×

इंदौर मुझमें रहता है

मुझे गर्व है कि इंदौर को लगातार चौथी बार भारत का सबसे स्वच्छ शहर घोषित किया गया है।

Newstrack
Published on: 22 Aug 2020 5:02 AM GMT
इंदौर मुझमें रहता है
X
इंदौर मुझमें रहता है

डॉ. वेदप्रताप वैदिक

मुझे गर्व है कि इंदौर को लगातार चौथी बार भारत का सबसे स्वच्छ शहर घोषित किया गया है। मुझे दिल्ली में बसे 55 साल हो गए लेकिन इंदौर में जन्म के बाद जो 21 साल कटे, वे अद्भुत थे। लगभग 50 साल पहले जब मैं अपनी पीएच.डी. के शोध के लिए लंदन और वाशिंगटन जा रहा था तो एक मित्र के आग्रह पर आस्ट्रिया की राजधानी वियना में भी एक सप्ताह रुका। वहां एक सड़क पर एक सरदारजी ने मुझे देखा और पूछा कि ''तुम इंदौर में ही रहते हो, न ?'' मैंने कहा, ''मैं आजकल दिल्ली में रहता हूं। मैं इंदौर में नहीं रहता हूं लेकिन इंदौर मुझमें रहता है।''

ये भी पढ़ें:खतरे में अयोध्या समेत देश के ये शहर! खुफिया एजेंसियां अलर्ट, पुलिस ने कही ये बात

इंदौर मुझमें रहता है

हम इंदौरियों की राय यह है कि जो आदमी एक बार इंदौर में रह गया, वह कभी इंदौर को भूल नहीं पाता। यों भी इंदौर को 'छोटा मुंबई' कहा जाता है लेकिन सफाई में वह मुंबई क्या, दिल्ली से भी आगे निकल गया है। उस समय इंदौर की जनसंख्या मुश्किल से 3-4 लाख थी लेकिन अब 30 लाख के ऊपर है। इसके बावजूद वह साफ-सफाई में अव्वल है। 'स्वच्छ सर्वेक्षण 2020' की रपट में 4000 शहरों के 28 दिन तक बारीकी से किए गए निरीक्षण का ब्यौरा है। लगभग पौने दो करोड़ लोगों से पूछताछ के बाद यह रपट तैयार की गई है। इंदौर चौथी बार भी सारे भारत में सर्वप्रथम इसलिए रहा है कि वहां की जनता अत्यंत जागरुक और सक्रिय है। इंदौर के लोग स्वच्छताप्रिय तो हैं ही उनके-जैसे भोजनप्रेमी लोग शायद पूरे दक्षिण एशिया में कहीं नहीं होंगे।

इंदौर के नमकीन और मिठाइयों ने सारी दुनिया के प्रवासी भारतीयों को सम्मोहित कर रखा है। भारत के मध्य क्षेत्र में इंदौर-जैसा मालदार शहर कोई और नहीं है। इंदौर की खूबियां इतनी हैं कि उनका जिक्र इस छोटे-से लेख में नहीं हो सकता। इंदौर के मालवी लोगों को ‘घर-घुस्सू’ कहा जाता है याने वे मालवा छोड़कर कहीं जाना ही नहीं चाहते। मालवा में न ज्यादा ठंड पड़ती है और न ही ज्यादा गर्मी! इस मौसम ने मालवी लोगों के मन को भी अपने रंग में रंग दिया है। इसीलिए मालवा-क्षेत्र में सांप्रदायिक और जातीय दंगे बहुत कम होते हैं।

इंदौर मुझमें रहता है

ये भी पढ़ें:कोरोना: 3 करोड़ से ज्यादा लोगों की हो चुकी है टेस्टिंग, शुक्रवार को हुई 10 लाख लोगों की जांच

वहां एक-दूसरे की लिहाज़दारी गज़ब की होती है। परस्पर विरोधी नेता भी एक-दूसरे का बड़ा ख्याल रखते हैं। इंदौर में आंदोलन करते हुए मुझे कई बार जेलों में भी रहना पड़ा लेकिन वहां भी किसी ने कोई दुर्व्यवहार किया हो, ऐसा याद नहीं पड़ता। इंदौर के आस-पास की पहाड़ियों, नदियों, तालाबों और बगीचों से ऐसा खुशनुमा माहौल बना रहता है कि जैसे कोई ईश्वरीय महफिल सजी हुई है। भारत तथा हमारे पड़ौसी देशों के शहर भी इंदौर-जैसे या उससे भी बढ़िया बन जाएं, क्या यह आप नहीं चाहेंगे ?

देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।

Newstrack

Newstrack

Next Story