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भविष्य का निर्माण बिना पिता क्यों नहीं है संभव
माता अगर धरती पर देवी का रूप है तो पिता भी किसी आकाश जैसे विशाल हृदय वाले व्यक्ति से कम नहीं है।
माता अगर धरती पर देवी का रूप है तो पिता भी किसी आकाश जैसे विशाल हृदय वाले व्यक्ति से कम नहीं है। माता-पिता के बिना हमारा अस्तित्व नहीं है, जैसे मायनस और प्लस के बिना बल्ब नहीं जलाया जा सकता। मां ममता का आंचल देती है तो पिता एक व्यक्ति को कुशल, सफल और सशक्त बनाने में अहम योगदान देता है। पिता के अथक परिश्रम और प्रयासों के बिना किसी भी व्यक्ति की क्षमता में निखार सम्भव नहीं है। अतः पिता के इस दिन का बहुत महत्व है। हम सब जानते हैं, वे बहुत ही खुशनसीब होते हैं जिनके सिर मां और पिता का साया हो।
फादर्स डे मनाने की शुरुआत
फादर्स डे मनाने की शुरुआत अमेरिका से हुई थी। वॉशिंगटन के स्पोकेन शहर में सोनोरा डॉड ने अपने पिता की याद में इस दिन की शुरुआत की थी। साल 1909 में वॉशिंगटन के स्पोकेन के ओल्ड सेंटेनरी प्रेस्बिटेरियन चर्च में मदर्स डे पर उपदेश दिया जा रहा था, जिसके बाद डॉड को लगा कि मदर्स डे की ही तरह फादर्स डे भी मनाया जाना चाहिए।वहीं इसके बाद साल 1916 के तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति वुडरो विल्सन ने इस दिन को मनाने को स्वीकृति दी थी। 1924 में राष्ट्रपति कैल्विन कुलिज ने फादर्स डे को राष्ट्रीय आयोजन घोषित किया था। इसे जून के तीसरे रविवार को मनाने का फैसला 1966 में राष्ट्रपति लिंडन जॉनसन ने लिया था। 1972 में पहली बार यह दिन नियमित अवकाश के रूप में घोषित किया गया। विश्व के कई देशों में अलग-अलग तारीख और दिन पर इसे मनाया जाता है। वहीं, भारत सहित कई देशों में जून महीने के तीसरे रविवार को फादर्स डे मनाया जाता है।
करोना काल महरूम पिताओं को श्रदांजलि
इस करोना काल में जिस तरह कई बेटों के सिर से बाप का साया छीन गया है। ऐसी परिस्थिति में आज पिता दिवस का महत्व और उसकी जरूरत का यह दिन बहुत एहसास व कमी महसूस करा रहा है। सभी महरूम पिताओं को श्रदांजलि।
भारत में पिता का महत्व
पूरे विश्व में भारत सहित अनेक देश में जून के तीसरे रविवार को पिता दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस साल यह 20 जून को मनाया जाएगा। हालांकि पिता भारत में परिवार की वो कड़ी हैं जिसका वजूद मरने के बाद भी सम्मान व पथ प्रदर्शक रहता है। अक्सर बच्चे मां के करीब होते हैं और पिता को हमेशा एक सख्त व्यक्तित्व के रूप में अमूमन युवावस्था होने तक ही नहीं जवानी की दहलीज तक महसूस करते हैं। लेकिन जब वह बाप बन जाते हैं तब उन्हें एहसास होता है कि जो मेरे पिता एक नारियल की तरह दिखने वाला व्यक्ति था वह अंदर से कितना कोमल सरल स्वच्छ था। बिल्कुल नारियल की गिरी और पानी की तरह उसने मेरे व्यक्तित्व को निखारने के लिए मुझे अपने पैरों पर खड़ा करने के लिए, मुझे आत्मविश्वास के रूप में सक्षम बनाने के लिए उसका हर काम जो मुझे उस दिन सख्त नजर आ रहा था वह आज एहसास कराता है कि वह कितने अंदर से कोमल थे। प्यार के गागर से भरे हुए व्यक्ति थे। भारत में माता-पिता का जन्म से लेकर मृत्यु तक हर क्षण अहमियता भरा है। हर घर में व कार्यस्थल पर पूज्य पिता का फ़ोटो प्रमाण है।
पिता दिवस कैसे मनायें
इस दिन को लोग अपने पिता के प्रति प्रेम, आदर और सम्मान प्रकट करते हुए सेलिब्रेट करते हैं। विश्व में पिता दिवस पर उनके सम्मान में कई सामाजिक संगोष्ठी और समारोह आयोजित किए जाते रहे हैं। हालांकि, कोरोना वायरस महामारी के चलते इस साल कोई सार्वजनिक कार्यक्रम नहीं आयोजित किए जा रहे हैं। आज के दिन लोग अपने पिता को अपना प्यार, आभार, अहमियत, सम्मान गिफ्ट देकर, उनके साथ समय बिताकर ऑन लाइन कविता के माध्यम से उन्हें सम्मान देंगे। साथ ही उनके बताये एक सत्यकर्म की शपथ लेनी चाहिये। कोरोना महामारी काल में इसे घर में ही सुरक्षित तरीके से मनाएं। ऐसे में आज के आधुनिक युग में यदि आप अपने पिता से दूर हैं तो व्हाट्सएप मैसेज या किसी अन्य ऑनलाइन माध्यम से आप उन्हें इस दिन पर आभार प्रकट कर सकते हैं।
पिता के समीप होती हैं बेटी
हमारे जीवन में पिता बेटी का पहला प्यार और बेटे के हीरो होते हैं। ऊपर से सख्त रहने वाले पिता बहुत कम ही मौकों पर अपना प्यार दिखाते हैं। पिता हमारे भविष्य को उज्जवल बनाने के लिए अपने सपनों और ख्वाहिशों को भी भूल जाते हैं| पिता के त्याग और बलिदान एक बच्चे से ज़्यादा कौन जानता है। हर रोज़, हर क्षण मेरे पिता मेरी दुनिया हैं। पिता हमारा भविष्य बनाने के लिए अपने सपनों और ख्वाहिशों को भी भूल जाते हैं और सबकुछ करने को तैयार होते हैं। पिता का महत्व शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। यह बात एक बेटी या जिसके सिर पर पिता का हाथ ना रहा हैं वो जनता हैं। पिता के बिना जिंदगी वीरान होती है, तनहा सफर में हर राह सुनसान होती है, जिंदगी में पिता का होना ज़रूरी है, पिता के साथ से हर राह आसान होती है।
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं)
(यह लेखक के निजी विचार हैं)