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Bihar News: कौन करेगा उद्धार, देश के उत्थान में आगे बिहारीजन, क्यों अपने प्रदेश में ही गए पिछड़
Bihar News: भारत सरकार के किसी भी उच्च पद पर, यथा - चुनाव आयोग अधिकारी, प्रशासनिक अधिकारी, देश और विदेश में वैज्ञानिक, डॉक्टर, इंजीनियर आदि के पद पर शोभायमान बिहारियों की कार्यकुशलता सर्वोपरी है।
Bihar News (Image From Social Media)
Bihar News: माँ सरस्वती एवं माँ लक्ष्मी के आशीर्वाद से युक्त बिहार, अखंड भारत का सर्वाधिक संपन्न प्रदेश हुआ करता था। यह प्रदेश संपूर्ण विश्व की ज्ञानस्थली एवं कर्मस्थली था। आज भी बिहारीजन पर माँ सरस्वती का आशीर्वाद पूर्व की भांति यथावत है। भारत सरकार के किसी भी उच्च पद पर, यथा - चुनाव आयोग अधिकारी, प्रशासनिक अधिकारी, देश और विदेश में वैज्ञानिक, डॉक्टर, इंजीनियर आदि के पद पर शोभायमान बिहारियों की कार्यकुशलता सर्वोपरी है।
सभी भारतीयों के हृदय में एक टीस व्याप्त है कि जहाँ बिहारियों ने देश के उत्थान के लिए इतना कुछ किया, वहीं वे स्वयं के प्रदेश हेतु, क्यों कुछ भी करने में असमर्थ रहे, यह एक यक्ष प्रश्न है, जिसके लिए सभी निरूत्तर है। परन्तु यह अत्यन्त दुख का विषय भी है।
विगत 20 वर्षों से नीतीश कुमार, बिहार में मुख्यमंत्री के पद पर कार्यरत् रहे हैं। उन्हें, जनता ने, पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव के कुशासन से मुक्ति दिलाने हेतु गद्दी पर बैठाया था। लालू यादव का कुशासन स्मरण करने योग्य नहीं है, परन्तु वर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी बिहार की जनता को निराशा के अतिरिक्त कुछ नहीं दे पाए है। वर्ष 2005 में जब वे प्रथम बार मुख्यमंत्री बने थे, तो बिहार में गरीबी का अनुपात 1ः3 था अर्थात उस समय 33 प्रतिशत जनता निर्धन थी, परंतु वर्तमान समय में यह अनुपात बढ़कर 1ः2 हो गया है अर्थात वर्तमान में वहाँ की लगभग आधी जनता निर्धन है और बिहार, भारत का सर्वाधिक गरीब प्रदेश बन गया है।
आज बिहार की स्थिति यह है कि वहाँ पर कोई भी उद्योगपति अपना उद्योग प्रारम्भ नहीं करना चाहता, शिक्षाविद् वहाँ पर उच्च शिक्षण संस्थान खोलना नहीं चाहते। इसके अतिरिक्त वहाँ की यातायात व्यवस्था, चिकित्सा की स्थिति बदतर है तथा भ्रष्टाचार सर्वव्याप्त है।
नीतीश कुमार की स्थिति यह है कि वे अपनी राजगद्दी की रक्षा, किसी भी सीमा तक करने हेतु तत्पर रहते हैं, फिर उसके लिए चाहें उन्हें किसी भी सिद्धांत अथवा सम्मान की बलि देनी पड़ जाए। इन्हीं कारणों से आज देश में उनकी छवि पलटूराम के रूप में स्थापित हो चुकी है।
बिहार प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव सितंबर या अक्टूबर, 2025 में होंगे। अब भाजपा का पूर्ण प्रयास यह होना चाहिए कि यदि बिहार को एक प्रगतिशील प्रदेश बनाना है तो सर्वप्रथम पलटूराम की राजनीति को समाप्त करना होगा। अब बिहार की जनता के हितार्थ भाजपा नेतृत्व के द्वारा कुछ कठोर कदम उठाने होंगे।
भाजपा को अपनी रणनीति पूर्ण विवेक के साथ बनानी होगी, क्योंकि दो दलों की साझा सरकार कभी भी बिहार के उत्थान हेतु कार्य नहीं कर पायेगी। दूसरी ओर, लालू यादव और उनके सुपुत्र तेजस्वी यादय के शासन की कुनीतियों को अभी तक जनता विस्मृत नहीं कर पाई है। उनके शासन में जनता के हृदय में इतना अधिक भय व्याप्त था कि उद्योगपति अथवा निवेशक अपने किसी भी कार्य को स्थायी रूप से स्थापित करने से बचते थे। इतना ही नहीं अपने पूर्व स्थापित उद्योगों को भी छोड़कर अपनी जीवन रक्षा हेतु पलायन करते थे। बिहार की संपूर्ण राजनीति में भ्रष्टाचार व्याप्त था। पुलिस का उत्पीड़न चरमसीमा पर था, प्रशासनिक अधिकारी एक दास की भांति कार्यरत थे। बिहार में सर्वत्र एकतंत्र शासन था।
जब-जब बिहार की जनता जाग्रत हुई है तब-तब परिवर्तन आया। जनता की चेतना का ही परिणाम था कि लालू यादव का शासन समाप्त हो गया। बिहार की जनता अब पुनः अवश्य ही जाग्रत होगी और नीतीश का शासन भी समाप्त होगा। ऐसा होने के पश्चात बिहार में एक ईमानदार, लोकतंत्र व संविधान में विश्वास करने वाली सरकार की स्थापना अवश्य ही होगी, जोकि बिहार प्रदेश की प्रगति में जी-जान से कार्य करगी। सम्पूर्ण भारत की जनता को ऐसी आशा ही नहीं अपितु पूर्ण विश्वास है। बस प्रतीक्षा है कि कोई भ्रष्टाचार मुक्त सरकार, बिहार की राजगद्दी पर विराजित हो।
योगेश मोहन