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कोरोनावायरस- मुकम्मल नहीं हैं इंतजाम
अभी भी वक्त है सरकारों को जाग जाना चाहिए और पूरी तरह से एक्शन मोड में आकर गरीबों के बारे सोचना चाहिए नहीं तो आने वाली स्थिति भयावह होगी
लखऩऊः पूरी दुनिया इस वक्त कोरोना नामक महामारी से हलाकान है भारत जैसे देश में ये समस्या और गंभीर तथा जटिल भी हो जाती है क्योंकि यहां की जनसंख्या काफी अधिक है.उसके अनुपात में यहां स्वास्थ्य सुविधाएं बहुत कम हैं.जानकारों के मुताबिक कोरोना की ये लहर पहले से भी कहीं ज्यादा खतरनाक है क्योंकि इसका संक्रमण पहली लहर के मुकाबले ज्यादा तेजी से फैला है.इस बार ये वायरस युवाओं को भी अपना शिकार तेजी से बना रहा है भोपाल और लखनऊ से लाशें जलने की जो तस्वीरें सामने आई हैं उनको देखकर किसी का भी कलेजा कांप उठेगा.ऐसे वक्त में सरकार पर सवाल उठना लाज़मी है.
सबसे अहम बात बात ये है कि क्या सरकार ने कोरोना की पहली लहर से कुछ भी नहीं सीखा इसके पीछे कई बड़े कारण हैं जैसे- कोरोना का ग्राफ नीचे गया था खत्म नहीं हुआ था, जानकारों ने पहले ही आगाह किया था कि दूसरी लहर पहली से ज्यादा खतरनाक होगी,अगर लॉकडाउन लगाना पड़ा तो किन शहरों में सबसे पहले लगेगा? ऑक्सीजन सिलेंडरों की कमी हुई तो कैसे निपटा जाएगा? क्योंकि तमाम राज्यों से फिर वही नजारा सामने आ रहा है जो पिछले साल था तो क्या हमारी सरकारों ने कोई सबक ही नहीं लिया. गरीबों के लिए कोई ऐसी योजना लागू की गई जिससे उसको लॉकडाउन शब्द सुनते ही डर न लगे अगर की भी गई तो जमीन पर वो कितना कारगर हुई इसकी समीक्षा क्यों नहीं की गई? जो अमीर वर्ग है वो तो प्राइवेट अस्पतालों में अपना इलाज आसानी से करवा लेगा, लॉकडाउन में अगर किसी चीज का दाम भी बढ़ गया फिर भी उसको दिक्कत नहीं होगी लेकिन गरीब का तो एकमात्र आसरा सरकार की कल्याणकारी योजनाएं होती हैं पर वो उनका कल्याण कर नहीं पा रही इसलिए गरीबों के चेहरे पर चिंता की लकीरें साफ साफ देखी जा सकती हैं.
अभी भी वक्त है केंद्र और राज्य सरकार दोनों को जाग जाना चाहिए और पूरी तरह से एक्शन मोड में आकर गरीबों के बारे में सोचना चाहिए नहीं तो आने वाली स्थिति भयावह होगी इसमें कोई संदेह नहीं है.
सभी राज्यों को केंद्र के साथ मिलकर इस पर ऐसी योजना बनानी होगी जिससे कोरोना के खतरे को कम किया जा सके व जरूरत मंद को बिना किसी कठिनाई के दैनिक उपयोग की वस्तुएं मुहैया करवाईं जा सके नहीं तो गरीब जनता की स्थिति काफी दयनीय हो जाएगी.पिछले वर्ष की भांति इस बार स्टेशनों पर प्रवासी मजदूरों का उमड़ता हुजूम इस बात की गवाही दे रहा कि सरकार द्वारा किए गए इंतजाम नाकाफी साबित हो रहे.
जागिए सरकार और अपने सिस्टम की कार्यक्षमता में वृद्धि करिये इस वक्त गरीबों का आसरा आप ही हो.सरकार की ओर से हेल्पलाइन नंबर जारी किए जा रहे, गरीबों को मुफ्त में राशन दिए जा रहे लेकिन एक बड़ी जनसंख्या अभी भी इन सबसे महरूम क्यों रह जा रही? सरकार को अपने किये गए कार्यों में तेजी लाकर जल्द से जल्द गरीबों के हित के लिए कोई ठोस कदम उठाना चाहिए.