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देश के उद्योगों में बढ़ा एआई का प्रयोग, कृत्रिम बुद्धिमत्ता की बोलेगी तूती

raghvendra
Published on: 22 Dec 2017 7:43 AM GMT
देश के उद्योगों में बढ़ा एआई का प्रयोग, कृत्रिम बुद्धिमत्ता की बोलेगी तूती
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निशांत अरोड़ा

बात जब ऐसी तकनीक की आती है, जो जमे-जमाए उद्योग में तूफान मचा दे, तो आने वाले सालों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई यानी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस) की तूती बोलने वाली है और भारतीय कारोबारियों ने विभिन्न उद्योगों में रियल टाइम यूजर्स एक्सपीरिएंस (वास्तविक समय में प्रयोक्ता के अनुभव) को बढ़ाने के लिए इसका इस्तेमाल शुरू भी कर दिया है।

फोरेस्टर के उपाध्यक्ष और प्रमुख विश्लेषक थॉमस हुसोन का कहना है कि एआई की लोकप्रियता दुनियाभर में बढ़ रही है, क्योंकि यह उत्पादकता और व्यापार प्रदर्शन को बढ़ानेवाली कई प्रणालियों में सुधार करता है।

फर्जी और आतंकवाद से जड़ी सामग्रियों को हटाने से लेकर सेल्फ-ड्राइविंग कारों के लिए विशाल आंकड़ों में से काम की जानकारी चुनने से लेकर फेसबुक पर ऐसे लोगों की पहचान करने में जो अवसाद के शिकार हैं या आत्महत्या कर सकते हैं, एआई प्रमुख भूमिका निभा रहा है। यहाँ तक कि नासा भी अपने अंतरिक्ष संचार को मजबूती प्रदान करने तथा नई शोध व छानबीन में एआई का प्रयोग कर रहा है।

एआई आधारित उपकरण तेजी से लोकप्रियता प्राप्त कर रहे हैं और इनका इस्तेमाल दिन ब दिन बढ़ता जा रहा है।

माइक्रोसॉफ्ट ने जलवायु परिवर्तन को कम करने की दिशा में काम कर रहे लोगों के हाथ में एआई प्रौद्योगिकी मुहैया कराने के लिए अगले पांच सालों में 5 करोड़ डॉलर की रकम लगाने का वादा किया है।

बात जब भारत की आती है, तो एआई न सिर्फ स्मार्ट डिवाइसों को विकसित करने में प्रमुख भूमिका निभा रहा है, बल्कि सरकार और कॉरपोरेट दोनों के लिए अपने अंतिम प्रयोक्ता के साथ जुड़ाव बेहतर बनाने में भी प्रमुख भूमिका निभा रहा है। भारतीय रेल, सिग्लन फेल होने की संभावना को खत्म करने के लिए एआई की मदद से रिमोट कंट्रोल मॉनिटरिंग कर रही है। इसमें एआई सिग्नल फेल की संभावना को पहले ही भांप लेता है।

भारत में कई वित्तीय संस्थाओं ने अपनी परिचालन प्रक्रियाओं में एआई का प्रयोग शुरू कर दिया है। एआई की मदद से बैंक चैटबॉट का निर्माण कर रहे हैं, जो ग्राहकों के साथ संवाद करते हैं और मूल्यवान आंकड़ा इकट्ठा करते हैं।

मार्च में अपने लांचिंग के बाद से कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) पर आधारित रोबोट ‘इवा’ का निर्माण एचडीएफसी बैंक ने बेंगलरु की कंपनी सेंसफोर्थ एआई रिसर्च की मदद से किया था। इवा ने अब तक 5,30,000 यूनीक यूजर्स के साथ 12 लाख संवाद किए हैं और करीब 27 लाख पूछताछ का जवाब बड़ी आसानी से दिया है।

प्रमुख एआई बैंकिंग प्लेटफार्म ‘पेजो’ ने भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के लिए एक चैट सहायक ‘सिया’ लांच किया है, जो ग्राहकों की पूछताछ का तुरंत जवाब देती है और रोजना के बैंकिंग कार्यों में किसी बैंक कर्मी की तरह ही उनकी मदद करती है। सिया हर सेकेंड 10,000 और एक दिन में 86.4 करोड़ पूछताछ का जवाब दे सकती है।

घड़ी निर्माता टाइटन ने अपने ई-कॉमर्स स्टोर पर युवाओं से अच्छी तरह संवाद करने के लिए चैटबॉट उतारा है।

जेनपैक्ट के एक अध्ययन के मुताबिक, कंपनियों के 88 फीसदी वरिष्ठ अधिकारियों को यह उम्मीद है कि एआई प्रौद्योगिकी अगले तीन सालों में बेहतर ग्राहक अनुभव मुहैया कराएगी।

सिट्रिक्स के उपाध्यक्ष और कंट्री प्रमुख (भारतीय उपमहाद्वीप) मकरंद जोशी ने आईएएनएस को बताया, ‘भारतीय व्यवसाय आज सक्रिय रूप से प्रक्रियाओं को सुचारु बनाने के लिए एआई और मशीन लर्निंग एल्गोरिदम की तरफ देख रहे हैं। व्यापार एआई का प्रतिस्पर्धी लाभ हासिल करने और वैश्विक अर्थव्यवस्था में लाभप्रदता बढ़ाने के लिए उपयोग कर रहे हैं।’

घरेलू आर्थिक बदलाव के लिए एआई को काम में लाने की संभावनाओं का पता लगाने के लिए वाणिज्य मंत्रालय ने अगस्त में एक 18 सदस्यीय कार्यबल का गठन किया था, जो विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए एआई का लाभ उठाने की संभावनाओं का पता लगाएगा।

एआई के उभरते क्षेत्र में युवाओं को तत्काल प्रशिक्षित करने की जरूरत को समझते हुए इंटेल इंडिया ने 40 ऐसी शिक्षण संस्थानों से भागीदारी की है, जो इस प्रौद्योगिकी का प्रयोग वैज्ञानिक शोध में कर रहे हैं। इसके अलावा इंटेल इंडिया ने 50 निजी और सरकारी संस्थानों से साझेदारी की है, जिसमें ई-कॉमर्स, हेल्थकेयर, प्रौद्योगिकी, रक्षा, बैंकिंग और वित्तीय सेवा क्षेत्र के संस्थान शामिल हैं। कंपनी ने इस साल एआई के क्षेत्र में 90 संस्थानों के 9,500 डेवलपरों, छात्रों और प्रोफेसरों को प्रशिक्षित किया है।

इंटेल के डेटा सेंटर समूह के डेटा वैज्ञानिक (एआई और विश्लेषण) बॉब रोगर्स के अनुसार, ‘एआई की क्षमताओं की मदद से मनुष्य हेल्थकेयर, बैंकिंग और वित्त, परिवहन, ऊर्जा और रोबोटिक्स के क्षेत्र में बेहद कम समय में बहुत सारे असाधारण काम निपटा सकता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि समय के साथ एआई किस रूप में विकसित होता है।’

गूगल ने भी देश में एआई के क्षेत्र में लर्निंग प्लेटफार्म प्लूरलसाइट और शैक्षणिक संस्थान यूडासिटी के साथ मिलकर 1.3 लाख डेवलपरों और छात्रों के लिए एक नए छात्रवृत्ति कार्यक्रम की घोषणा की है। इस छात्रवृत्ति से छात्रों को उन्नत शैक्षणिक पाठ्यक्रम तक पहुंच हासिल करने में मदद मिलेगी, जिससे एआई समेत अन्य उभरती तकनीकों के क्षेत्र में उन्हें रोजगार मिलने की संभावना बढ़ेगी।

देश में एआई को न सिर्फ बड़ी कंपनियां अपना रही हैं, बल्कि छोटी और मझोली कंपनियां (एसएमबी) भी इसका प्रयोग कर रही हैं।

एचपी इंक के मुख्य इंजीनियर चंद्रकांत पाटिल ने बताया, ‘एआई जैसी प्रौद्योगिकी न सिर्फ भारत में आपूर्ति मांग की खाई को पाटने में बड़ी भूमिका निभा सकती है, बल्कि ग्रामीण आबादी को भी सशक्त बनाने में बड़ी भूमिका निभा सकती है, जहां स्वास्थ्य और शिक्षा सुविधाओं का घोर अभाव है। इसे करने के लिए, सबसे पहले हर किसी को एक-दूसरे से तकनीक के माध्यम से जोडऩा होगा।’

साल 2017 में फेसबुक और ट्विटर ने अपने प्लेटफार्म पर फर्जी खबरों और आंतकवाद से जुड़ी सामग्रियों से निपटने के लिए एआई की तैनाती की। कई कार निर्मात सेल्फ-ड्राइविंग वाहन के विकास में एआई प्रौद्योगिकी का प्रयोग कर रहे हैं। भारतीय बैंकों ने एआई की मदद से चैटबॉट बनाया है।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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