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समान होते हुए भी अंतर गहरा है नेहरू और मोदी के राहत कोष में

लेकिन समान लक्ष्यों के बावजूद। मोदी का पीएम केयर्स कई मायनों में पीएमएनआरएफ के मुकाबले वर्तमान की कोरोनावायरस महामारी और भविष्य की चुनौतियों से निपटने में कहीं अधिक संवैधानिक और लोकतांत्रिक दिखाई देता

राम केवी
Published on: 27 April 2020 11:59 AM GMT
समान होते हुए भी अंतर गहरा है नेहरू और मोदी के राहत कोष में
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पीएम केयर्स

रामकृष्ण वाजपेयी

कोरोना महामारी के काल में एक सवाल गाहे बगाहे उठ रहा है कि जवाहरलाल नेहरू के प्रधानमंत्री नेशनल रिलीफ फंड मोदी के पीएम केयर में मूलभूत अंतर क्या है। क्यों इसकी जरूरत महसूस की गई। कांग्रेस इस पर असहज क्यों हुई। क्या पीएम केयर अधिक लोकतांत्रिक है।

इन दोनो कोष में पहले वाले यानी नेहरू के प्रधानमंत्री नेशनल रिलीफ फंड की शुरुआत 1948 में भारतीय संसदीय व्यवस्था के जन्म से पहले और भारतीय संविधान के अस्तित्व में आने से पहले हुई थी। जबकि मोदी के पीएम केयर की शुरूआत कोरोनावायरस महामारी और सरकार के द्वारा लागू लॉकडाउन से उत्पन्न हालात में हुई है। अगर दोनो में साम्य की बात करें तो यही साम्य है। पहले वाले कोष की शुरुआत 1947 के विभाजन से उत्पन्न हालात में हुई थी।

दो कोष अंतर बहुत अधिक

कई मामलों में 1948 में नेहरू द्वारा शुरू किया गया प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष और 2020 में मोदी द्वारा शुरू किया गया प्रधानमंत्री सिटीजंस असिस्टेंस एंड रिलीफ इन इमरजेंसी सिचुएशन्स (पीएम केयर्स) कोष व्यापक अर्थों में एक ही अर्थ का बोध करा रहा है। दोनो का उद्देश्य दुख और विनाश से बचने के लिए अनकही आपदाओं के मानव जाति पर पड़ने वाले विनाशकारी प्रभावों को कम करने के लिए संसाधन जुटाना है।

लेकिन समान लक्ष्यों के बावजूद। मोदी का पीएम केयर्स कई मायनों में पीएमएनआरएफ के मुकाबले वर्तमान की कोरोनावायरस महामारी और भविष्य की चुनौतियों से निपटने में कहीं अधिक संवैधानिक और लोकतांत्रिक दिखाई देता है।

नेहरू के कोष में प्रबंध समिति थी

प्रधानमंत्री नेशनल रिलीफ फंड 1985 तक जैसा नेहरू ने परिकल्पित किया था एक प्रबंध समिति द्वारा संचालित किया जाता रहा जिसमें भारत के निजी व्यापार क्षेत्र के प्रतिनिधि भी शामिल थे।

केवल प्रधानमंत्री फैसला लेता था

लेकिन 1985 में जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे, फंड का प्रबंधन पूरी तरह से प्रधानमंत्री को सौंप दिया गया। तब से, पीएमएनआरएफ के फंड का प्रबंधन करने के लिए सचिव नियुक्त करना भी प्रधानमंत्री के विवेक पर निर्भर हो गया। पीएमएनआरएफ के प्रबंधन के लिए कोई अलग कार्यालय या कर्मचारी भी आवंटित नहीं था। इस फंड का प्रबंधन करने के लिए कोई अलग से पारिश्रमिक भी नहीं दिया जाता था। पीएमएनआरएफ के तहत, पैसे के वितरण और लाभार्थियों का चयन पूरी तरह से प्रधानमंत्री के विवेक और प्रधानमंत्री के निर्देशों पर निर्भर था।

व्यापक हुई निर्णय की प्रक्रिया

मोदी का पीएम केयर्स सरकार के तीन अन्य मंत्रियों को विचार-विमर्श और निर्णय लेने की प्रक्रिया में शामिल करता है, जो सबसे महत्वपूर्ण विभागों को संभालते हैं। ट्रस्ट की अध्यक्षता करने वाले मोदी के अलावा, उनके ये शीर्ष तीन मंत्री गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी इसमें शामिल हैं। अध्यक्ष के रूप में मोदी अपने मंत्रियों की सिफारिशों का अनुमोदन और धनराशि जारी करने के लिए अधिकृत हैं।

अब प्रधानमंत्री राहत कोष प्रधानमंत्री की मर्जी का गुलाम नहीं है। मोदी ने पीएम CARES के निर्माण के साथ महत्वपूर्ण फंड पर अपने स्वयं के कार्यालय की शक्तियों को कम कर दिया है। हालांकि पीएम केयर्स के तौर-तरीके और संचालन की रूपरेखा अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष को भी भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) द्वारा ऑडिट करने की अनुमति नहीं है।

रामचंद्र गुहा की प्रतिक्रिया

वर्तमान संकट में पूर्व-संवैधानिक दिनों के एक नेहरूवादी अवशेष को बदलने का कदम बहुतों को रास नहीं आया।

इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने पीएम केयर्स बनाने की आवश्यकता पर सवाल उठाते हुए सोशल मीडिया पर कहा कि जब मौजूदा पीएमएनआरएफ का इस्तेमाल पैसा इकट्ठा करने के लिए किया जा सकता था

गुहा ने सोशल मीडिया पर कहा कि पीएम केयर्स एक "आत्म-आक्रामक नाम" है और एक बड़ी राष्ट्रीय त्रासदी का इस्तेमाल व्यक्तिगत एजेंडा को बढ़ाने के लिए किया जा रहा है।"

शशि थरूर क्या बोले

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा, केवल एक अलग सार्वजनिक धर्मार्थ ट्रस्ट बनाने के बजाय प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोश को पीएम केयर्स कर दिया गया, जिसके नियम और व्यय पूरी तरह से अपारदर्शी हैं? क्या पीएम मोदी इस अत्यधिक असामान्य कदम के लिए देश को स्पष्टीकरण देंगे।

पीएमओ का बयान

लेकिन मोदी प्रशासन आलोचना से पूरी तरह बेपरवाह रहा। अलबत्ता प्रधानमंत्री कार्यालय के एक संयुक्त सचिव ने कहा है कि यह पीएमएनआरएफ की तरह प्रशासित किया जाएगा और सूक्ष्म दान भी स्वीकार किए जाएंगे। हमारा फ़ोकस महामारी से लड़ने और विभिन्न मोर्चों पर चुनौतियों का सामना करने के लिए सभी संसाधनों को केंद्रित करने पर है। यह सामूहिक कार्रवाई के लिए एक आह्वान है और हमारा अनुभव बताता है कि जब भी ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई है, समाज के सभी वर्गों ने उदारता से दान दिया है।

भाजपा सांसद

भाजपा सांसद राकेश सिन्हा ने भी कहा है कि पीएम केयर्स लोगों को आश्वासन देता है कि उनके द्वारा योगदान किए गए धन का उपयोग पूरी तरह से कोरोनावायरस से लड़ने के लिए किया जाएगा। इस बिंदु पर, पीएम केयर्स न केवल महामारी के शिकार लोगों के लिए, बल्कि उन लोगों के लिए भी एक महत्वपूर्ण कदम है, जिनके जीवन में लॉकडाउन का प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।

राम केवी

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