×

TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

Diwali 2022: आत्मनिर्भर भारत बनाने का संकल्प लेने का पर्व दीपावली

Diwali 2022: भारतीय संस्कृति में कार्तिक माह में मनाए जाने वाले पांच दिवसीय दीपावली पर्व का विशेष महत्व है।

Mrityunjay Dixit
Published on: 22 Oct 2022 2:11 PM IST
Deepotsav 2022
X

Deepotsav 2022 (Pic: Social Media)

Diwali 2022: भारतीय संस्कृति में कार्तिक माह में मनाए जाने वाले पांच दिवसीय दीपावली पर्व का विशेष महत्व है। यह एक ऐसा अनूठा पर्व है , जो जीवन के दो महत्वपूर्ण पक्षों धर्म तथा अर्थ का संगम है। हिन्दू समाज का जन जन आर्थिक उन्नयन के लिए इस पर्व की गतिविधियों से आच्छादित है । पांच दिन के पर्व में प्रत्येक दिन का एक विधान है, एक कथा है, आर्थिक- सामाजिक- धार्मिक – आध्यात्मिक महत्व है। पर्व का प्रारंभ तो कई दिन पूर्व स्वच्छता के व्यापक अभियान से हो जाता है घर, व्यावसायिक प्रतिष्ठान, कार्यालय सभी जगह सफाई, रंग रोगन, नई साज सज्जा होने लगती है।

त्रेता युग में दीपावली यानी कार्तिक अमावस्या के दिन भगवान श्री रामचंद्र 14 वर्ष का वनवास पूरा करके तथा श्रीलंका के राक्षसराज रावण का वध करके अयोध्या वापस आये थे। तब अयोध्या वासियों ने राम के स्वागत पर दीपमालाएं जलाकर महोत्सव मनाया था। द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को अत्याचारी राक्षस नरकासुर का वध किया था। इस नृशंस राक्षस के वध से आम जन को अपार हर्ष हुआ था और उसने दीप जलाकर उत्सव मनाया था । पौराणिक ग्रंथों के अनुसार भगवान विष्णु ने इसी दिन नरसिंह का रूप धारण करके हिरण्यकश्यप का वध किया था तथा इसी दिन समुद्र मंथन से श्री लक्ष्मी जी प्रकट हुई थीं । यही कारण है कि दीपावली के दिन धन की देवी श्री लक्ष्मी की विशेष पूजा का विधान है कार्तिक कृष्ण पक्ष त्रयोदशी को समुद्र मंथन से ही धन्वंतरि का आविर्भाव हुआ है अतः त्रयोदशी को भगवान धन्वंतरि की पूजा करते हैं यह दिन आरोग्य का दिन है ।

दीपावली शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के दो शब्दों दीप अर्थात दीया और श्रृंखला के मिश्रण से हुई है। दीपावली पर्व का उल्लेख पद्म पुराण और स्कंद पुराण में मिलता है। 7वीं शताब्दी के संस्कृत नाटक नागानंद में राजा हर्ष ने इस पर्व को प्रतिपादुत्सव कहा है जिसमें दिये जलाये जाते थे। 9वीं शताब्दी में राजशेखर ने काव्य मीमांसा में इसे दीपमाला कहा है।

दीपावली वस्तुतः पांच पर्वों का समूह है। दीपावली से दो दिन पूर्व धनतेरस का पर्व आता है। धनतेरस का दिन व्यावसयिक जगत के लिए वर्ष का सर्व महत्वपूर्ण दिन है क्योंकि इस दिन लोग वस्त्र, आभूषण, बर्तन, नया अन्न, कुछ भी खरीदना नहीं छोड़ते, अपार जन समूह खरीदारी के लिए उमड़ पड़ता है।। इस दिन तुलसी या घर के द्वार पर एक दीपक जलाया जाता है। दीपावली का दूसरा दिन नरक चतुर्दशी का है। इसका उत्तर भारत में छोटी दीपावली भी कहते हैं मान्यता है कि इस दिन तक घर की सफाई का काम पूरा हो जाना चाहिए और लक्ष्मी जी के स्वागत की तैयारियां प्रारंभ कर देनी चाहिए । दक्षिण तथा पूर्वोत्तर प्रान्तों में इसी दिन पटाखे जलाए जाते हैं ।तीसरा दिन यानी कार्तिक अमावस्या दीपावली का प्रमुख दिन है। इस दिन श्री लक्ष्मी व गणेश जी की पूजा का विधान है। माती के बने नये गणेश - लक्ष्मी घर लाए जाते है तथा उनकी पूजा की जाती दीपावली का पूजन सनातन परम्परा के अनुसार ही किया जाता है । दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा का विधान है , इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर रख लिया था और ब्रजवासियों की भारी वर्षा से रक्षा की थी। पांचवें दिन भाई दूज का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। इसे यम द्वितीया भी कहते हैं। इस दिन बहन अपने भाई के तिलक लगाकर उसके लिए मंगल की कामना करती है।

दीपावली और गाय का महत्व - दीपावली पर्व में पांच दिनो में गौ से सम्बन्धित तीन प्रमुख व्रत पर्व और उत्सव भी होते हैं जिसमें गौवस्त द्वादषी, गोविरात्र ओैर गोवर्धन पूजा। दीपावली का पर्व गौ -उपासना से भी जुड़ा हुआ है, जुड़ता भी क्यों न जहां दीपावली भारतीय संस्कृति एवं हिन्दू धर्म का सबसे बड़ा पर्व है तो हमारी गाय भी इस संस्कृति एवं धर्म की अभिन्न अंग है। भारतीय संस्कृति में गाय को माता के समान प्रतिष्ठा प्रदान की गयी है। उसे लक्ष्मी रुद्राणी ब्रह्माणी आदि देवियों के समकक्ष माना गया है। भविष्य पुराण स्कन्द पुराण महाभारत आदि में गाय के सभी अंगों में देवताओं का निवास कहा गया है। अतः दीपावली के पावन अवसर पर हम सभी को गाय की सुरक्षा का भी संकल्प लेना चाहिए



\
Jugul Kishor

Jugul Kishor

Content Writer

मीडिया में पांच साल से ज्यादा काम करने का अनुभव। डाइनामाइट न्यूज पोर्टल से शुरुवात, पंजाब केसरी ग्रुप (नवोदय टाइम्स) अखबार में उप संपादक की ज़िम्मेदारी निभाने के बाद, लखनऊ में Newstrack.Com में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। भारतीय विद्या भवन दिल्ली से मास कम्युनिकेशन (हिंदी) डिप्लोमा और एमजेएमसी किया है। B.A, Mass communication (Hindi), MJMC.

Next Story