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पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के विचार धारा से ही आएगी हरित क्रांति

पूर्व प्रधानमंत्री स्व. चौधरी चरण सिंह का आज 29 मई को स्मृति दिवस है। वे भारत के पांचवें प्रधानमन्त्री थे।

rajeev gupta janasnehi
Written By rajeev gupta janasnehiPublished By Ashiki
Published on: 28 May 2021 6:20 PM IST
Former Prime Minister Chaudhary Charan Singh
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पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह (फाइल फोटो- सौ. सोशल मीडिया)

पूर्व प्रधानमंत्री स्व. चौधरी चरण सिंह का आज 29 मई को स्मृति दिवस है। वे भारत के पांचवें प्रधानमन्त्री थे। उन्होंने यह पद 28 जुलाई 1979 से 14 जनवरी 1980 तक सम्भाला। चौधरी चरण सिंह ने अपना सम्पूर्ण जीवन भारतीयता और ग्रामीण परिवेश की मर्यादा में जिया। वो किसानों के मसीहा थे।

गर्व की बात है आगरा के लिए, आगरा विश्वविद्यालय से कानून की शिक्षा लेकर 1928 में चौधरी चरण सिंह ने ईमानदारी, साफगोई और कर्तव्यनिष्ठा पूर्वक गाजियाबाद में वकालत प्रारम्भ की। वकालत जैसे व्यावसायिक पेशे में भी चौधरी चरण सिंह उन्हीं मुकदमो को स्वीकार करते थे, जिनमें मुवक्किल का पक्ष न्यायपूर्ण होता था। 929 में चौधरी चरण सिंह मेरठ आ गए। मेरठ आने के बाद इनकी शादी जाट परिवार की बेटी गायत्री देवी जी के साथ सम्पन्न हुई।

गायत्री देवी का परिवार रोहतक ज़िले के 'गढ़ी ग्राम' में रहता था। यह वह समय था जब देश में स्वाधीनता संग्राम तीव्र गति पकड़ चुका था। चरण सिंह स्वयं को देश की पुकार से अलग नहीं रख पाए। इन्होंने वक़ालत को त्यागकर आन्दोलन में भाग लेने का मन बना लिया। उस समय कांग्रेस एक बहुत बड़ी पार्टी थी। चरण सिंह भी कांग्रेस के सदस्य बन गए। कांग्रेस में उनकी छवि एक कुशल कार्यकर्ता के रूप में स्थापित हुई। 1937 के विधानसभा चुनाव में इन्हें सफलता प्राप्त हुई, और यह छत्रवाली विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित हुए।स्वाधीनता के समय जब उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया। तो इस दौरान उन्होंने बरेली कि जेल से दो डायरी रूपी किताब भी लिखी।

स्वतन्त्रता के पश्चात् वह राम मनोहर लोहिया के ग्रामीण सुधार आन्दोलन में लग गए।यहाँ बताते चले स्व चौधरी चरण सिंह जी का जन्म एक जाट परिवार मे हुआ था।श्री चरण सिंह के जन्म के 6 वर्ष बाद पिता चौधरी मीर सिंह सपरिवार नूरपुर से जानी खुर्द के पास भूपगढी आकर बस गये थे। यहीं के परिवेश में चौधरी चरण सिंह के नन्हें ह्दय में गांव-गरीब-किसान के शोषण के खिलाफ संघर्ष का बीजारोपण हुआ। राजनीति यूपी में 'जो जमीन को जोते-बोये वो जमीन का मालिक है' का क्रियान्वयन चरण सिंह ने किया।आपके लिए किसान का दुःख आपका दुःख होता था |लंबे समय तक स्वाधीनता के बाद आप किसानो के मसीहा रहे|

एक समर्पित लोक कार्यकर्ता एवं सामाजिक न्याय में दृढ़ विश्वास रखने वाले श्री स्व चरण सिंह को लाखों किसानों के बीच रहकर प्राप्त आत्मविश्वास से काफी बल मिला।

श्री स्व चौधरी चरण सिंह ने अत्यंत साधारण जीवन व्यतीत किया और अपने खाली समय में वे पढ़ने और लिखने का काम करते थे। उन्होंने कई किताबें लिखी जिसमें 'ज़मींदारी उन्मूलन', 'भारत की गरीबी और उसका समाधान', 'किसानों की भूसंपत्ति या किसानों के लिए भूमि, 'प्रिवेंशन ऑफ़ डिवीज़न ऑफ़ होल्डिंग्स बिलो ए सर्टेन मिनिमम', 'को-ऑपरेटिव फार्मिंग एक्स-रयेद्' आदि प्रमुख हैं।

आपकी विरासत कई जगह बंटी| आज जितनी भी जनता दल परिवार की पार्टियाँ हैं, उड़ीसा में बीजू जनता दल हो या बिहार में राष्ट्रीय जनता दल हो या जनता दल यूनाएटेड ले लीजिए या श्री ओमप्रकाश चौटाला का लोक दल , आपके सपुत्र श्री अजीत सिंह का ऱाष्ट्रीय लोक दल हो या श्री मुलायम सिंह की समाजवादी पार्टी हो, ये सब स्व चरण सिंह की विरासत हैं,लेकिन अफ़सोस किसान का दर्द और किसान नेता कोइ ना बन सका ।देश में कुछ-ही राजनेता ऐसे हुए हैं जिन्होंने लोगों के बीच रहकर सरलता से कार्य करते हुए इतनी लोकप्रियता हासिल की हो।

23 दिसंबर 2020 को उनकी 118वीं जयंती मनायी गयी।उनके उत्तराधिकारी श्री स्व अजीत सिंह का गत माह निधन हो गया| स्व चौधरी साहब की तीसरी पीढ़ी के रूप में श्री चौधरी जयंत जी का राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष पर पर्दापण हुआ है। देखना है की बाबा श्री की विचार धारा 'जो जमीन को जोते-बोये वो जमीन का मालिक है' का क्रियान्वयन व आर्थिक बोझ तले दबा रहेगा या पूँजीपति के हाथ वह शोषण सहेगा ।आज किसान आंदोलन में आपकी द्वारा स्थापित अनेक दलों की चुप्पी ने स्व चौधरी चरण जी की आत्मा को बहुत दुःख दिया | अब देखना आज के युवा श्री जयंत चौधरी क्या गुल खिलाते है क्या वह अपना राजनीतिक कैरीअर बनाऐगे या किसान के मसीहा बनकर उभरेंगे|बाबा श्री के यह नारा- "देश की समृद्धि का रास्ता गांवों के खेतों एवं खलिहानों से होकर गुजरता है।" और इस मार्मिक नारे को आंशिक सत्य साबित कर पाएँगे। अब मुझे तो कम उम्मीद दिखती है जो चौधरी साहब की तरह किसानो के मर्ज़ का डॉक्टर बन सके।

Ashiki

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