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भारत-चीनः सहज संबंध कैसे बनें?

India-China Relations:चीन और भारत एक-दूसरे के महत्वपूर्ण पड़ौसी हैं। उन्हें अपने मतभेदों को आपसी संवाद द्वारा समाप्त करना चाहिए।

Dr. Ved Pratap Vaidik
Published on: 28 Oct 2022 5:28 AM GMT
India China Relations
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भारत-चीनः photo: social media  

India-China Relations: नई दिल्ली से चीनी राजदूत सन वेइ दोंग की विदाई के समय हमारे विदेशमंत्री जयशंकर और राजदूत सन ने जो बातें कहीं हैं, उन पर दोनों देशों के नेता और लोग भी ज़रा गंभीरतापूर्वक विचार करें तो इस 21 वीं सदी में दुनिया की शक्ल बदल सकती है। जयंशकर ने कहा है कि इन दोनों के बीच यदि आपसी संवेदनशीलता, आपसी सम्मान और आपसी हितों को ध्यान में रखकर काम किया जाए तो न केवल इन दोनों देशों का भला होगा बल्कि विश्व राजनीति भी उससे लाभान्वित होगी। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच तनाव खत्म करने के लिए यह जरुरी है कि सीमा क्षेत्रों में शांति बनी रहे।

जयंशकर के जवाब में बोलते हुए चीनी राजदूत सन ने कहा कि दोनों राष्ट्र पड़ौसी हैं। पड़ौसियों के बीच मतभेद और अनबन कोई अनहोनी बात नहीं है। यह स्वाभाविक प्रक्रिया है। चीन और भारत एक-दूसरे के महत्वपूर्ण पड़ौसी हैं। उन्हें अपने मतभेदों को आपसी संवाद द्वारा समाप्त करना चाहिए। दोनों की शासन-व्यवस्थाओं का चरित्र भिन्न है और दोनों की विकास-प्रक्रिया भी अलग-अलग है । लेकिन यदि दोनों राष्ट्र एक-दूसरे का सम्मान करें और उनकी आंतरिक व्यवस्थाओं में हस्तक्षेप न करें तो दोनों के संबंध सहज हो सकते हैं। दोनों राष्ट्रों के संबंधों में इधर जो उतार-चढ़ाव आए हैं, उन्हें दूर करना मुश्किल नहीं है।

इन दोनों कूटनीतिज्ञों ने जो कुछ कहा है, उसे कोरी औपचारिकता कहकर दरी के नीचे सरका देना ठीक नहीं है। भारत और चीन को एक-दूसरे का प्रतिद्वंदी या शत्रु मानकर कुछ शक्तिशाली राष्ट्र फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं । लेकिन भारत उनसे जुड़ने के बावजूद काफी सतर्क है। यहां हमें यह समझने की जरुरत है कि चीन के साथ 1962 में भयंकर युद्ध होने के बावजूद दशकों से दोनों देशों के बीच शांति बनी रही है, दोनों देशों के शीर्ष नेता एक-दूसरे के यहां आते-जाते रहे हैं और उनका आपसी व्यापार भी आसमान छूता रहा है। गलवान घाटी की मुठभेड़ के बावजूद आपसी व्यापार में जबर्दस्त बढ़ोतरी हुई है। दोनों देशों के फौजी भी सहज रूप से वार्तालाप चला रहे है।

भारत-चीन संबंधों की सहजता की मिसाल

पाकिस्तान के नेताओं से जब भी मेरी भेंट होती थी, मैं उन्हें हमेशा भारत-चीन संबंधों की सहजता की मिसाल पेश किया करता था। मुझे कई बार चीनी विश्वविद्यालयों में भाषणों के लिए चीन की लंबी यात्राएं करनी पड़ी हैं। मैं यह सुनकर दंग रह जाता था कि साधारण चीनी लोग भारत को 'गुरु देश' और 'पश्चिमी स्वर्ग' कहते थे। कुछ बौद्ध चीनियों ने मुझे कहा कि रोज़ सुबह वे अपनी प्रार्थना में कहते हैं कि हमारा अगला जन्म अगर हो तो वह बुद्ध के देश भारत में ही हो। हमारे विदेश मंत्री जयशंकर चीन में हमारे राजदूत भी रह चुके हैं। वे यदि थोड़ी पहल करें और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उन्हें वैसा करने दें तो कोई आश्चर्य नहीं कि भारत और चीन के संबंध सिर्फ सामान्य ही नहीं हो जाएंगे, ये दोनों महान राष्ट्र मिलकर 21 वीं सदी को एशिया की सदी भी बना सकते हैं।

(लेखक, भारतीय विदेश नीति परिषद के अध्यक्ष हैं)

Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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