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Food Adulteration: मिलावटखोरों को सजा-ए-मौत

Food Adulteration: हरियाणा के पलवल में पुलिस ने रंगे हाथ गिरफ्तार किया है। वह देसी घी के नाम पर तरह-तरह के रासायनिक पदार्थों को मिलाकर नकली घी बेचता था।

Dr. Ved Pratap Vaidik
Written By Dr. Ved Pratap VaidikPublished By Monika
Published on: 20 April 2022 6:09 AM GMT
Food Adulteration
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मिलावटखोरों को सजा-ए-मौत (photo: social media )

Food Adulteration: अगर दुनिया में मिलावटखोर देशों की खोज-बीन होने लगे तो शायद हमारे भारत का नाम पहली पंक्ति में होगा। ऐसा नहीं है कि अन्य देशों में मिलावट के अपराध नहीं होते लेकिन कई देशों में मिलावटखोरों के लिए उसी सजा का प्रावधान है, जो किसी हत्यारे के लिए होती है। वास्तव में मिलावटखोर किसी भी हत्यारे से बड़ा हत्यारा होता है। मिलावटी खाद्य पदार्थों का सेवन करनेवाले सैकड़ों और हजारों लोग धीरे-धीरे मारे जाते हैं। यह ऐसी प्रक्रिया है कि न मरनेवाले का पता चलता है और न ही मारनेवाले का! सब काम चुपचाप होता रहता है। हत्यारा तो दो-चार आदमियों को मार देता है लेकिन मिलावटखोर तो दर्जनों हत्यारों का कुकर्म अकेला ही कर देता है।

ऐसे ही एक हत्यारे को हरयाणा के पलवल में पुलिस ने रंगे हाथ गिरफ्तार किया है। वह देसी घी के नाम पर तरह-तरह के रासायनिक पदार्थों को मिलाकर नकली घी बेचता था। वह कई बड़ी-बड़ी कंपनियों का खराब हुआ घी खरीदकर उन्हें सुंदर-सी शीशियों में भरकर भी बेचता था। यह घी छोटे-मोटे दुकानदारों को काफी कम कीमत पर दिया जाता था। वे नकली घी को मंहगे दाम पर बेचकर उससे मुनाफा जमकर कमाते थे।

यह घी कई बीमारियां पैदा कर सकता है। हृदय रोग, रक्तचाप और मधुमेह तो यह घी पैदा करता ही है, इससे कैंसर का खतरा भी बढ़ जाता है। किडनी और यकृत को निढाल करने में यह घी विशेष सक्रिय रहता है। गर्भवती महिलाओं के लिए भी यह घी खतरे की घंटी है। घी में मिलावट से उतने लोग प्रभावित नहीं होते, जितने आटे और नमक में मिलावट से होते हैं।आटा और नमक तो गरीब से गरीब आदमी को भी रोज चाहिए। अभी सूरत में ऐसे आटे और नमक के कई प्रसिद्ध ब्रांडो के नमूने पकड़े गए हैं, जिन्हें खाने से तरह-तरह की बीमारियां हो सकती हैं। खाने-पीने की ऐसी सैकड़ों चीजें हैं, जिसमें हर दिन मिलावट होती रहती है।

मिलावटी चीजें प्रतिदिन खानेवाले ऐसे करोड़ों लोग

मिलावटी चीजें प्रतिदिन खानेवाले ऐसे करोड़ों लोग हैं, जो अपनी तबियत खराब होने पर ठीक से इलाज भी नहीं करवा सकते। ऐसा नहीं है कि सरकार इन मिलावटखोरों के खिलाफ सक्रिय नहीं है या कोई कार्रवाई नहीं करती। सरकार ने 'खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006' में मिलावटखोरों पर 10 लाख रु. जुर्माने और 6 माह से लेकर उम्र कैद तक का प्रावधान कर रखा है लेकिन क्या आज तक किसी को उम्रकैद हुई है? 10 लाख जुर्माने की बात अच्छी है लेकिन कितने मिलावटखोरों पर यह जुर्माना अभी तक हुआ है? वास्तव में यह कानून बेहद सख्त होना चाहिए। मिलावट की गंभीरता के आधार पर सजा भी होनी चाहिए। मिलावटखोरों में से दो-चार को भी फांसी की सजा दी जाए और उसका जमकर प्रचार किया जाए तो भावी मिलावटखोरों की हड्डियों में कंपकंपी दौड़ सकती है। मिलावटी चीजों के कारखानों में काम करनेवालों और उन चीजों को बेचनेवाले दुकानदारों के लिए भी छोटी-मोटी सजा का प्रावधान हो तो उसका भी काफी असर पड़ेगा। वास्तव में मिलावट तो नर-संहार के बराबर अपराध है। सजा-ए-मौत ही इसका इसका सही जवाब है।

Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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