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इन मंत्रियों से देश सीखे
एक समय नितिन गडकरी महाराष्ट्र सरकार में लोक निर्माण मंत्री थे। नागपुर के रामटेक में सरकार सड़क बनवा रही थी। सड़क के बीचो बीच उनके ससुर का मकान भी खड़ा था। बिना सोचे मकान को गिरवा दिया।
अपने देश के मंत्रियों और नेताओं का व्यवहार कुछ ऐसा बन गया है, कि कभी-कभी हमें उनकी कड़ी आलोचना करनी पड़ती है। लेकिन अभी-अभी हमारे दो मंत्रियों और एक मुख्यमंत्री के ऐसे किस्से सामने आए हैं, जो हमें इतिहास-प्रसिद्ध महाराजा सत्यवादी हरिश्चंद्र (Maharaja Satyawadi Harishchandra) और सम्राट विक्रमादित्य (Emperor Vikramaditya) के आदर्श आचरण की याद दिला देते हैं। सबसे पहले लें केंद्रीय मंत्री श्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) को! गडकरी ने कल दिल्ली-मुंबई महापथ के निर्माण-कार्य का निरीक्षण करते हुए अपना एक किस्सा सुनाया।
उस समय वे महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Government) में लोक निर्माण मंत्री थे। उनकी शादी अभी-अभी हुई थी। नागपुर के रामटेक में सरकार सड़क बनवा रही थी। उस सड़क के बीचो बीच उनके ससुर का मकान भी खड़ा था। उन्होंने अपनी पत्नी को भी नहीं बताया और उस मकान को गिरवा दिया। गडकरी जैसे कितने मंत्री अपने देश में हुए हैं ? इसीलिए गडकरी को गदगदकरी कहता हूँ। जब हम लोग बच्चे थे तो इंदौर में महारानी अहिल्याबाई (Maharani Ahilyabai in Indore) के किस्से सुना करते थे। उसमें एक किंवदती यह थी कि उन्होंने अपने राजपुत्र को किसी संगीन अपराध के कारण भरे दरबार में हाथी के पाँव के नीचे दबवा दिया था।
सच्चा राजा वही है, सच्चा जन-सेवक वही है, जो अपने-पराए के भेदभाव से ऊपर उठकर निष्पक्ष न्याय करे। ऐसी ही कथा सत्यवादी हरिश्चंद्र (harishchandra) के बारे में हम बचपन से सुनते आए हैं। वे अपना राज-पाट त्यागने के बाद जब एक श्मशान घाट में नौकरी करने लगे तो उन्होंने अपने बेटे रोहिताश्व की अंत्येष्टि के पहले अपनी पत्नी तारामती से नियमानुसार शुल्क मांगा। उनके पास पैसे नहीं थे। इस पर हरिश्चंद्र ने कहा,"अपनी आधी साड़ी ही फाड़कर दे दो। यही शुल्क हो जाएगा।"
स्वास्थ्य मंत्री आम नागरिक की तरह पहुंचे थे अस्पताल
इन आदर्शों का पालन हमारे नेता करें तो यह कलियुग सतयुग में बदल सकता है। कुछ इसी तरह का काम छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) ने कुछ दिन पहले कर दिखाया। उनके पिता ने ब्राह्मणों के विरुद्ध कोई आपत्तिजनक बयान दे दिया था। उन्होंने कोई लिहाज-मुरव्वत नहीं दिखाई। उन्होंने अपने पिता को गिरफ्तार कर लिया। भूपेश स्वयं पितृभक्त और मित्रभक्त है । लेकिन उन्होंने अपना राजधर्म निभाया। ताज़ा खबर यह है कि नए स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया (Mansukh Mandaviya) साधारण मरीज़ बनकर दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल (Safdarjung Hospital) पहुंच गए। वे एक बेंच पर जाकर बैठ गए। चौकीदार ने डंडा मारा और उन्हें वहाँ से उठा दिया। यह बात उन्होंने जब नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) को बताई तो नरेंद्र भाई ने उनसे पूछा, " उसे मुअत्तिल कर दिया गया?" तो मनसुख भाई ने कहा,"नहीं, क्योंकि वह व्यवस्था को बेहतर बना रहा था।''
अद्भुत है, यह प्रतिक्रिया, एक मंत्री की! देश में कितने मंत्री हैं, जो साधारण वेश पहनकर इस तरह जन-सुविधाओं की निगरानी करते हैं? यदि हमारे मंत्री और नेता और प्रधानमंत्री भी इस तरह का सत्साहस करें तो उनके डर के मारे ही बहुत-सी अव्यवस्था और भ्रष्टाचार से देश को मुक्ति मिल सकती है।