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First Jamun Export to London: अब यूपी के जामुन का लंदनवासी भी ले सकेंगे स्वाद

First Jamun Export to London: पहली बार बिठूर (कानपुर) में उत्पादित जामुन के फलों का निर्यात एपीडा पंजीकृत निर्यातक द्वारा जून के पहले सप्ताह में किया गया।

Shailendra Rajan
Written By Shailendra RajanPublished By Chitra Singh
Published on: 27 Jun 2021 8:05 PM IST
Jamun Export
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लंदन-जामुन (डिजाइन फोटो- सोशल मीडिया)

First Jamun Export to London: उत्तर प्रदेश से लंदन (London) में जामुन (Java Plum) की पहली सफल खेप के निर्यात ने निर्यातकों और किसानों (Exporters and Farmers) को इस स्वदेशी फल की खेती एवं व्यापार की संभावनाओं को बढ़ा दिया है। पहली बार बिठूर (कानपुर) में उत्पादित जामुन के फलों का निर्यात (Jamun Export) एपीडा पंजीकृत निर्यातक द्वारा जून के पहले सप्ताह में किया गया और निर्यात जारी रखा जा रहा है। हाल के वर्षों में, भारतीयों और विदेशों में जामुन के फलों की लोकप्रियता में अपार वृद्धि हुई है।

कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के एजीएम डॉ. सीबी सिंह ने बताया कि यूपी के जामुन का लंदन के बाजार में स्वागत हो रहा है और आम के अलावा इस फल के निर्यात की भी काफी संभावनाएं हैं| निर्यातकों को गुणवत्ता वाले फल और पैकेजिंग प्रौद्योगिकी के कारण दूर के बाजारों में शिपमेंट भेजने मेन सफलता मिली। जामुन की मांग को देखते हुए, यूरोप और मध्य पूर्व देशों में उच्च गुणवत्ता वाले जामुन के फलों के उत्पादन और निर्यात की अच्छी संभावनाएं है।

जामुन की बढ़ी लोकप्रियता

जामुन मधुमेह रोधी गुणों के कारण तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। इसमें विटामिन सी और एंटीऑक्सिडेंट, साथ ही बड़ी संख्या में बायोएक्टिव यौगिक भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं| इनका मानव स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद होने के प्रमाण वैज्ञानिक प्रयोगों पर आधारित है। अविश्वसनीय बायोएक्टिव यौगिक हृदय, स्वास्थ्य, पाचन और मसूड़ों के स्वास्थ्य सुधार में सहायता करते हैं। जामुन के कई स्वास्थ्य लाभों के कारण, कुछ जामुन के शौकीन गूदे का आनंद तो लेते ही हैं और स्वास्थ्य सप्लीमेंट के रूप में उपभोग करने के लिए गुठली का पाउडर बनाकर रख लेते हैं।

जामुन (फोटो- सोशल मीडिया)

यूरोपीय बाजारों में जामुन एक दुर्लभ फल

पहले जामुन की निर्यात संभावनाओं से अनभिज्ञ निर्यातक अब इस अनोखे फल को यूरोपीय देशों में निर्यात करने की योजना बना रहे हैं, जहां लोग इस तरह के दुर्लभ और विदेशी उत्पाद के लिए प्रीमियम मूल्य का भुगतान करने को तैयार हैं। अधिकांश यूरोपीय बाजारों में जामुन एक दुर्लभ फल है; नतीजतन, अगर इस फल के व्यवस्थित निर्यात को प्रोत्साहित किया जाता है तो उत्पादक और निर्यातक उचित लाभ कमा सकेंगे।

जामुन की बागवानी

जामुन की व्यवस्थित बागवानी प्रचलित नहीं है। आम तौर पर जामुन को सड़क के किनारे पाए जाने वाले पेड़ों से प्राप्त होने वाली फलों की फसल एवं एवेन्यू के पेड़ के रूप में जाना जाता था। जामुन की भविष्य के फल के रूप में क्षमता को ध्यान में रखते हुए, आईसीएआर-सीआईएसएच ने लगभग 15 साल पहले शोध करना प्रारंभ किया था। चूंकि जामुन को बीजू पौधों के रूप में लगाया जाता रहा है इसलिए कोई मानक किस्में भी नहीं थीं।

जामुन का पेड़ (फोटो- सोशल मीडिया)

इस बात की भी कोई गारंटी नहीं होती थी कि पौधे मातृ वृक्ष के समान उच्च गुणवत्ता वाले फल पैदा करेंगे । नतीजतन, संस्थान ने किस्मों, अलैंगिक प्रवर्धन कनीकों और कटाई छटाई की तकनीक पर शोध करना शुरू कर दिया। जामुन के फल तोड़ने के बाद जल्द खराब हो जाते हैं इसलिए अधिक पैमाने पर खेती करने पर फल की अधिकता के कारण खराब होने की संभावनाएं इसकी टिकाऊ खेती पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर सकती है| इसलिए संस्थान ने जामुन से मूल्य वर्धित पदार्थों के विकास पर भी कार्य किया। आवश्यकता से अधिक उत्पादन होने प्रसंस्करण करके मूल्य वर्धित पदार्थ बनाकर फलों को नष्ट होने से बचाया जा सकता है|

जामुन के फलों की भरमार

प्री-मानसून बारिश के चलते बाजार में जामुन के फलों की भरमार हो गई है। गुजरात और महाराष्ट्र में फल जल्दी तैयार हो जाते हैं, इसलिए किसान फलों की तुड़ाई उत्तर प्रदेश के जामुन के पहले कर सकते हैं और उन्हें दिल्ली के बाजार में आपूर्ति करके अच्छी कीमत मिल जाती हैं। उत्तर प्रदेश का जामुन अन्य राज्यों से गुणवत्ता में कम नहीं है, लेकिन अन्य राज्यों को उनकी भौगोलिक स्थिति और जलवायु से लाभ मिल जाता है। सीजन की शुरुआत में, जामुन बाजार पर सबसे महंगा स्वदेशी फल है। लोग एक किलोग्राम के लिए 300 रुपये देने से नहीं हिचकते हैं। मई के अंतिम सप्ताह के दौरान, यह वास्तव में प्रीमियम आम की किस्में की तुलना में अधिक महंगा होता है।

जामुन की बिक्री (फाइल फोटो- सोशल मीडिया)

जामुन भारत में एक आम फल है, लेकिन यूरोपीय बाजारों में इसे दुर्लभ माना जाता है। जामुन के स्वास्थ्य लाभों के बारे में बढ़ती जागरूकता और निर्यात के अवसरों में वृद्धि के साथ, जामुन की खेती के तहत क्षेत्र का विस्तार होगा। केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान द्वारा विकसित की गई किस्मों की खेती, विशेष रूप से आदिवासी क्षेत्रों में, घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों के लिए उत्कृष्ट गुणवत्ता वाले फल उपलब्ध कराने के साथ-साथ उनकी आजीविका सुधार में भी सहायक होगी।

Chitra Singh

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