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Corruption: भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में सामूहिक इच्छाशक्ति का महत्व

Corruption: पिछले कुछ वर्षों में, भ्रष्टाचार की गतिविधियों को दंडित करने और चिह्नित करने के साथ-साथ निवारक उपायों को संस्थागत बनाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है, जैसे शासन को आधुनिक बनाना, आईटी का लाभ उठाना, प्रक्रियाओं को फिर से तैयार करना, नियंत्रण और संतुलन को व्यवस्थित करना आदि।

Jasmine Keishing
Published on: 9 Sep 2023 5:13 AM GMT
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corruption (photo: social media )

Corruption: भ्रष्टाचार मुक्त समाज निर्माण की दिशा में एक अभियान के भाग के रूप में, भारत सरकार द्वारा भ्रष्टाचार विरोधी संरचना को मजबूत करने के लिए विभिन्न पहलें की गई हैं। देश की सत्यनिष्ठा के प्रति एक सर्वोच्च संस्था के रूप में, केंद्रीय सतर्कता आयोग इन अधिकांश पहलों में सबसे आगे रहा है। पिछले कुछ वर्षों में, भ्रष्टाचार की गतिविधियों को दंडित करने और चिह्नित करने के साथ-साथ निवारक उपायों को संस्थागत बनाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है, जैसे शासन को आधुनिक बनाना, आईटी का लाभ उठाना, प्रक्रियाओं को फिर से तैयार करना, नियंत्रण और संतुलन को व्यवस्थित करना आदि। हालांकि, भ्रष्टाचार के प्रति कोई सहनशीलता नहीं (जीरो टोलेरेंस) के संदेश को आंतरिक बनाने और लागू करने में, नागरिक भागीदारी और सामूहिक इच्छाशक्ति इनसे जुड़ी पहलों के मूल में होना चाहिए।

केंद्रीय सतर्कता आयोग, भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी लड़ाई में, सभी हितधारकों को एक साथ लाने और लोक प्रशासन में पारदर्शिता और निष्ठा लाने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करने के लिए सहभागी सतर्कता की व्यवस्था का उपयोग करता है। सतर्कता जागरूकता सप्ताह, जो इस दिशा में बड़े पैमाने पर होने वाला वार्षिक आउटरीच कार्यक्रम है, इस वर्ष 30 अक्टूबर से 5 नवंबर तक मनाया जा रहा है।

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पिछले कुछ वर्षों में, सतर्कता जागरूकता सप्ताह को सरकारी के साथ-साथ गैर-सरकारी हितधारकों से उत्साहपूर्ण भागीदारी और समर्थन प्राप्त हुआ है। संगठनों को सेमिनार, जागरूकता ग्राम सभा और जीवन के सभी क्षेत्रों में निष्ठा के महत्व को प्रसारित करने के उद्देश्य से कार्यक्रम आदि आयोजित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। अब तक 16 मिलियन से अधिक नागरिकों और 2,50,000 से अधिक संगठनों द्वारा ई-निष्ठा संकल्प लिए गया है।

ये कार्यक्रम, भ्रष्टाचार के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के अनुच्छेद 13 की भावना का भी पालन करते हैं, जिसके अनुसार, "….समाज की भागीदारी होनी चाहिए और सार्वजनिक क्षेत्र के बाहर व्यक्तियों और समूहों जैसे नागरिक समाज, गैर-सरकारी संगठनों और समुदाय-आधारित संगठनों की सक्रिय भागीदारी को बढ़ावा दिया जाना चाहिए, ताकि भ्रष्टाचार के निवारण और इसके खिलाफ लड़ाई में, भ्रष्टाचार के अस्तित्व, कारणों और इसकी गंभीरता व इसके खतरे के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ायी जा सके।“

तीन महीने का एक अभियान

सतर्कता जागरूकता सप्ताह की पूर्व तैयारी के तहत तीन महीने का एक अभियान शुरू किया गया है, जिसमें छह निवारक सतर्कता उपाय शामिल किये गए हैं। इन उपायों को संगठनों के काम करने के प्रमुख क्षेत्रों के रूप में चुना गया है। इनमें शामिल हैं - व्यक्तियों (व्हिसिलब्लोअर) की शिकायतों पर जागरूकता निर्माण, क्षमता निर्माण कार्यक्रम, प्रणालीगत सुधार उपाय, शिकायत निपटान के लिए आईटी का लाभ उठाना, परिपत्रों, दिशानिर्देशों व नियमावली को अद्यतन करना और लंबित शिकायतों का निपटान करना।

ये निवारक पहलें प्रक्रियाओं में सुधार और प्रणालीगत परिवर्तन लाने पर जोर देने के लिए शुरू की गई हैं। इनका लक्ष्य शासन में संपूर्ण बदलाव लाना है, जिससे सरकारी कामकाज में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी।

G20 Summit: जी-20 के मंच के माध्यम से भ्रष्टाचार से निपटना

2022 में, केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के सहयोग से, केंद्रीय सतर्कता आयोग द्वारा एक राष्ट्रव्यापी निबंध प्रतियोगिता आयोजित की गई थी। इस प्रतियोगिता में देश भर के दस हजार से अधिक स्कूलों के लगभग 7.6 लाख छात्रों ने भाग लिया था।

आयोग का शिकायत प्रबंधन पोर्टल, जिसका उद्घाटन पिछले साल माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा किया गया था, भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में नागरिकों की भागीदारी बढ़ाने का एक और प्रयास है। इस पोर्टल के माध्यम से कोई भी नागरिक, जिसने केंद्र सरकार के किसी भी अधिकारी को गलत काम करते देखा है, सीधे आयोग में शिकायत दर्ज कर सकता है। यदि नागरिक, किसी भी कारण से अपनी पहचान का खुलासा नहीं करना चाहता है, तो वे सीधे आयोग के पास एक जागरूक व्यक्ति (व्हिसलब्लोअर) शिकायत दर्ज कर सकता है। इस उपाय के माध्यम से शीर्ष निकाय को जनता के लिए सुलभ बनाया गया है।

जागरूकता आधारित शिकायत

भारत में, जागरूकता आधारित शिकायत (व्हिसिल-ब्लोइंग) को जनहित प्रकटीकरण और सूचना प्रदाता संरक्षण (पीआईडीपीआई) विनियम से विधायी समर्थन प्राप्त होता है। इस विनियम के माध्यम से, शिकायतकर्ता की पहचान गोपनीय रखी जाती है और यदि उन्हें सुरक्षा की आवश्यकता महसूस होती है, तो आयोग आवश्यक सुरक्षा प्रदान कर सकता है। यह नागरिकों को किसी भी जानकारी के साथ आगे आने के लिए प्रोत्साहित करता है, साथ ही गुमनाम या छद्म नाम से शिकायतें दर्ज करने में कमी लाता है।

ये पहलें भ्रष्टाचार को अस्वीकार करने की संस्कृति वाले समुदायों और समाजों के निर्माण को बढ़ावा देतीं हैं। अंत में यह कहा जा सकता है कि भले ही केंद्रीय सतर्कता आयोग और अन्य सरकारी निकाय सक्रिय रूप से भ्रष्टाचार की रोकथाम और इसके खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखे हुए हैं, लेकिन वास्तविक शक्ति नागरिकों के हाथों में है और वे किस प्रकार शासन में ईमानदारी को प्रभावित कर सकते हैं। वास्तविक व स्थायी परिवर्तन लाने के लिए नागरिकों को लगातार समर्थन दिया जाना चाहिए और उन्हें सशक्त बनाया जाना चाहिए।

( लेखक क्रमश सीवीसी में सचिव और उप सचिव के पद पर कार्यरत हैं। )

Monika

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Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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