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Devi Patan Temple: नाथ योगियों की शक्ति आराधना और योगी आदित्यनाथ

माँ पाटेश्वरी के चरण पखार कर पूजा अर्चना कर कलश स्थापना करने के पश्चात दुर्गा सप्तशती का पाठ भी किया। इस पीठ का नाथ संप्रदाय से विशेष संबंध रहा है ।

Dr. Arun Kumar Tripathi
Written By Dr. Arun Kumar TripathiPublished By Monika
Published on: 3 April 2022 9:49 AM GMT
Devi patan Temple Balrampur
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माँ पाटेश्वरी की पूजा (फोटो : सोशल मीडिया ) 

योगी आदित्यनाथ का शक्ति की साधना नाथ पंथ के योगी शिव के साथ-साथ शक्ति की आराधना में भी रत रहते हैं। यही कारण है कि नाथ पंथ के साधक योगी आदित्यनाथ दोबारा मुख्यमंत्री बनने के बाद नवरात्रि के पहले दिन बलरामपुर स्थित देवीपाटन मंदिर के गर्भ गृह में माँ पाटेश्वरी के चरण पखार कर पूजा अर्चना किए। तथा वहाँ पर कलश स्थापना करने के पश्चात दुर्गा सप्तशती का पाठ भी किया। इस पीठ का नाथ संप्रदाय से विशेष संबंध रहा है । पाटेश्वरी पीठ की स्थापना नाथ संप्रदाय के महायोगी गुरु गोरक्षनाथ ने की थी। दक्ष के यज्ञ के विनाश के बाद सती के प्राणरहित शरीर को लेकर महादेव जी के गमन करते समय देवी पार्वती जी का वामस्कंध का पट अर्थात वस्त्र पुण्य क्षेत्र पाटन में गिरा इसीलिए क्षेत्र का नाम पाटन पड़ा। इस संदर्भ में श्लोक प्रचलित है कि...

पटेन सहितः स्कन्धः पपात यत्र भूतले ।

तत्र पाटेश्वरी नाम्ना, ख्यातिमाप्ता महेश्वरी ।।

पाटन भारत नेपाल की सीमा पर स्थित है यहां पर नाथ पंथ के आदि गुरु गोरक्षनाथ ने वर्षों तप किया था और पाटेश्वरी पीठ की स्थापना की थी। इसका उल्लेख देवीपाटन में उपलब्ध 18 74 ई. के शिलालेख में किया गया है-

महादेवसमाज्ञाप्तः सतीस्कन्धविभूषिताम्।

गोरखनाथ योगीन्द्रस्तेन पाटेश्वरीमठम्।।

आज पाटन के इस पाटेश्वरी मंदिर के पीठाधीश्वर गोरखनाथ मंदिर के द्वारा नियुक्त मिथिलेश नाथ योगी हैं। आज भी इस मंदिर की व्यवस्था नाथ पंथ के ही देखरेख में संचालित होती है ।

पाटेश्वरी देवी के अतिरिक्त अनेक शक्तिरुपी देवियों से भी नाथ पंथ का संबंध रहा है। इनमें हिमाचल प्रदेश में स्थित कांगड़ा के ज्वाला देवी मंदिर का नाम विशेष रूप से लिया जाता है। महायोगी गुरु श्री गोरक्षनाथ हिमाचल प्रदेश में स्थित कांगड़ा नामक स्थान पर ज्वाला देवी के दर्शन करने पहुंचे। देवी ने उन्हें वही ठहरने की प्रेरणा दी, इस पर उन्होंने कहा कि आप के स्थान पर तामसी पदार्थों का भोग लगता है , हमारे लिए यहां सात्विक आहार ग्रहण की व्यवस्था नहीं हो सकती है। विशेष आग्रह पर गोरखनाथ ने कहा कि आप चूल्हा जलाकर खिचड़ी के लिए पात्र में जल गर्म करने हेतु रख दें , मैं अभी भिक्षा माँगकर लाता हूँ। इस पर देवी ने पात्र में जल भरकर आग पर चढ़ा दिया , देवी का चूल्हा आज भी जल रहा है लेकिन जल ठंडा ही रहता है । गोरखनाथ जी उस स्थान पर आज तक नहीं पहुँच सके । वे भ्रमण करते हुए गोरखपुर आ पहुँचे जो उन्हीं के नाम से लोक में विख्यात है। गोरखपुर की आरण्यक, हरियाली और प्राकृतिक रमणीयता को देखकर, गोरखनाथ जी ने इस स्थान को अपनी तपस्थली का रूप प्रदान कर तपस्या में रत हो गए। श्रद्धालु जनता ने उनके खप्पर को खिचड़ी में भरने का प्रयास किया, पर वह नहीं भरा जा सका। इसी चमत्कारी घटना का स्मृति में गोरखनाथ मंदिर में प्रत्येक वर्ष मकर संक्रांति के अवसर पर विशाल खिचड़ी मेला का आयोजन होता है। गोरखपुर में गोरखनाथ मंदिर में महायोगी गोरखनाथ की भव्य प्रतिमा प्रतिष्ठित है जिसकी पूजा की जाती है। महायोगी गुरु गोरखनाथ मंदिर नाथ योगियों संत महात्माओं की आराधना का केंद्र है। यही कारण है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी नवरात्रि में विशेष पूजा का विधान करते हैं।

लेखक साहित्यकार एवं शिक्षाविद्

Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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