×

प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना बदलेगी घरेलू प्रदूषण की तस्वीर

raghvendra
Published on: 25 Jan 2019 3:18 PM IST
प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना बदलेगी घरेलू प्रदूषण की तस्वीर
X
मोदी सरकार के चार साल : वेबसाइट पर उपलब्धियों का बखान

घरेलू वायु प्रदूषण के खतरे बढ़ते जा रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ पर्यावरण कार्यक्रम द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार घरेलू वायु प्रदूषण का बाहरी वायु प्रदूषण में 22 से 52 प्रतिशत तक का योगदान हो सकता है। इससे साफ है कि भारत, जहां घरेलू वायु प्रदूषण एक बड़ी समस्या है, से निपटने के प्रभावी उपाय ढूँढने होंगे।

देश में सफलता की इबारत लिख चुकी प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई में एनडीए सरकार द्वारा उठाया गया एक ऐसा ही कदम है। इस योजना का उद्देश्य घरेलू वायु प्रदूषण को कम करना है। लान्सेट, इंडियन कॉउन्सिल ऑफ मेडिकल रिसर्च व अन्य के सहयोग से ‘द इंडियन स्टेट लेवल डिजीज बर्डेन इनीशिएटिव नामक एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में घरेलू वायु प्रदूषण के स्तर में थोड़ी कमी आई है। यह सुखद है लेकिन, इसी रिपोर्ट के अनुसार भारत में वर्ष 2017 में वायु प्रदूषण से मरने वालों की तादाद 12,24000 रही जो देश में उसी वर्ष हुई कुल मौतों का 12.5 प्रतिशत था। इनमें से 6,70000 लोगों की मौत बाहरी वायु प्रदूषण जबकि 4,80000 मौतें घरेलू वायु प्रदूषण से हुईं।

रिपोर्ट बताती है कि यदि देश में वायु प्रदूषण कम हो जाये तो लोगों की जीवन प्रत्याशा में 1.7 वर्ष की वृद्धि हो सकती है। परन्तु, स्थिति इतनी भयावह है कि लगभग 77 प्रतिशत लोग भारत में तयशुदा मानक 40 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर पीएम 2,5 से ज्यादा सघनता वाली हवा में साँस लेने को मजबूर हैं। राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में दिल्ली की हवा में पीएम 2.5 कणों की सघनता सबसे ज्यादा है। वहीं, उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा के साथ ही राजस्थान, झारखण्ड, पश्चिम बंगाल में भी इन कणों की सघनता तयशुदा मानक से काफी अधिक है। जाहिर है कि घरेलू वायु प्रदूषण एक बड़ी समस्या बन गया है जिसकी मुख्य वजह घरेलू ईंधन के तौर पर लकड़ी, कोयला, खेती और पशुओं के मल से पैदा हुए अवशेषों का इस्तेमाल किया जाना है। भारत में अभी भी लगभग 56 प्रतिशत घरों में जलावन के लिए परम्परागत साधनों का ही इस्तेमाल होता है। वहीं, झारखण्ड, बिहार और ओडीशा के मामले में यह आंकड़ा 75 प्रतिशत तक पहुँच जाता है।

महिलाओं को केन्द्र में रखकर 1 मई 2016 को शुरू की गई प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत मार्च 2019 तक 5 करोड़ एलपीजी कनेक्शन बांटा जाना तय किया गया था। योजना की लोकप्रियता के कारण इस लक्ष्य को समय से आठ महीने पूर्व ही यानी अगस्त 2018 में ही पूरा कर लिया गया। अब सरकार ने इस योजना के अन्तर्गत हर गरीब परिवार को लाने का फैसला किया है।

केन्द्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना की शुरुआत के पूर्व देश में एलपीजी इस्तेमाल करने वाले घरों का प्रतिशत 62 था जो लगभग 6 करोड़ नए कनेक्शन के साथ अक्टूबर २०१८ में बढक़र 88. 5 प्रतिशत हो गया। अब सरकार द्वारा इसकी पहुँच सभी गरीब परिवारों तक बनाने के उद्देश्य के साथ देश के सभी घरों को एलपीजी सुविधा प्रदान करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। एलपीजी की लागत में लगातार हो रही वृद्धि के कारण लाभार्थियों को रीफिलिंग पर आने वाली खर्च का एकमुश्त भुगतान करने में कठिनाई होती है जिससे वे इस सुविधा का समुचित इस्तेमाल नहीं कर पाते। वहीं, बिना किसी लागत के ईंधन की उपलब्धता भी एलपीजी के इस्तेमाल को बढ़ावा देने में एक बड़ा रोड़ा है।

राकेश रंजन

raghvendra

raghvendra

राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

Next Story