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Gorakhpur AIIMs 7 December: मोदी पूर्वांचल को समर्पित करेंगे चिकित्सा का सबसे बड़ा मंदिर, बोले डॉ. महेंद्र कुमार सिंह

Gorakhpur AIIMs 7 December: गोरखपुर में एम्स मुख्यमंत्री योगी की वर्षों की लोक तपस्या का प्रतिफल है।

Dr. Mahendra Kumar Singh
Written By Dr. Mahendra Kumar SinghPublished By Monika
Published on: 5 Dec 2021 4:03 PM IST
Pm modi purvanchal
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फोटो :सोशल मीडिया ) 

Gorakhpur AIIMs 7 December : पूर्वांचल के लोगों की चिकित्सा एवं स्वास्थ्य की सबसे बड़ी उम्मीद को पूरा करने वाला मंदिर बन कर तैयार है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सात दिसम्बर को गोरखपुर एम्स (Gorakhpur AIIMS) को नागरिकों को समर्पित करने वाले हैं। पूर्वांचल ही नहीं, बिहार एवं पड़ोसी राष्ट्र नेपाल के लोगों के लिए भी यह चिकित्सा संस्थान वरदान सिद्ध होने वाला है, जिन्हें दिल्ली एम्स (Delhi AIIMS) की फुटपाथों पर सर्द रातों, चुभती गर्मी और तूफानी बारिश में भीगकर अपने नम्बर का इंतजार करने को मजबूर होना पड़ता है।

दशकों के राजनीतिक परिदृश्य को अगर देखें तो सिर्फ दो राजनेताओं ने उत्तर प्रदेश के पूर्व में स्थित इस पिछड़े क्षेत्र के लोगों की कराह सुनी और समझी है। 1998 से लगातार गोरखपुर से सांसद रहे गोरखपीठ के महंत योगी आदित्यनाथ (CM Yogi ) ने पूर्वांचल के लोगों की वेदना तथा गोरखपुर में एम्स स्थापित करने की मांग अनेक बार संसद में उठाई मगर उनकी आवाज 2014 में सुनी गई, जब देश की बागडोर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi ) ने संभाली। गोरखपुर में एम्स मुख्यमंत्री योगी की वर्षों की लोक तपस्या का प्रतिफल है। प्रधानमंत्री मोदी गोरखपुर तथा आसपास के लोगों खास कर किसान बहनों-भाईयों को एक और सौगात देंगे। मोदी करीब ₹8603 करोड़ से 600 एकड़ भूमि में स्थापित नई फर्टीलाइजर फैक्टरी का भी शुभारंभ करेंगे।

गोरखपुर एम्स के शुरू होने से उच्च चिकित्सा सेवाओं के लिए पूरे क्षेत्र के लोगों को दिल्ली, मुम्बई में भटकना नही पड़ेगा और न ही महंगे निजी कॉरपोरेट हॉस्पिटल में जाने को मजबूर होना पड़ेगा।

नई उम्मीदों का आकाश पूर्वांचल वासियों के सामने

कई सर्वे और स्टडीज साबित करती हैं कि स्वास्थ्य पर होने वाले खर्चों की वजह से एक बहुत बड़ी जनसंख्या गरीबी रेखा के नीचे चली जाती है। पिछड़ा पूर्वांचल क्षेत्र भी इसी चक्रव्यूह में फंसा हुआ था। अब एक नई उम्मीदों का आकाश पूर्वांचल वासियों के सामने है। चिकित्सा और शिक्षा को नई ऊंचाई प्रदान करने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री मोदी ने 22 जुलाई 2016 को गोरखपुर एम्स का शिलान्यास किया था।

करीब ₹1012 करोड़ की लागत वाले तथा 112 एकड़ में विस्तृत इस चिकित्सा संस्थान में ओपीडी का उद्घाटन फरवरी 2019 को किया गया और इस समय 16 सुपरस्पेशलिटी विभागों की ओपीडी शुरू हो चुकी है। उद्घाटन के बाद 300 बेड का अस्पताल पूरी तरह से कार्य करना शुरू कर देगा। इसे 750 बेड तक विस्तारित करने की योजना है।

स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए तरसता पूर्वांचल दशकों से राजनीति उपेक्षा का शिकार रहा। करीब चार दशकों तक जापानी इंसेफेलाइटिस यहां के हजारों बच्चों को हर वर्ष निगलता रहा। सरकारें बदलती रहीं मगर किसी ने सुध तक नहीं ली। नवजात शिशुओं को खोने की अपार पीड़ा की लड़ाई योगी ने सांसद के रूप में संसद से ले कर सड़क तक लड़ी पर तत्कालीन नीति निर्माताओं के कानों तक आवाज नहीं पहुँची। वर्ष 2017 में योगी आदित्यनाथ के प्रदेश का मुख्यमंत्री बनते ही परिदृश्य बदलने लगा। उन्होंने इंसेफेलाइटिस के खिलाफ न सिर्फ जंग छेड़ी, बल्कि समन्वित प्रयासों से इस महामारी पर नियंत्रण कर लिया गया। केंद्र सरकार ने पूरा सहयोग दिया और यह पूर्वांचल के लोगों केलिए बहुत बड़ा सुअवसर है कि प्रधानमंत्री मोदी सात दिसम्बर को गोरखपुर के बाबा राघवदास मेडिकल कॉलेज में स्थापित रीजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर की नौ लैब्स को भी राष्ट्र को समर्पित करेंगे। ये लैब्स जापानी इंसेफेलाइटिस के कारगर परीक्षण और शोध पर कार्य करेंगी। यह राज्य स्तरीय वायरस प्रशिक्षण लैब कोविड-19 की जांच और शोध के साथ अन्य विषाणुजनित बीमारियों पर पर शोध कार्य करेगा।

अब प्रदेश में दो एम्स

अब प्रदेश में दो एम्स संचालित हैं। एक गोरखपुर में और दूसरा रायबरेली में। वर्ष 2007 में रायबरेली एम्स की स्वीकृति मिली लेकिन राजनीतिक इच्छाशक्ति के अभाव की वजह से इसके संचालन में देरी हुई। मोदी-योगी की जोड़ी बनते ही प्रदेश में स्थापित दोनों एम्स विश्वस्तरीय मानक से सुसज्जित हुए और प्रदेश में स्वास्थ्य सेवा के नए युग की शुरुआत हुई। इस जोड़ी को ही एम्स के संचालन का श्रेय जाता है। वहीं जिस बीमारी के आहट मात्र से ही पूरा परिवार हिल जाता हो, उस कैंसर के इलाज के लिए वाराणसी में देश का दूसरा बड़ा कैंसर हॉस्पिटल 'महामना कैंसर संस्था न' भी मरीजों के इलाज के लिए खोल दिया गया है।

2017 में प्रदेश में योगी सरकार बनने के बाद से स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर पर विशेष ध्यान दिया गया। योगी सरकार आज 'एक जनपद एक मेडिकल कॉलेज' के मंत्र के साथ आगे बढ़ रही है। प्रदेश के 59 जनपदों में कम से कम एक मेडिकल कॉलेज क्रियाशील है। 16 जनपदों में PPP मॉडल पर मेडिकल कॉलेज की स्थापना प्रक्रिया प्रारंभ हो चुकी है।

प्रदेश में पहले आयुष विश्विद्यालय महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय का गोरखपुर में शिलान्यास किया गया और निर्माण कार्य शुरू हो चुका है। लखनऊ में अटल बिहारी वाजपेयी चिकित्सा विश्वविद्यालय का निर्माण प्रारम्भ हो चुका है।

लोगों को चिकित्सा पर होने वाले खर्चों से राहत देने के लिए प्रदेश में प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (आयुष्मान भारत) में 6 करोड़ 47 लाख लोगों को बीमा कवर दिया गया है। इसके साथ ही 42.19 लाख लोगों का मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना में बीमा कवर सुनिश्चित किया गया है।

स्वास्थ शिक्षा पर भी योगी सरकार विशेष ध्यान दे रही

चिकित्सा क्षेत्र के समग्र विकास के लिए स्वास्थ शिक्षा पर भी योगी सरकार विशेष ध्यान दे रही है। प्रदेश में एमबीबीएस की 938 सीटें बढ़ाई गईं हैं तथा केंद्र सरकार से 900 सीटें बढ़ाए जाने की अनुमति शीघ्र मिलने की सम्भावना है। एमडी एवं एमएस में 127 सीटों की वृद्धि की गई है। चिकित्सकों की सेवानिवृत्ति आयु 60 वर्ष से बढ़ाकर 62 वर्ष कर दी गई है। इसके साथ ही 1104 भारतीय जन औषधि केन्द्रों के माध्यम से सस्ती एवं गुणवत्तापूर्ण दवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं।

योगी सरकार के प्रयासों का ही प्रतिफल है कि आज नेशनल इंस्टिट्यूशनल रैकिंग फ्रेमवर्क ( एनआईआरएफ ) की इंडिया रैंकिंग में एसजीपीजाई 5वें, बीएचयू 7वें, केजीएमयू, लखनऊ 9वें तथा एएमयू 15वें स्थान पर है।

योगी के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश ने कोरोना महामारी का बेहतर प्रबंधन किया, टीकाकरण में भी अग्रणी भूमिका में है। 16 करोड़ लोगों को वैक्सीन की एक डोज तथा 5 करोड़ से अधिक लोगों को कोविड टीके की दोनों डोज का सुरक्षा कवच प्रदान करने वाला देश का प्रथम राज्य बन गया है।

प्रधानमंत्री मोदी के मार्गदर्शन में मुख्यमंत्री योगी के लोककल्याण की प्रतिज्ञा का ही सुफल है कि आज उत्तर प्रदेश अपने लोगों को उनके नजदीक ही उच्च स्तरीय स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने की दिशा में सफलता हासिल कर रहा है।

राजनीति, गोरखपीठ के संतों के लिए सिद्धि नहीं, बल्कि लोक-साधना का माध्यम है। उन्होंने राजनीति को लोक सेवा, लोककल्याण का माध्यम बनाया है। उत्तर प्रदेश के 24 करोड़ लोग इसे पूरी शिद्दत से महसूस भी कर रहे हैं।

(डॉ. महेंद्र कुमार सिंह वरिष्ठ स्तंभकार हैं एवं डीडीयू गोरखपुर विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर है। यह लेखक के निजी विचार हैं।)



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Monika

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पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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