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गुलाम नबी आजद: सोनिया बचाएँ कांग्रेस को

Ghulam Nabi Azad: अन्य कांग्रेसी नेताओं की तरह गुलाम नबी आजाद भाजपा में शामिल नहीं हो रहे हैं। वे अपनी पार्टी बनाएंगे, जो जम्मू-कश्मीर में ही सक्रिय रहेगी।

Dr. Ved Pratap Vaidik
Published on: 28 Aug 2022 4:38 AM GMT
Ghulam Nabi Azad
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Ghulam Nabi Azad (photo: social media )

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Ghulam Nabi Azad: कश्मीरी नेता गुलाम नबी आजाद का कांग्रेस को छोड़ देना कोई नई बात नहीं है। उनके पहले शरद पवार और ममता बेनर्जी जैसे कई नेता कांग्रेस छोड़ चुके हैं लेकिन गुलाम नबी का बाहर निकलना ऐसा लग रहा है, जैसे कांग्रेस का दम ही निकल जाएगा।

कांग्रेस के कुछ छोटे-मोटे नेताओं ने गुलाम नबी आजाद के मोदीकरण की बात कही है, जो कुछ हद तक सही है, क्योंकि नरेंद्र मोदी ने बेहद भावुक होकर गुलाम नबी को राज्यसभा से विदाई दी थी। लेकिन कई अन्य कांग्रेसी नेताओं की तरह गुलाम नबी आजाद भाजपा में शामिल नहीं हो रहे हैं। वे अपनी पार्टी बनाएंगे, जो जम्मू-कश्मीर में ही सक्रिय रहेगी। वे कोई अखिल भारतीय पार्टी नहीं बना सकते। जब शरद पवार और ममता बेनर्जी नहीं बना सके तो गुलाम नबी के लिए तो यह असंभव ही है।

यह हो सकता है कि वे अपने प्रांत में भाजपा के साथ हाथ मिलाकर चुनाव लड़ लें। सच्चाई तो यह है कि पिछले लगभग 50 साल से कांग्रेस एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की तरह काम कर रही है। कांग्रेस की देखादेखी सभी पार्टियां उसी ढर्रे पर चल पड़ी है। भाजपा भी उसका अपवाद नहीं है। गुलाम नबी आजाद वास्तव में अब आजाद हुए हैं। उन्होंने नबी की गुलामी कितनी की है, यह तो वे ही जानें लेकिन इंदिरा गांधी, संजय गांधी, राजीव गांधी और सोनिया गांधी की गुलामी में उनका पूरा राजनीतिक जीवन कटा है।

कांग्रेस में गुलाम-संस्कृति

मुझे खूब याद है, कांग्रेस में गुलाम-संस्कृति की! जब मेरे अभिन्न मित्र नरसिंहरावजी प्रधानमंत्री थे और मैं उनसे मिलने जाया करता था तो मेरे पिताजी की उम्रवाले कुछ मंत्री और गुलाम नबी जैसे मंत्री भी खड़े हो जाते थे और तब तक कुर्सी पर नहीं बैठते थे, जब तक कि मैं न बैठ जाऊं। गुलाम नबी, जो आज आजादी का नारा लगा रहे हैं, संजय गांधी के साथ उनके रिश्तों पर अन्य कांग्रेसी नेताओं की टिप्पणियां पढ़ने लायक हैं। जो नेता गुलाम नबी की निंदा कर रहे हैं, उनके दिल में भी एक गुलाम नबी धड़क रहा है लेकिन बेचारे लाचार हैं।

राहुल गांधी के बारे में गुलाम नबी की टिप्पणियां नई नहीं हैं। देश की जनता और सारे कांग्रेसी पहले से वह सब जानते हैं। गांधी, नेहरु, पटेल और सुभाष बाबू की कांग्रेस अब नौकर-चाकर कांग्रेस (एन.सी. कांग्रेस) बन गई हैं। अब यदि अशोक गहलोत या कमलनाथ या चिदंबरम या किसी अन्य को भी कांग्रेस अध्यक्ष बना दिया जाए तो वह क्या कर लेगा? यह एक शेर उस पर भी लागू होगा- ''इश्के-बुतां में जिंदगी गुजर गई मोमिन, अब आखिरी वक़्त क्या खाक़ मुसलमां होंगे?'' अब कांग्रेस को यदि कोई बचा सकता है तो वह एकमात्र सोनिया गांधी ही हैं। वे अपने बेटे को गृहस्थी बनाएं और अपनी बेटी को अपना गृहस्थ चलाने को कहें और पार्टी में ऊपर से नीचे तक चुनाव करवाकर खुद भी संन्यास ले लें। कांग्रेस की देखादेखी भारत की सभी पार्टियां 'ऊर्ध्वमूल' बन गई हैं याने उनके जड़ें छत में लगी हुई हैं। सोनियाजी यदि कांग्रेस को 'अधोमूल' बनवा दें याने उसकी जड़ें फिर से ज़मीन में लगवा दें तो भारत के लोकतंत्र की बड़ी सेवा हो जाएगी।

Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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