×

जी-20: महिलाओं के नेतृत्व में विकास की पहल

जी-20: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने महिलाओं की पूंजी तक पहुंच, उद्यमशीलता और श्रम शक्ति की भागीदारी जैसे महत्वपूर्ण मसलों का अनिवार्य रूप से समाधान करने पर जोर दिया है।

Amitabh Kant
Written By Amitabh Kant
Published on: 9 March 2023 7:00 PM IST
G 20 under chairmanship of India
X

Amitabh Kant (Social Media)

जी-20: भारत को जी-20 की अध्यक्षता एक महत्वपूर्ण मोड़ और उपयुक्त समय पर मिली है। पिछले तीन वर्षों में संकट का सामना कर चुके दुनियाभर के देश बेहतर स्थिति में पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं। कोविड-19 महामारी से लेकर चल रहे जलवायु संकट तक, अब यह बात स्वीकार की जा चुकी है कि किसी भी संकट का प्रभाव लैंगिक आधार पर होता है। इसमें महिलाओं और लड़कियों को ज्यादा कीमत चुकानी पड़ती है। उनकी सुरक्षा, आजीविका और स्वास्थ्य पर भी असर पड़ता है।

भारत की अध्यक्षता में जी-20 महिलाओं और लैंगिक समानता पर ज्यादा ध्यान केंद्रित कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने महिलाओं की पूंजी तक पहुंच, उद्यमशीलता और श्रम शक्ति की भागीदारी जैसे महत्वपूर्ण मसलों का अनिवार्य रूप से समाधान करने पर जोर दिया है।

घरेलू मोर्चे पर, भारत सरकार ने जीवन के सभी पड़ाव में महिलाओं के समग्र विकास की प्रतिबद्धता के साथ 'आत्मनिर्भर भारत' विकास के एजेंडे में महिला सशक्तिकरण को केंद्र में रखने का निर्णय लिया। 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' योजना के कारण 2014 से जन्म के समय लिंगानुपात में 16 अंकों का सुधार हुआ है। माइक्रो-फाइनेंस प्रदान करने वाली मुद्रा योजना में 70 फीसदी से अधिक लाभार्थी महिलाएं हैं। एकीकृत पोषण सहायता कार्यक्रम, मिशन पोषण 2.0 के जरिए 1.2 करोड़ से अधिक गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं की देख-रेख की गई है। इसके अलावा, कामकाजी महिला छात्रावासों की स्थापना से लेकर कई कौशल विकास कार्यक्रमों का शुभारंभ और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने एवं हिंसा से मुक्ति की पहल- ये सभी भारत की महिलाओं की सुरक्षा, सुविधा और स्वाभिमान सुनिश्चित करने पर विशेष ध्यान दिए जाने के उदाहरण हैं।

तेजी से और हमारे समाज के परंपरागत लोकाचार के अनुरूप, सरकार भी समाज के स्तर पर सार्थक परिवर्तन लाने के लिए 'नारी शक्ति' की महत्ता को पहचान रही है। सीधे तौर पर कहें तो महज विकास के लाभार्थियों के रूप में नहीं, बल्कि विकास के प्रेरक और बदलाव के वाहक के रूप में महिलाओं की भूमिका पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है।

2023 में भारत के नेतृत्व में जी-20 के प्रयासों को आगे बढ़ाने के साथ ही अब समय आ गया है कि हम महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास के एजेंडे को भी आगे बढ़ाएं। यह जानते हुए कि जेंडर एक ऐसा विषय है जिससे कई चीजें जुड़ी होती हैं और जो दूसरी लगभग सभी विकास संबंधी संभावनाओं को प्रभावित करती हैं, हम आशा करते हैं कि जी-20 एजेंडे और इससे जुड़े समूहों में लैंगिक समानता पर नए सिरे से जोर दिया जाएगा।

विशेष रूप से, हम निम्नलिखित विषयों पर ठोस कदम उठाए जाने की उम्मीद करते हैं: पहला, महिलाओं के डिजिटल और वित्तीय समावेशन का समर्थन। वैश्विक स्तर पर लगभग आधी (42%) महिलाएं एवं लड़कियां औपचारिक वित्तीय प्रणाली से बाहर हैं। वित्तीय समावेशन दरों में प्रगति के बाद भी, लैंगिक अंतर कम नहीं हुआ है और यह 7% का अंतर बना हुआ है। डिजिटल प्रौद्योगिकी नवाचारों (विशेष रूप से सूचना एवं संचार के लिए) में महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण में तेजी लाने की क्षमता है। अभी, दोनों डिजिटल प्रौद्योगिकी और डिजिटल शिक्षा तक पहुंच में डिजिटल लैंगिक अंतर बरकरार है। भारत ने जेएएम या जन धन-आधार-मोबाइल प्लेटफॉर्म के माध्यम से महिलाओं के लिए डिजिटल वित्तीय समावेशन को प्राथमिकता दी है। इसकी मदद से कई महत्वपूर्ण सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम सीधे महिलाओं तक पहुंच सके हैं और उन्हें मजबूती देने के साथ आर्थिक रूप से सशक्त भी किया है। जी-20 के माध्यम से हमें महिलाओं के डिजिटल एवं वित्तीय समावेशन को मजबूत करने के लिए इसी तरह की ठोस पहलों पर ध्यान देना चाहिए।

दूसरा, विकास में समान रूप से भागीदार बनाने के लिए महिलाओं की क्षमताओं को मजबूत करना। यह अर्थव्यवस्था और समाज दोनों में महिलाओं की भागीदारी में निरंतरता सुनिश्चित करने के साथ ही उनके प्रवेश को सुविधाजनक बनाने के लिए महत्वपूर्ण है। उदाहरण के तौर पर, पूरी दुनिया में शिक्षा को सशक्तिकरण का आधार माना गया है, इसके बावजूद केवल 49 प्रतिशत ने प्राथमिक शिक्षा में लैंगिक समानता हासिल की है। निम्न माध्यमिक शिक्षा में यह आंकड़ा 42 प्रतिशत और उच्च माध्यमिक शिक्षा में 24 प्रतिशत ही है। पूरी दुनिया में करीब 1.1 अरब महिलाएं और लड़कियां औपचारिक वित्तीय प्रणाली से बाहर हैं, इनमें से कइयों की डिजिटल तकनीक तक सीमित पहुंच है। इसी प्रकार से, दुनियाभर के देशों में काफी ज्यादा देखभाल का काम महिलाएं बिना वेतन के करती हैं। ऐसे में यह महत्वपूर्ण है कि जी-20 साथ मिलकर काम करे और महिलाओं के जीवन में एवं उनके कार्यस्थल पर लंबे समय से चली आ रही अड़चनों को दूर करने के लिए आम सहमति बनाकर फैसले लिए जाएं।

तीसरा, निर्णय लेने के सभी स्तरों पर महिला नेतृत्व को सक्षम बनाना। आज, भारत में प्रशासनिक कार्यालयों में 1.90 करोड़ से अधिक महिलाएं, पंचायती राज संस्थानों के लिए चुनी गई 17,000 से अधिक महिलाएं और रक्षा बलों में 10,000 से अधिक महिलाएं कार्यरत हैं। महिलाओं के नेतृत्व में विकास के लिए ऐसा दृष्टिकोण उनकी अद्वितीय संभावनाओं, अनुभवों और नेतृत्व शैली को सामने लाने के लिए महत्वपूर्ण होगा, बदले में महिलाएं अधिक समावेशी और प्रभावी निर्णय लेने की स्थिति में पहुंच सकेंगी।

आखिर में, विभिन्न पहलों से मिले परिणाम की स्थिरता को सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है। इसके लिए, अलग-अलग लैंगिक डेटा प्रणाली को प्राथमिकता में रखना जरूरी होगा। इस डेटा को इकट्ठा और साझा करने पर विशेष ध्यान देना लैंगिक समानता की दिशा में हो रही प्रगति की निगरानी एवं लक्षित प्रयासों के लिए महत्वपूर्ण होगा।

दुनिया ने जिन संकट का सामना किया है, उसने हमें अपने सामान्य विकास लक्ष्यों को हासिल करने से पीछे धकेल दिया है- भारत की जी-20 अध्यक्षता हमें अगले चरण के विकास के लिए एजेंडा तय करने का अवसर प्रदान करती है। ऐसे मौके पर, यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि हम महिलाओं को अपने प्रयास के केंद्र में रखें ताकि एक बेहतर कल मिल सके।

Anant kumar shukla

Anant kumar shukla

Content Writer

अनंत कुमार शुक्ल - मूल रूप से जौनपुर से हूं। लेकिन विगत 20 सालों से लखनऊ में रह रहा हूं। BBAU से पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएशन (MJMC) की पढ़ाई। UNI (यूनिवार्ता) से शुरू हुआ सफर शुरू हुआ। राजनीति, शिक्षा, हेल्थ व समसामयिक घटनाओं से संबंधित ख़बरों में बेहद रुचि। लखनऊ में न्यूज़ एजेंसी, टीवी और पोर्टल में रिपोर्टिंग और डेस्क अनुभव है। प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म पर काम किया। रिपोर्टिंग और नई चीजों को जानना और उजागर करने का शौक।

Next Story