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अंतत: गंगा मइया की कसम ऐसा न करो, हरिद्वार का बाबा

raghvendra
Published on: 22 Dec 2017 1:23 PM IST
अंतत: गंगा मइया की कसम ऐसा न करो, हरिद्वार का बाबा
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आलोक अवस्थी

हरिद्वार का एक बाबा पागल हो गया है... जब देखो तब अनशन पर बैठ जाता है... सत्याग्रह की बीमारी से ग्रस्त है... उसको लगने लगा है कि वो एक दिन महात्मा गांधी बन जाएगा। बेचारा ये नहीं जानता कि जब गांधी लड़ रहे थे तो देश गुलाम था... अब अपनों का है... अब गांधी जी छाप नोट चलते हैं, गांधीवादी अनशन नहीं।

स्वामी शिवानंद और उनके चेलों ने प्रशासन और कारोबारियों के नाक में दम कर रखा है... जब देखो तब-गंगाजी की रक्षा के नाम पर खनन को चुनौती देते रहते हैं... जैसे सारा ठेका इन्होंने ले रखा है... हरिद्वार में बाकी गाथा भी तो है, सब पूरी दुनिया घूम रहे हैं... गंगाजी की आरती से लेकर गंगाजी की सफाई तक में सरकार की मदद कर रहे हैं, कहीं कोई परेशानी नहीं है... बस यही शिवानंद ही हैं जो रास्ते का कांटा बने हुए हैं...।

‘मातृ सदन’ है या शासन की ‘मां-बहन’ करने वाला आतताई... सरकार के पास बस एक यही काम बचा है कि इनके भूखे-नंगे आत्महत्या पर उतारू बाबाओं को अस्पताल में भर्ती कराते घूमे... निर्माण का क्या होगा, खनन से मिलने वाले राजस्व का क्या होगा? बेचारे ‘खनन कारोबार’ में लगे कारसेवक व्यापारियों का क्या होगा? जरा भी बाबा लोग नहीं सोचते... खुद तो घर-दुआर है नहीं गरीबों के पेट पर लात मारने पर तुले हैं... शासन को चाहिए किसी योग्य बाबा से सलाह लेकर इनकी बुद्धि को ठिकाने में लाने के लिए यज्ञ इत्यादि कराएं...। हे ईश्वर इस देव भूमि में कैसे-कैसे बाबाओं को भेज देते हो... अरे बाबा हो पूजा पाठ करो... यज्ञ हवन करो... पंगे क्यों ले रहे हो।

एक और ‘हरिद्वारी बाबा’ का जिक्र लगे हाथ... जिन्हें ‘राज सत्ता’ निकालकर जबरदस्ती ‘वाणप्रस्थ’ भेज दिया गया है... अपने पुराने ‘हरदा’ जब तक रहे ‘खनकते’ रहे... सब खुदा थे खासकर खनन वाले... असली बाबा थे ‘हरदा’ किसी को भी निराश नहीं किया... ‘हरदा’ की कृपा से खूब फला फूला कारोबार... लोग कहते हैं कि ‘मातृ सदन’ वाले बाबा की नजर लग गई...। क्या नहीं किया ‘हरदा’ ने आज भी लोग याद करते हैं अनुष्ठान चाहे भले महंगा पड़ता था... लेकिन ‘रिजल्ट’ तो निकलता था...।

अब हाल बेहाल है कहीं कोई उम्मीद नजर नहीं आती... डीएम से लेकर सीएम तक सब ईमानदारी ओढ़े आफत जोते हुए हैं... गंगाजी की शरण में आके पाप धुलते थे, यहंा तो पुराने ‘पाप’ के बाप हाय तौबा मचाए हुए हैं... पता नहीं पूरे डिपार्टमेंट को क्या हो गया है खनन करने दे नहीं रहे हैं, ‘गड़े मुरदे’ और खोद रहे हैं... सुना है तीन पुराने मुरदे ‘रामनाम सत्य’ का जाप कर रहे हैं... ऐसा कैसे चलेगा भाई जी...।

पुण्य प्रतापी मां गंगा मइया की कसम है तुम्हें। पाप हरणी मां के आंचल में तो पाप धोने का अवसर मत छीनो...।

क्यों मोदी बनने पर तुले हो? कुछ तो सोचो ‘उत्तराखंड’ के राजस्व की कसम है तुम्हें... प्लीज ऐसा मत करो... रावत जी भाई साब। आप कैसे रावत हो कुछ तो ‘पिछले रावत’ से सीखो...।

मत भूलो हम ‘उत्तराखंडी’ लोग एक टिकट पर तीन सिनेमा देखने के आदी हैं... पुराने धंधे में लग जाएंगे... सामने वाले का अपशकुन मनाने के लिए अपनी एक आंख को दांव में लगा सकते है... यकीन न हो कभी भी कान लगा कर सुन लो हमने पंचायत शुरू भी कर दी है...।।

(संपादक उत्तराखंड संस्करण)

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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