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अंतत: भारत-चीन सीमा से सटे बोथी तीर्थ में आपका स्वागत है...

raghvendra
Published on: 29 Dec 2017 5:08 PM IST
अंतत: भारत-चीन सीमा से सटे बोथी तीर्थ में आपका स्वागत है...
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आलोक अवस्थी

सत्तर साल की आजादी के बाद शायद पहली बार पिथौरागढ़ में हुई घटना पर आपको अब और सबको अब तो खुश हो ही जाना चाहिए समुद्र तल से 6000 फीट की ऊंचाई पर भारत चीन सीमा से सटे बोथी गांव में अब सड़क बन गई है।

गांव वालों की खुशी का ठिकाना नहीं है... अब मोटर उनके गांव तक पहुंचेगी। हम शहर वाले शायद इस खुशी को पता नहीं कितना महसूस कर पाएंगे... सडक़ से पीठ पर सामान लाद कर इन लोगों को न जाने कितने घंटे खड़े पहाड़ों पर चढऩा पड़ता था... अगर कोई बीमार पड़ जाए तो उसे अस्पताल तक पहुंचाना... सोचिए कितना कठिन होता होगा।

लोगों ने जेसीबी को भगवान समझकर आरती उतारी और जी भर के नाचे...। उफ! भाग्यवान हैं बोथी गांव के लोग। सैकड़ों गांव अभी बाकी हैं... जिन तक ये खुशी अभी पहुंचनी होगी। इस गांव के एक ओर हिमालय खड़ा है और उसके ठीक पीछे चीन भारत की सीमा तक दो हाई वे बना चुका है और ट्रेन लाने की तैयारी में है। हमारी रेलगाड़ी अंग्रेजों के जमाने से देहरादून और ऋषिकेश के आगे नतमस्तक हो जाती है। काठगोदाम को भी कैसे भूला जा सकता है।

चलिए सरकार को फिर कभी कोस लेंगे फिलहाल तो बोथी गांव के लोगों के साथ खुशी मनाने का अवसर है... कैथी बैंड से नौ किलोमीटर पीठ पर बोझ ढोने से मुक्ति का पर्व है.. बीमारों को पीठ पर लादकर ढलान पर जान की बाजी लगाने से मिली आजादी का जश्न है। आइए हम सब मिलकर गुजरते दो हजार सत्रह के साल को बोथी गांव के साथ मिलकर विदा करें।

देर से सही विकास का सूरज बोथी तक पहुंचा तो... ऐसा नहीं है कि इस लिखने के लिए विषयों की कमी थी लेकिन पता नहीं कयों सूई बोथी गांव की सडक़ पर अटक गई...। उत्तराखंड को समझना आसान नहीं है यहां की पीर पर्वतों से भी ऊंची है...

सदियों से विकास का नारा इस पहाड़ी से उस पहाड़ी तक टकरा टकरा कर दम तोड़ रहा है... जिस विकास की दुहाई के साथ इस प्रदेशका निर्माण हुआ... क्या उस मूल मकसद में कामयाबी मिली... इस लेख को लिखने से पहले ही मन में तय किया था कि कोई आलोचना नहीं... केवल उस खुशी उस जुनून का हिस्सा बनना है... जिसमें वे गांव भी खुश हैं.. जो इस गांव के आसपास के हैं। हिमालय की चोटी से सटे गांव तक हाईवे न सही हमने आखिर अपनी मोटर तो पहुंचा ही दी... तो चलिए सत्तर साल की लम्बी प्रतीक्षा के बाद बनी इस सडक़ पर चलते हैं जहां प्राकृतिक सुंदरता बोथी गांव के लोगों के चेहरे पर दिखाई देगी...ये एक नए तरह का पर्यटन होगा...अगर सचमुच कुछ नया देखना हो नया अनुभव लेना हो तो पिथौरागढ़ के बोथी तीर्थ में आपका स्वागत है।

(संपादक उत्तराखंड संस्करण)

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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