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Ganga Vilas Cruise: गंगा तथा ब्रह्मपुत्र नदी प्रणालियों से जुड़े विभिन्न संस्कृतियों तथा धार्मिक एवं विश्व विरासत स्थलों को जोड़ता गंगा विलास क्रूज
Ganga Vilas Cruise: काशी की भव्यता एवं दिव्यता में एक कड़ी और जोड़ते हुए टाम क्रूज पर्यटन को भारत के प्रधानमंत्री जी 13 जनवरी, 2023 को हरी झंडी दिखाकर रवाना करेंगे।
Ganga Vilas Cruise: काशी भारत के सबसे पुराने शहरों में से एक है और सप्तपुरी का हिस्सा है। शिव की नगरी आध्यात्मिक, पौराणिक के साथ-साथ पर्यटन का विश्व में एक प्रमुख स्थान है। जिसका भव्यता एवं दिव्यता के लिए प्रधानमंत्री जी जब से यहॉ से सांसद हैं तब से निरन्तर पर्यटन विकास का कार्य चल रहा है । अब दर्शकों हेतु भगवान भोले के दर्शन के लिए गंगा जी से सीधे काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर को जोड़ दिया गया है । जिससे पर्यटकों/श्रद्धालुओं को अब और सुगमता से दर्शन होते हैं। अब काशी में विश्व स्तरीय होटल रिसार्ट पर्यटकों के ठहरने एवं भोजन की उच्च गुणवत्ता की व्यवस्था उपलब्ध है।
काशी नगरी कवि, लेखक, भारतीय दार्शनिक तथा संगीतकारों आदि की जननी है। काशी आदि समय से धर्म के साथ-साथ संगीत का भी केन्द्र रहा है, जो आज भी विद्यमान है । काशी की भव्यता एवं दिव्यता में एक कड़ी और जोड़ते हुए टाम क्रूज पर्यटन (tom cruise tourism) को भारत के प्रधानमंत्री जी 13 जनवरी, 2023 को हरी झंडी दिखाकर रवाना करेंगे, एमवी गंगा विलास क्रूज दुनिया के सामने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए तैयार किया गया है। विश्व विरासत स्थलों, राष्ट्रीय उद्यानों, नदी घाटों बिहार में पटना, झारखण्ड में साहिगंज पश्चिम बंगाल मे कोलकाता, बांग्लादेश मे ढाका और असम में गुवाहाटी जैसे प्रमुख शहरों सहित 50 पर्यटन स्थलों पर 51 दिन की यात्रा रहेगी। जिसमें तीन देशों स्वीजरलैण्ड, जर्मनी के 36 पर्यटक विराजमान होंगे। इस सुखद एवं सफल कार्यक्रम का अनुभव उत्तर प्रदेश को मिल रहा है । यह प्रधानमंत्री जी की प्रेरणा से सम्भव हो रहा है।
भारत में नदी क्रूज पर्यटन का नया अध्याय
टाम क्रूज काशी से चल कर 27 नदियों के माध्यम से 50 पर्यटन स्थल के साथ-साथ 3200 किमी की यात्रा तय करेगा। वैश्विक स्तर पर हमारी समृद्ध विरासत इस यात्रा के साथ बहुत आगे बढ़ेगी । क्योंकि विदेशी पर्यटक भारत की आध्यात्मिक, शैक्षिक, कल्याण, सांस्कृतिक और साथ ही जैव विवधता की समृद्धि का अनुभव करने में सक्षम होंगे। यह उत्तर प्रदेश पर्यटन का गौरवमयी क्षण प्रधानमंत्री जी के दिशा निर्देश एवं प्रेरणा तथा मुख्यमंत्री जी के मार्गदर्शन में काशी के नये युग की शुरूआत है, भारत में नदी क्रूज पर्यटन का नया अध्याय होगा तथा भविष्य में यह उत्तर प्रदेश के विभिन्न नदियों मंदाकिनी नदी-चित्रकूट, गंगा-यमुना नदी-प्रयागराज, यमुना नदी-मथुरा, राप्ती नदी-गोरखपुर, सोन नदी-सोनभद्र, घाघरा नदी-अयोध्या इत्यादि अन्य नदियों को जोड़ा जायेगा। इस योजना से प्रदेश के अन्य स्थान जुड़ेंगे जिससे विदेशी/देशी पर्यटक उत्तर प्रदेश के विभिन्न पौराणिक, आध्यात्मिक स्थलों पर जल मार्ग से पर्यटन का लाभ ले सकेंगे।
काशी की गंगा आरती विश्व में प्रसिद्ध है, पवित्र गंगा नदी की एक झलक पाने के लिए पूरे विश्व से लोग यहां आते हैं। अब काशी कारिडोर की भव्यता एवं दिव्यता के कारण विगत एक वर्ष में लगभग 7 करोड़ श्रद्धालु यहॉ दर्शन के लिए आ चुके है । यह एक नया कीर्तिमान है और नित्य नये आयाम स्थापित हो रहे हैं, शाम होते ही गंगा तट पर वातावरण भक्ति विभोर हो जाता है। पुजारियों की भीड़ में दीपक की ज्वाला जो मानों आसमान को छूने की कोशिश करती है। शंखनाद, डमरू की आवाज मॉ गंगा के जयकारे आरती में शामिल भक्तों का मेला लगा रहता है। पूरे काशी में प्रवास करने वाले देशी एवं विदेशी पर्यटक शाम को गंगा घाट पर ही गंगा आरती देखने के लिए आतुर रहते हैं। गंगा आरती में सम्मिलित होते हैं।
काशी में ही सारनाथ का महत्व
काशी में ही सारनाथ गंगा तट के उत्तर पूर्व में स्थित उत्तर प्रदेश के जिला वाराणसी मुख्यालय से लगभग 10 किमी पूर्वोंत्तर में प्रमुख बौद्ध एवं हिन्दू तीर्थ स्थल है, ज्ञान प्राप्ति के पचात् भगवान बुद्ध ने यहॉ पर अपना प्रथम उपदेश दिया था जिसे "धर्म चक्र प्रर्वतन" का नारा दिया गया जो बौद्ध धर्म का प्रचार प्रसार का प्रारम्भ था। यह स्थान बौद्ध धर्म के चार प्रमुख स्थलों में से एक है व (अन्य तीन लुम्बिनी, बोधगया और कुशीनगर) पूरे विश्व में जो सभी स्थल प्रसिद्ध है बौद्ध धर्म के लगभग 50 करोड़ अनुयायी विश्व के विभिन्न देशों में है, सारनाथ में जैन धर्म के महत्व के दृष्टिगत है। जैन ग्रन्थों में इसे सिंहपुर कहा गया है और माना जाता है कि जैन धर्म के ग्यारहवें तीर्थंकर श्रेयांशनाथ का जन्म यहीं पर हुआ था यहॉ पर सारगनाथ महादेव का मंदिर भी है। सारनाथ में अशोक का चर्तुभुज सिंह स्तम्भ भगवान बुद्ध का मंदिर धामरेक स्तूप, चौखण्डी स्तूप आदि अन्य विव स्तरीय तीर्थ स्थल विद्यमान है। भारत का राष्ट्रीय चिन्ह भी यहीं के अशोक स्तम्भ के मुकुट से लिया गया।
टाम क्रूज अपने आप में एक प्रमुख उपलब्धि है
एमवी गंगा विलास का यात्रा कार्यक्रम ऐतिहासिक सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व के स्थानों पर रूकेगा। पर वाराणसी के बाद पहला ठहराव गाजीपुर में होगा। वहॉ पर प्रदेश सरकार के पर्यटन विभाग के अधिकारी यहॉ के प्रसिद्ध स्थलों पर दर्शन एवं जैव विविधता को दिखलायेंगे । नदी के किनारे बसे सभ्यता एवं संस्कृति के साथ-साथ पर्यटन भी करवाया जायेगा। यह पूर्णतः स्वदेशी तकनीक से निर्मित टाम क्रूज अपने आप में एक प्रमुख उपलब्धि है, जिसके संचालन से रोजगार का सृजन बढ़ेगा और आगे उत्तर प्रदेश के विभिन्न शहरों टाम क्रूज पर्यटन का संचालन किया जायेगा। वाराणसी, मिर्जापुर, प्रयागराज, कानपुर इत्यादि शहर जोड़े जायेंगे।
(लेखक उत्तर प्रदेश सरकार के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री हैं।)