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बर्तानवी राज की अवैधता! बदलते संदर्भों में भारत के लिए अब इसके मायने

लंदन की महारानी एलिजाबेथ ने कल एक बड़ा ऐलान किया। उन्होंने अपने ऐलान में बताया की उनके बाद युवराज चार्ल्स प्रथम की द्वितीय रानी कैमिला को लंदन की अगली महारानी नामित किया गया है।

Bishwajeet Kumar
Published By Bishwajeet KumarWritten By K Vikram Rao
Published on: 7 Feb 2022 6:29 PM IST
Britain Queen Elizabeth II Death cremated Funeral
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Britain Queen Elizabeth II Death cremated Funeral (Photo - Social Media)

लंदन में कभी शीत बयार चलती थी तो सात हजार किलोमीटर दूर, दिल्ली में कम्बल निकल आते थे। अब गोरों को खदेड़े जाने के 75-वर्ष बाद परिदृश्य पलटा है। शायद इसीलिये कल (6 फरवरी 2022) मलिकाये-बर्तानिया 95-वर्षीय एलिजाबेथ द्वितीय की घोषणा को दैनिक समाचार पत्रों ने जाने दिया, गौर नहीं किया। ब्रिटिश राज का कभी सर्वाधिक चहेते रहे डेढ़ सौ वर्ष पुराने दैनिक ''दि टाइम्स आफ इंडिया'' ने भावी सम्राट की खबर को दसवें पृष्ठ पर छोटा सा नीचे छापा है। महारानी एलिजाबेथ द्वितीय तथा पतोहू कैमिला की फोटो एक ही कालम में आधी-आधी छाप दी। शायद चिढ़ाया है। उपेक्षा कर दी। कभी ब्रिटिश की हर सूचना बड़ी खबर बनकर पहले पृष्ठ पर साया होती थी। कल एलिजाबेथ (Elizabeth) का ऐलान था कि उनके बाद युवराज चार्ल्स (Prince Charles) प्रथम की द्वितीय रानी कैमिला (Queen Camilla) अगली महारानी नामित कर दी गयी है। मगर यह निर्भर है कि एलिजाबेथ अभी भूलोक में और कितनी अवधि तक रहेंगी। वर्ना हिन्दी कहावत चरितार्थ होती दिख जायेगी कि न तेल होगा, न राधा नाचेगी।

पतोहू कैमिला तलाकशुदा हैं, चार्ल्स उनका द्वितीय खाविन्द है। उनकी दो संतानें : प्रथम पति एन्ड्रयू पार्कर वाडल्स से भी हैं। ऐसे तथ्य ब्रिटिश राजपरिवार के मामलों को भारत की दृष्टि में मजाकिया-मसखरावाला बना देते हैं। वैभवशाली और राजनीतिक गांभीर्य से वंचित कर देते हैं। कैमिला के पूर्व युवराज चार्ल्स की प्रथम रानी डायना का नमूना पेश है। वह यूरोप की सबसे महंगी वारांगना मानी जाती रहीं। हाईवे पर प्रेस फोटोग्राफरों द्वारा लुके छिपे पीछा करने से उसका ड्राइवर गड़बड़ा गया। नतीजन दुर्घटना में डायना की मौत हो गयी। यहां ब्रिटिश रायल परिवार (British Royal Family) जिसने प्राचीन जम्बूद्वीप पर दो सदियों तक राज किया, कितने बेआबरु और ओछा निकला। यह विषय है जांच, अध्ययन तथा विश्लेषण का।

मसलन मौजूदा ब्रिटिश राज के ट्यूडर वंश के हेनरी अष्टम ने (1509-47) तक राज किया। उसका समकालीन जहीरुद्दीन बाबर (1526-1530) भारत में था। हेनरी की क्या उपलब्धियां रहीं? उसने अपने शयन कक्ष में कार्यरत दाई एनी बोलीन से दूसरी शादी रचाई। पहली पत्नी स्पेन के सम्राट की पुत्री महारानी मेरी थी। चूंकि कैथोलिक ईसाई धर्म (Catholic Christianity) में तलाक अवैध होता है अत: हेनरी ने इंग्लैण्ड से कैथोलिक मजहब ही खत्म कर दिया। रोम के पोप के आदेशों को खारिज कर दिया। एक अर्थ में इंग्लैण्ड (England) में रोमन ईसाई (roman christian) आस्था का राष्ट्रीयकरण कर दिया। अर्थात नौकरानी की पुत्री महाबलशालिनी एलिजाबेथ महारानी प्रथम बन गयीं। उसने स्पेन के बादशाह के जंगी बेड़े को परास्त कर दिया जो इतिहासकार अक्सर 1972 के बांग्लादेश संग्राम में इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) से तुलना करते हैं। राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन (Richard Nixon) द्वारा प्रेषित अमेरिकी सातवें जंगीबेड़ा को धौंसिया कर भगाया। पाकिस्तान को हरा दिया। इंदिरा गांधी और एलिजाबेथ प्रथम की अक्सर समता की जाती है। सिलसिलेवार तरीके से नजर डाले तो स्पष्ट है कि ब्रिटेन में पुश्त दर पुश्त अवैध शासक ही रहे।

मगर इस वंश परम्परा का ही एक संवेदनशील अध्याय था जब बादशाह एडवर्ड अष्ठम ने केवल दस महीने राज किया क्योंकि वह एक तलाकशुदा अमेरिकी अधेड़ श्रीमती वालिस सिंपसन के प्यार में पड़ गया था और विवाह कर लिया था। ब्रिटिश संसद ने उसे रानीपद देने से अस्वीकार कर दिया। एडवर्ड ने ताज और प्रियतमा के दरम्यान दिल की बात मानी। राजपाट तज दिया। उनके बाद तख्तनशीन हुये बादशाह जार्ज जो अभी समाचार भी थे। इंडिया गेट पर उनकी मूर्ति हटा कर नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की प्रतिमा लगायी गयी।

इस संपूर्ण गाथा का सारांश यही है कि क्रमश: पतनोन्मुखी शासक-श्रृंखला में बहुत ज्यादाबार तलाकशुदा नारी कैमिल्ला का पति बादशाह चार्ल्स पदारुढ़ होगा। बशर्तें वर्तमान 95-वर्षीय एलिजाबेथ को उनके गॉड बुला लें। गौर करें ब्रिटेन के सम्राटों तथा महारानियों (विक्टोरिया तथा मौजूदा एजिलाबेथ द्वितीय) की चरित्रिक शुचिता भारत के हर नैतिक स्तर के नियमों की कसौटी पर निहायत ही निकृष्ट रही है। पर इस प्राचीन देश पर उनका सैन्य बल के आधार पर सदियों तक कब्जा रहा। इतना विशाल राष्ट्र केवल जाति और मजहब के कारण इस गोरे साम्राज्य का सबल सामना नहीं कर सका। इससे बढ़कर ऐतिहासिक त्रासदी शायद ही कहीं, कभी दिखे!?

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