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Religious Tourism In UP: उत्तर प्रदेश में बढ़ता धार्मिक पर्यटन एवं उत्पादों का उपभोग भारत के आर्थिक विकास को दे रहा गति

Religious Tourism In UP: भारत के आर्थिक विकास की रफ्तार को गति देने में कुछ राज्यों का योगदान तेजी से बढ़ रहा है। हाल ही के समय में विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, तेलंगाना, गुजरात एवं राजस्थान जैसे राज्यों की आर्थिक विकास की गति तेज हुई है, जिससे यह राज्य भारतीय अर्थव्यवस्था के आकार को 5 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर का बनाने में विशेष योगदान देते हुए दिखाई दे रहे हैं।

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Published on: 31 Dec 2023 1:41 PM GMT
Increasing religious tourism and consumption of products in Uttar Pradesh is giving impetus to Indias economic development
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उत्तर प्रदेश में बढ़ता धार्मिक पर्यटन एवं उत्पादों का उपभोग भारत के आर्थिक विकास को दे रहा गति: Photo- Social Media

Religious Tourism In UP: भारत के आर्थिक विकास की रफ्तार को गति देने में कुछ राज्यों का योगदान तेजी से बढ़ रहा है। हाल ही के समय में विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, तेलंगाना, गुजरात एवं राजस्थान जैसे राज्यों की आर्थिक विकास की गति तेज हुई है, जिससे यह राज्य भारतीय अर्थव्यवस्था के आकार को 5 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर का बनाने में विशेष योगदान देते हुए दिखाई दे रहे हैं। हालांकि महाराष्ट्र, तमिलनाडु, एवं कर्नाटक जैसे कुछ अन्य राज्यों का योगदान भी नकारा नहीं जा सकता है, परंतु इन राज्यों के आर्थिक विकास की दर तुलनात्मक रूप से कुछ स्थिर सी रही है अथवा कुछ कम हुई है।

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समस्त राज्यों के बीच तमिलनाडु एवं गुजरात राज्यों को पीछे धकेलते हुए उत्तरप्रदेश अब भारत की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला राज्य बन गया है। भारतीय अर्थव्यस्था में उत्तर प्रदेश का योगदान 9.2 प्रतिशत का हो गया है। भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार आज 3.7 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर से अधिक का हो गया है। इसमें महाराष्ट्र राज्य का हिस्सा 15.7 प्रतिशत है। उत्तरप्रदेश राज्य का हिस्सा 9.2 प्रतिशत, तमिलनाडु राज्य का 9.1 प्रतिशत, गुजरात राज्य का 8.2 प्रतिशत, पश्चिम बंगाल राज्य का 7.5 प्रतिशत है। देश की अर्थव्यवस्था में उत्तर पूर्वी राज्यों एवं जम्मू कश्मीर के बाद बिहार का भी काफी कम योगदान अर्थात केवल 3.7 प्रतिशत दिखाई पड़ता है, जबकि बिहार की जनसंख्या 13 करोड़ के आसपास है। बिहार को आर्थिक विकास की दृष्टि से आज भी पिछड़ा राज्य कहा जा रहा है। पूर्व के बीमारु राज्यों की श्रेणी से उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश एवं राजस्थान राज्य बाहर आ चुके हैं जबकि बिहार राज्य आज भी इसी श्रेणी में अटका हुआ है।

महाराष्ट्र की अर्थव्यवस्था

वित्तीय वर्ष 2021-22 में महाराष्ट्र राज्य की अर्थव्यवस्था का आकार 41,720 करोड़ अमेरिकी डॉलर था, तमिलनाडु राज्य का आकार 27,800 करोड़ अमेरिकी डॉलर था, गुजरात राज्य का आकार 26540 करोड़ अमेरिकी डॉलर था, उत्तरप्रदेश राज्य का आकार 26,510 करोड़ अमेरिकी डॉलर था, कर्नाटक राज्य का आकार 26,350 करोड़ अमेरिकी डॉलर था और पश्चिम बंगाल राज्य का आकार 18,310 करोड़ अमेरिकी डॉलर था। पिछले कुछ वर्षों से चूंकि उत्तरप्रदेश राज्य की अर्थव्यवस्था की विकास दर सबसे तेज बनी हुई है । अतः आज उत्तरप्रदेश राज्य की अर्थव्यवस्था का आकार भारत में दूसरे स्थान पर आ गया है।

उत्तरप्रदेश ने अपने राज्य की अर्थव्यवस्था के आकार को वर्ष 2027 तक एक लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। जबकि, महाराष्ट्र भी अपने राज्य को वर्ष 2028 तक एक लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाना चाहता है। इस दृष्टि से अब उत्तरप्रदेश एवं महाराष्ट्र राज्यों के बीच इस संदर्भ में आपस में प्रतियोगिता चल रही है।

महाराष्ट्र राज्य की जनसंख्या 11 से 12 करोड़ के बीच है जबकि उत्तरप्रदेश राज्य की जनसंख्या 20 करोड़ के आसपास है। इस दृष्टि से उत्तरप्रदेश राज्य लाभप्रद स्थिति में दिखाई दे रहा है क्योंकि विभिन्न उत्पादों के उपभोग की अधिक गुंजाइश उत्तरप्रदेश राज्य में हैं एवं देश में आज उत्तरप्रदेश राज्य तेजी से विनिर्माण क्षेत्र का हब बनता जा रहा है तथा उत्तरप्रदेश राज्य में धार्मिक पर्यटन भी बहुत तेज गति से विकसित हो रहा है। विशेष रूप से अयोध्या, वाराणसी, मथुरा जैसे धार्मिक पर्यटन स्थलों का विकास न केवल राष्ट्रीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर के पर्यटन को भी आकर्षित करता दिखाई दे रहा है। इससे उत्तरप्रदेश राज्य में रोजगार के नए अवसर भी भारी मात्रा में निर्मित हो रहे हैं। अतः उत्पादों के उपभोग के मामले में उत्तरप्रदेश राज्य के साथ किसी भी अन्य राज्य की प्रतियोगिता हो ही नहीं सकती हैं। आज उत्तरप्रदेश राज्य के नागरिक रोजगार हेतु अन्य राज्यों की ओर पलायन करते हुए नहीं दिखाई दे रहे हैं क्योंकि उत्तरप्रदेश राज्य में ही रोजगार के पर्याप्त नए अवसर निर्मित होने लगे हैं। उत्तरप्रदेश राज्य में आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से आज राज्य सरकार भी भारी मात्रा में पूंजी निवेश कर रही है।

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उत्तर प्रदेश में विकास ने पकड़ी रफ़्तार

निर्यात के क्षेत्र में भी उत्तर प्रदेश राज्य नित नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। उत्तरप्रदेश राज्य के राज्य निर्यात प्रोत्साहन ब्यूरो के अनुसार वित्तीय वर्ष 2016-17 में उत्तरप्रदेश राज्य से 84,000 करोड़ रुपए की राशि का निर्यात किया गया था जो वित्तीय वर्ष 2022-23 में दुगना होकर 174,000 करोड़ रुपए का हो गया है। वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए उत्तरप्रदेश राज्य ने 2 लाख करोड़ रुपए की राशि का निर्यात करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। उत्तरप्रदेश राज्य से सबसे अधिक निर्यात किए जाने वाले उत्पादों में इलेक्ट्रिक एवं इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएं, दूरसंचार उपकरण, कृत्रिम फाइबर, गेहूं, चावल, कपास, कालीन एवं हस्तशिल्प जैसे उत्पाद शामिल हैं।

दूसरे, उत्तरप्रदेश राज्य आज भारत का तीसरा सबसे बड़ा टेक्स्टायल उत्पादन करने वाला राज्य भी बन गया है। राष्ट्रीय उत्पादन में उत्तरप्रदेश राज्य का योगदान बढ़कर 13.24 प्रतिशत हो गया है। उत्तरप्रदेश राज्य में आज 250,000 लाख के आसपास हैंडलूम बुनकर एवं 421,000 पावरलूम बुनकर कार्य कर रहे हैं। चूंकि कपड़ा उद्योग कम पूंजी निवेश के साथ अधिक मानवीय आधारित उद्योग है, अतः इस क्षेत्र में रोजगार के लाखों नए अवसर निर्मित हो रहे हैं। साथ ही, उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में रक्षा इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण कलस्टर एवं लखनऊ उन्नाव कानपुर क्षेत्र में मेडिकल इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण कलस्टर भी स्थापित किये जा रहे हैं। इन क्षेत्रों में विनिर्माण इकाईयां स्थापित करने हेतु राज्य सरकार द्वारा कई प्रकार के प्रोत्साहन भी दिए जा रहे हैं।

विभिन्न प्रदेशों की विधान सभाओं में प्रस्तुत किए गए वित्तीय वर्ष 2022-23 के आर्थिक सर्वेक्षणों में वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए इन प्रदेशों की अनुमानित आर्थिक प्रगति की दर को दर्शाया गया है। उत्तरप्रदेश में वित्तीय वर्ष 2022-23 में आर्थिक प्रगति की दर 16.8 प्रतिशत रहने की सम्भावना व्यक्त की गई है, इसी प्रकार मध्यप्रदेश में 16.34 प्रतिशत, राजस्थान में 16.4 प्रतिशत, गुजरात में 15.5 प्रतिशत, तेलंगाना में 15.6 प्रतिशत, महाराष्ट्र में 6.8 प्रतिशत, तमिलनाडु में 8.19 प्रतिशत, बिहार में 9.7 प्रतिशत, कर्नाटक में 7.9 प्रतिशत की आर्थिक विकास दर रहने की सम्भावना व्यक्त की गई है। उत्तर प्रदेश में वित्तीय वर्ष 2023-24 में 19 प्रतिशत की आर्थिक विकास दर हासिल करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

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उत्तर प्रदेश का आर्थिक विकास

कुल मिलाकर भारत के समस्त प्रदेशों के बीच उत्तर प्रदेश राज्य आज आर्थिक विकास की दौड़ में सबसे आगे दिखाई दे रहा है। इसके साथ ही मध्यप्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना, गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक जैसे कुछ अन्य राज्य भी विकास की दौड़ में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। इन राज्यों की आर्थिक नीतियां देशी एवं विदेशी निवेशकों को अपनी ओर आकर्षित कर रही हैं। इस प्रकार यह समस्त राज्य मिलकर भारतीय अर्थव्यवस्था के आकार को 5 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर के स्तर पर ले जाने में अपनी पूरी शक्ति का उपयोग करते हुए दिखाई दे रहे हैं।

यदि बिहार जैसे बड़े राज्य उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान एवं तेलंगाना की तर्ज पर एवं पंजाब, जम्मू कश्मीर एवं उत्तर पूर्वी राज्य जैसे अन्य छोटे राज्य भी अपने राज्यों में आर्थिक विकास की दर को बढ़ाने में सफल होते हैं तो शीघ्र ही भारत की आर्थिक विकास की दर को 10 प्रतिशत के पार पहुंचाया जा सकता है।

(लेखक--प्रहलाद सबनानी, सेवा निवृत्त उप महाप्रबंधक भारतीय स्टेट बैंक के हैं। के-8, चेतकपुरी कालोनी,झांसी रोड, लश्कर,ग्वालियर – 474 009मोबाइल क्रमांक – 9987949940। ई-मेल – prahlad.sabnani@gmail.com। साभार उगता भारत।)

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