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Dr. ved pratap vaidik: क्या बहरे हुए ईश्वर-अल्लाह?

Dr. Ved Pratap Vaidik: कोई भी धार्मिक जुलूस बिना सरकारी अनुमति के नहीं निकाले जाएं।

Dr. Ved Pratap Vaidik
Published on: 21 April 2022 10:44 AM IST
Dr ved pratap vaidik coloumn
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धार्मिक जुलूस बिना सरकारी अनुमति के नहीं निकाले जाएं (Social media)

Dr. Ved Pratap Vaidik: उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह अच्छी पहल की है कि सभी धार्मिक जुलूस बिना सरकारी अनुमति के नहीं निकाले जाएं। उन्होंने दंगाइयों के अवैध मकान गिराने की जो पहल की थी, उसका अनुकरण भी कई राज्य कर रहे हैं। अब इस नई पहल को भी सभी राज्यों में क्यों नहीं लागू किया जाना चाहिए? कई बार ऐसा होता है कि दो धर्मों के त्यौहार एक ही दिन आ जाते हैं।

ऐसे में दोनों के जुलूसों में लट्ठ बजने लगते हैं। वे उस त्यौहार को भूल जाते हैं। वे भक्त के वेश में जानवरपना करने लगते हैं। जब तक पुलिसवाले पहुंचें, तब तक तोड़-फोड़, मारपीट और खून-खराबा शुरु हो जाता है। अगर जुलूसों के लिए पहले से अनुमति का प्रावधान कड़ाई से लागू हो तो उसमें हथियार और डंडे वगैरह ले जाने पर प्रतिबंध रहेगा और पुलिस पहले से सचेत रहेगी। यह नियम सभी धर्मों के अनुयायियों पर एक समान लागू होगा। इस तरह के जो जुलूस वगैरह निकलते हैं, उनमें भी लाउडस्पीकर वगैरह इतनी ज़ोर-जोर से लगातार नहीं बजना चाहिए कि वह लोगों के लिए सिरदर्द बन जाए।

यह भी जरुरी है कि उन जुलूसों की भीड़ रास्तों को देर तक रोके नहीं, बाजारों को घंटों बंद न करे और किसी प्रकार की लूटमार या तोड़फोड़ न करे। यदि ऐसी व्यवस्था सभी राज्यों में लागू हो जाए तो हिंसा और तोड़-फोड़ की घटनाएं एकदम घट जाएंगी। ये नियम सिर्फ धार्मिक जुलूसों पर ही नहीं, सभी प्रकार के जुलूसों पर लागू किए जाने चाहिए। इसके अलावा मस्जिदों, मंदिरों और गुरुद्वारों से आनेवाली भौंपुओं की कानफोड़ आवाजों पर भी उत्तरप्रदेश सरकार ने कुछ नियंत्रणों की घोषणा की है।

भौंपुओं, घंटा-घड़ियालों, लाउडस्पीकरों की आवाज आजकल इतनी तेज होती है कि घरों, बाजारों और दफ्तरों में सहज भाव से काम करते रहना मुश्किल हो जाता है। शायद भक्त लोग अपनी आवाज भगवान तक पहुंचाने के फेर में पड़े रहते हैं। कबीरदास ने इस प्रवृत्ति पर क्या खूब टिप्पणी की हैः

कांकर-पाथर जोड़ के मस्जिद लई चुनाय

ता चढ़ि मुल्ला बांग दे, बहिरा हुआ खुदाय।।

पता नहीं, भक्त लोग इतनी कानफोड़ू आवाज़ के प्रेमी क्यों होते हैं? क्या उन्हें पता नहीं कि उनके आराध्य राम और कृष्ण, मूसा और ईसा, मुहम्मद और गुरु नानक ने कभी लाउडस्पीकार का इस्तेमाल ही नहीं किया? क्या उनकी आवाज ईश्वर और अल्लाह तक नहीं पहुंची होगी? अब क्या ईश्वर या अल्लाह बहरे हो गए हैं? जिन भक्तों को वेदमंत्र या बाइबिल की वर्स या कुरान की आयत या गुरुवाणी सुननी होगी, वे उसे शांतिपूर्वक बड़े प्रेम से सुनेंगे।

जो लोग दूसरों को सुनाने के लिए कानफोड़ू आवाज का आयोजन करते हैं, उनके बारे में हमें यही संदेह होता है कि वे खुद भी उस आवाज को सुनते हैं या नहीं? ऐसे लोग दूसरों के साथ-साथ खुद का भी नुकसान करते हैं।



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Ragini Sinha

Ragini Sinha

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