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Hanskhali rape case: गर्हित है ममता का नजरिया !

नदिया के ग्राम हंसखली में नौंवी दर्जे की एक चौदह-वर्षीया छात्रा का सामूहिक बलात्कार हुआ। खून से लथपथ दूसरे दिन (रविवार, 10 अप्रैल 2022) वह मर गयी।

K Vikram Rao
Written By K Vikram RaoPublished By Shashi kant gautam
Published on: 13 April 2022 8:09 PM IST
mamata banerjee
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Mamata Banerjee : Photo - Social Media

नदिया (पूर्वी बांग्ला में महाप्रभु चैतन्य से ख्यात) के ग्राम हंसखली (Village Hanskhali) में नौंवी दर्जे की एक चौदह—वर्षीया छात्रा का सामूहिक बलात्कार (girl gang rape) हुआ। खून से लथपथ दूसरे दिन (रविवार, 10 अप्रैल 2022) वह मर गयी। बिना पोस्टमार्टम किये, बिना मृत्यु प्रमाणपत्र के पुलिस ने रात में उसका शवदहन कर दिया। अभियुक्त है सत्तारुढ तृणमूल कांगेस (ruling Trinamool Congress) के शीर्ष नेता समर ग्वाला का 21—वर्षीय पुत्र बृजगोपाल। अभी न्यायिक हिरासत में जेल में है। कलकत्ता हाईकोर्ट (Calcutta High Court) के मुख्य न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव तथा न्यायमूर्ति राजर्षी भारद्वाज ने सीबीआई द्वारा जांच के आदेश दे दिये हैं, ताकि मृतक के परिवार को विश्वास हो जाये कि इंसाफ मिलेगा। रपट 2 मई तक मांगी है।

इस वारदात पर कोलकाता के विश्व बांग्ला मेला प्रांगण में संवाददाताओं के सवाल पर टिप्पणी करते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा : ''क्या पीड़िता का वास्तव में बलात्कार किया गया था या उसका कोई प्रेम संबंध था, जिससे वह गर्भवती हो गयी?'' तृणमूल की तेज तर्रार लोकसभाई महुआ मोइत्रा ने सटीक कहा : ''छात्रा नाबालिग थी। स्वीकृति होने पर भी यौन कर्म करना बलात्कार ही है। पॉक्सो (बच्चों के साथ यौन अपराध) अधिनियम के तहत दण्डनीय अपराध है।'' मुख्यमंत्री के कथन पर तीखी टिप्पणी में निर्भया की मां आशा देवी (बलियावासी) ने खेद व्यक्त करते हुए कहा कि : ''महिला होकर ममता बनर्जी उत्पीड़ित छात्रा पर ऐसी राय व्यक्त करतीं हैं?'' आशा देवी ने सात वर्ष दिल्ली में अदालती संघर्ष के बाद चार बलात्कारियों को तिहाड़ जेल में फांसी दिलवायी थी।

ममता बनर्जी ने प्रदेश बालकल्याण बोर्ड द्वारा जांच सुझाया

राष्ट्रीय महिला आयोग (National Women Commission) की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने भी तहकीकात के आदेश दे दिये। हालांकि ममता बनर्जी ने प्रदेश बालकल्याण बोर्ड द्वारा जांच सुझाया था। इसी दरम्यान भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रसाद नड्डा ने पांच—महिला सदस्योंवाली जांच समिति को घटनास्थल रवाना किया है। सदस्यों में यूपी की काबीना मंत्री बेबीरानी मौर्य, सांसद रेखा वर्मा, तमिलनाडु विधायक वनती श्रीनिवासन नामित हैं। अभियुक्तों पर हत्या, सामूहिक दुष्कर्म, साक्ष्य को नष्ट करने की साजिश तथा बाल यौन अपराध संबंधी धारायें लगी हैं।

इसी सिलसिले में कोलकाता हाईकोर्ट ने बांग्ला पुलिस वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी दमयन्ती सेन को निर्दिष्ट किया है कि वह गत दिनों में हुयी चार अन्य बलात्कारी घटनाओं की जांच करें तथा शीघ्र रपट पेश करें। ये घटनायें मातिया, देवगंगा (24 परगणा), इंग्लिश बाजार (मालदा) और बंसडोनी (कोलकाता) में हुयी थीं।

यह पूछे जाने पर कि निधन के चार दिन बाद देर से पुलिस रपट क्यों लिखाई गयी ? तो पीड़िता के पिता ने कहा कि : ''हम लोग गरीब हैं। अपराधी सत्तासीन पार्टी के दबंग का बेटा है।'' पीड़िता के माता—पिता ने पत्रकारों के पूछने पर बताया कि : ''चार अप्रैल को मेरी बेटी समर ग्वाला के बेटे के निमंत्रण पर बर्थडे में गयी थी। वे शाम को 7:30 बजे मेरी बेटी को घर छोड़ गये थे। मैं वहां नहीं था, मेरी पत्नी ने बताया कि एक महिला और दो युवक उसे घर पहुंचाने आये थे। हम उन्हें नहीं जानते। हम सिर्फ इतना जानते हैं कि हमारी बेटी समर ग्वाला के घर पर बर्थडे पार्टी में गयी थी।'' उन्होंने कहा : '' मेरी बेटी जब पार्टी से लौटी, तब उसके खून बह रहा था।

समर के बेटे ने मेरी बेटी का रेप किया है- पीड़िता की मां

हम समझे रजोधर्म के कारण रक्तस्राव हो रहा है। अगली सुबह उसकी तबीयत बेहद खराब हुयी, तब हम डॉक्टर के पास लेकर गये। वापस जब तक हम घर लौटते, उसकी जान जा चुकी थी।'' पीड़िता की मां ने कहा कि : ''वे लोग बर्थडे पार्टी के लिए मेरी बेटी को शाम चार बजे ले गये थे। समर के बेटे ने मेरी बेटी का रेप किया है। जो लोग उसे घर छोड़ने आये थे, उन्होंने हमें धमकियां दी थीं। इसलिए हमने कुछ नहीं कहा था, लेकिन अब हम उन्हें सजा दिये जाने की मांग करते हैं।''

ऐसी अमानुषिक घटनाओं पर साधारणतय: विरोध प्रदर्शन के संदर्भ में एक अजूबा लखनऊ तथा दिल्ली में दिखा। अमूमन जीपीओ पार्क में लगी बापू की प्रतिमा के समक्ष महिला पुरोधायें (प्रो. रुपरेखा वर्मा, आदि) मोमबत्ती जलाती हैं। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट सांसद रहीं सुहासिनी अली की प्रतीक्षा थी क्योंकि उनकी पार्टी के सभी प्रत्याशियों को बंगाल विधानसभा में ममता बनर्जी ने बुरी तरह पराजित कर दिया था। अधुना एक भी माकपा विधायक नहीं है, जबकि 37—वर्ष तक माकपा ने राज किया था।

प्रियंका गांधी मौके पर नहीं पहुंचीं

''लड़की हूं, लड़ सकती हूं,'' का नारा देने वाली प्रियंका गांधी भी नदिया में न पधारीं, न दहाड़ीं। नारी अस्मिता की सुरक्षा के अथक पुरोधा लोहियावादी अखिलेश यादव ने भी शोरभारी खामोशी रखी। कारण? शायद तृणमूल कांग्रेस अध्यक्षा द्वारा चुनाव अभियान से अनुगृहीत रहे। ये समस्त प्रश्न अब ज्वलंत हैं, जवाब चाहते हैं।

Shashi kant gautam

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