रांस के प्रधानमंत्रियों को नजरबंदी (एकांतवास) झेलनी पड़ गई है। भारत में सत्तारुढ़ और विपक्षी नेता कितनी ही राजनीतिक तू-तू मैं-मैं करते रहें लेकिन कोरोना की महामारी से लड़ने में सब एक थे। भारत की जनता ने महामारी के दौरान अदभुत अनुशासन का परिचय दिया है। वह अब भी सावधान रहे, यह जरुरी है।

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Deepak Kumar

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