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जनता की अध्यक्षता: क्यों जी20 भारत, प्रत्येक नागरिक के लिए मायने रखता है ?

G20 People Presidency: जी20 की अध्यक्षता के साथ, भारत के पास विभिन्न मुद्दों पर प्रतिक्रिया देने के बजाय एजेंडा तय करने का अवसर है; ग्लोबल साउथ और विकासशील दुनिया के हितों के वास्तविक प्रतिनिधि के रूप में कार्य करने का मौक़ा है।

Amitabh Kant
Written By Amitabh Kant
Published on: 2 Dec 2022 8:29 AM IST
G 20 Peoples Presidency
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पीएम मोदी (फोटो: सोशल मीडिया )

G20 People Presidency: भारत के राजनयिक संबंधों के इतिहास में यह एक महत्वपूर्ण क्षण है। भारत ने '20 का समूह' (जी20), जो दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं का अंतर सरकारी मंच है, की अध्यक्षता ग्रहण की है। 1999 में स्थापित, यह समूह, दुनिया की कुल आबादी का दो-तिहाई, वैश्विक व्यापार का 75 प्रतिशत और वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 80 प्रतिशत से अधिक का प्रतिनिधित्व करता है। आसान शब्दों में कहें, तो जी20 वैश्विक नीति के संदर्भ में सबसे मजबूत राजनीतिक प्रभाव रखता है, जिसकी वजह से यह समूह वर्तमान के सर्वाधिक महत्वपूर्ण मुद्दों - सतत विकास लक्ष्य, जलवायु कार्रवाई, खाद्य सुरक्षा, सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियाँ, डिजिटल बदलाव आदि - पर विचार-विमर्श करने का प्रमुख मंच बन गया है।

जी20 की अध्यक्षता के साथ, भारत के पास विभिन्न मुद्दों पर प्रतिक्रिया देने के बजाय एजेंडा तय करने का अवसर है; ग्लोबल साउथ और विकासशील दुनिया के हितों के वास्तविक प्रतिनिधि के रूप में कार्य करने का मौक़ा है। गठबंधन निर्माण के समृद्ध इतिहास के साथ दुनिया की सबसे बड़ी युवा आबादी - मई तक, आधी से अधिक आबादी (52 प्रतिशत) की उम्र 30 वर्ष से कम थी - वाले राष्ट्र के रूप में, भारत के पास बड़े पैमाने पर जनसांख्यिकीय और भू-राजनीतिक लाभ हैं, जो अध्यक्ष पद के लिए सर्वथा उपयुक्त है। भारत अपनी प्राथमिकताओं को केन्द्रित करते हुए दुनिया के साथ अपनी सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने में सक्षम है। 43 प्रतिनिधिमंडलों के प्रमुख - जी20 का अब तक का सबसे बड़ा - अगले साल सितंबर में नई दिल्ली शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा इस वर्ष बाली में की गयी घोषणा के अनुरूप, भारत के नेतृत्व की इच्छा "समावेशी, महत्वाकांक्षी, निर्णायक और कार्रवाई उन्मुख" होने की है।

जी20 के नेतृत्व का अवसर

जी20 के नेतृत्व का अवसर ऐसे समय में आया है, जब अस्तित्व पर खतरा बढ़ गया है, जलवायु परिवर्तन के विनाशकारी व्यापक प्रभावों के बीच कोविड-19 महामारी ने हमारी प्रणाली की कमजोरी को उजागर कर दिया है। इस संबंध में, भारत की अध्यक्षता के एजेंडे के लिए जलवायु कार्रवाई एक विशिष्ट प्राथमिकता है, जिसमें न केवल जलवायु वित्त और प्रौद्योगिकी पर विशेष ध्यान, बल्कि दुनिया भर के विकासशील देशों के लिए ऊर्जा स्रोतों में न्यायसंगत बदलाव सुनिश्चित करना भी शामिल है। भारत के सामने बिना कार्बन उत्सर्जन किये औद्योगीकरण करने की अनोखी चुनौती है। भारत हरित हाइड्रोजन का व्यापक विस्तार कर रहा है और देश ने 2047 तक 25 मिलियन टन की वार्षिक उत्पादन क्षमता का लक्ष्य निर्धारित किया है, जो इसे आने वाले वर्षों में स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकी का निर्यातक बना सकता है। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि जलवायु परिवर्तन उद्योग, समाज और अन्य क्षेत्रों को समान रूप से प्रभावित करता है, भारत ने दुनिया के सामने 'लाइफ' (लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट; पर्यावरण के लिए जीवन-शैली) का विकल्प रखा है - एक व्यवहार-आधारित आंदोलन, जो हमारे देश की समृद्ध व प्राचीन सतत परंपराओं पर आधारित है तथा जो उपभोक्ताओं और बाजार को पर्यावरण के प्रति जागरूक तौर-तरीकों को अपनाने के लिए से प्रेरित करती है।

कोविड-19 महामारी ने विकास से जुड़ी प्रगति को वर्षों पीछे धकेल दिया है, क्योंकि संयुक्त राष्ट्र (यूएन) ने अधिक आवश्यक सार्वजनिक-स्वास्थ्य और खाद्य संकटों को ध्यान में रखते हुए सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को पृष्ठभूमि में रख दिया है। राष्ट्राध्यक्षों के समूह के रूप में, जी20 को एसडीजी हासिल करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता को सुदृढ़ और तीव्र करना चाहिए - जो लोगों के लिए एक बेहतर, स्वच्छ, स्वस्थ और अधिक समृद्ध विश्व का वादा करते हैं। वर्तमान चुनौतियों के समाधान के लिए, विश्व को समसामयिक संस्थानों की आवश्यकता है, जो विविधतापूर्ण व आगे बढ़ती हुई दुनिया की आधुनिक वास्तविकताओं को न्यायसंगत और प्रभावी रूप से प्रतिबिंबित करने में सक्षम हों। भारत की जी20 प्राथमिकता 'सुधार के साथ बहुपक्षवाद' के प्रति दबाव बनाये रखने की होगी, जो अंतर्राष्ट्रीय संगठनों को अधिक उत्तरदायी और समावेशी बनाते हैं।

भारत सरकार सामाजिक और आर्थिक बाधाओं को दूर करने के लिए डिजिटल तकनीक का प्रभावी ढंग से उपयोग कर रही है। जी20 की अध्यक्षता, भारत को अपना ज्ञान दुनिया के साथ साझा करने का अवसर देती है। दुनिया की सबसे बड़ी बायोमेट्रिक आईडी प्रणाली (आधार) को सफलतापूर्वक लागू करने और 2014 तथा 2022 के बीच प्रत्यक्ष लाभ अंतरण में 50 गुनी वृद्धि के साथ, भारत डिजिटल सार्वजनिक हितों और विकास के लिए डेटा के उपयोग के संबंध में विचार-विमर्श को आगे बढ़ाने की केन्द्रीय स्थिति में है। अक्टूबर 2022 में, भारत के एकीकृत भुगतान इंटरफेस (यूपीआई) ने 7 बिलियन लेनदेन पूरे किये - एक दिन में 230 मिलियन लेनदेन के बराबर – जो दर्शाता है कि इतने बड़े पैमाने पर वित्तीय समावेश मॉडल को शुरू करना और सफलतापूर्वक लागू करना भी संभव है। जी20 नेतृत्व प्रदान करने के साथ, भारत प्रौद्योगिकी के मानव-केंद्रित दृष्टिकोण के प्रति अपने विश्वास को आगे बढ़ा सकता है और सार्वजनिक डिजिटल अवसंरचना, वित्तीय समावेश तथा तकनीक-सक्षम विकास जैसे प्राथमिकता वाले क्षेत्रों समेत कृषि से लेकर शिक्षा तक के क्षेत्रों में अधिक से अधिक ज्ञान-साझाकरण की सुविधा प्रदान कर सकता है। विशेष रूप से, भारत के जेएएम ट्रिनिटी जैसे वित्तीय समावेश के कार्यक्रमों ने देश की महिलाओं को महत्वपूर्ण वित्तीय स्वायत्तता प्रदान की है, जिससे वे अपने घरों के निर्णय लेने में सक्रिय भागीदार बन गयी हैं – 56 प्रतिशत बैंक खाताधारक अब महिलाएं हैं, पहले 23 करोड़ महिलाओं को बैंक-सुविधा नहीं थी, लेकिन अब उनके पास बैंकों में अपने खाते हैं।

विश्व व्यवस्था का तेजी से ध्रुवीकरण

2023 भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा के लिए एक स्वर्णिम वर्ष सिद्ध होने वाला है, लेकिन नीतिगत फ्रेमवर्क को सर्वसम्मति से अंतिम रूप देने का कार्यादेश आसान नहीं है। विश्व व्यवस्था का तेजी से ध्रुवीकरण हो रहा है, रूस-यूक्रेन संघर्ष के साथ व्यापक विकास एजेंडा कमजोर हो रहा है; दुनिया की महाशक्तियों के बीच भू-राजनीतिक संबंध अधिक तनावपूर्ण हो रहे हैं - इन सबके बीच राष्ट्र को जी20 की अध्यक्षता मिल रही है। वैश्विक अर्थव्यवस्था आसन्न मंदी और अब तक के सबसे अधिक वैश्विक-ऋण को लेकर आशंकित है और कई देश कमजोर होती खाद्य सुरक्षा और बाधित आपूर्ति श्रृंखलाओं का सामना कर रहे हैं। इस माहौल में, भारत के पास एकता और सद्भाव के सूत्रधार के रूप में उभरने का अवसर है। बाली में 20 शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी के नेतृत्व में देश ने जी20 विज्ञप्ति के मसौदे पर आम सहमति बनाने में अपरिहार्य भूमिका निभाई। प्रधानमंत्री के शब्द "आज का युग, युद्ध का नहीं होना चाहिए" सीधे राजनेताओं के घोषणापत्र में परिलक्षित हुए, जो निर्णय गतिरोध को तोड़ने में सफल हुआ और जिससे शांति के पक्षधर के रूप में भारत की स्थिति मजबूत हुई।

चूँकि शक्ति के पुराने केंद्र; गुणात्मक आर्थिक और सामाजिक विकास वाले युवा, जीवंत राष्ट्रों को जवाबदेही सौंप देते हैं, इसलिए भारत की महत्वाकांक्षी व कार्रवाई-उन्मुख अध्यक्षता में इस उच्च-स्तरीय गठबंधन को, विकासशील तथा अल्प-विकसित देशों के हितों और जरूरतों के अनुरूप, तैयार किया जा सकता है। अपनी अध्यक्षता के दौरान, भारत वैश्विक चुनौतियों को अवसरों में बदलना जारी रखेगा, यह याद रखते हुए कि हमारे प्रयास "एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य" के लक्ष्य के अनुरूप होने चाहिए।

(लेखक भारत सरकार के जी20 शेरपा हैं। वे नीति आयोग के पूर्व सीईओ हैं।)

Monika

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Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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