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India Country of Villages: एक माडल गांव के क्या पैमाने होते हैं?

India Country of Villages: भारत गांवों का देश है और इसके गांव सामुदायिक जीवन के सबसे श्रेष्ठ उदाहरण होते हैं। यही कारण था कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी आजादी के पश्चात भारत के विकास की संरचना गांव को केंद्र बनाकर करना चाहते थे।

Vikrant Nirmala Singh
Published on: 5 July 2021 9:23 AM GMT
India Country of Villages: What are the scales of a model village?
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एक माडल गांव के क्या पैमाने होते हैं: डिजाईन फोटो- सोशल मीडिया

India Country of Villages: भारत गांवों का देश है और इसके गांव सामुदायिक जीवन के सबसे श्रेष्ठ उदाहरण होते हैं। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी कहा करते थे कि अगर गांव खत्म हो गए तो भारत समाप्त हो जाएगा। यही कारण था कि वह आजादी के पश्चात भारत के विकास की संरचना गांव को केंद्र बनाकर करना चाहते थे। इसी संदर्भ में उन्होंने ग्राम स्वराज की बात की थी। बापू के ग्राम स्वराज की बुनियाद में बौद्धिक और नैतिक उन्नति, समानता, संरक्षकता, विकेंद्रीकरण, स्वदेशी, स्वावलंबन, सत्याग्रह, सभी धर्मों में समानता और पंचायती राज जैसे पहलु मौजूद हैं।

आजादी के बाद भारतीय लोकतंत्र तो बढ़ा लेकिन विकास के उस क्रम में ग्रामीण आधारित विकास की व्यवस्था दिखाई नहीं पड़ती थी। एक लंबे समय के बाद संविधान के 73वें संशोधन के जरिए पंचायती राज व्यवस्था को लागू किया गया। भारत के विकास का आधार गांवों से होकर गुजरे इसके लिए 2004 में पंचायती राज मंत्रालय का निर्माण किया गया। गांधी जी भी मानते थे कि सच्चा लोकतंत्र केंद्र में बैठकर राज्य चलाने वाला नहीं होता, यह तो गांव के प्रत्येक व्यक्ति के सहयोग से चलता है। पंचायती राज व्यवस्था के मूल में भी यही था। गांव को उनकी खुद की सरकार और नीतियां बनाने के लिए इस व्यवस्था का निर्माण किया गया।

ग्राम स्वराज का विषय एक बार पुनः चर्चा में

कोविड-19 की वैश्विक महामारी की वजह से ग्राम स्वराज का विषय एक बार पुनः चर्चा में आ गया है। इसका कारण बना पहला लाकडाउन। पहले लाकडाउन की वजह से एक बहुत बड़ी आबादी शहरों से गांव की तरफ आती दिखाई पड़ी थी। शहर से गांव की तरफ होने वाले पलायन ने हमारी ग्रामीण विकास के पैमानों पर कई सवाल खड़े किए। यह पूछा जाने लगा कि इतनी बड़ी आबादी के विस्थापन का क्या कारण रहा है? क्या हमारी पंचायती राज व्यवस्था सही मायनों में गांव को सुदृढ़ करने का कार्य कर रही है? क्यों लोगों को उनके गांव में ही रोजगार नहीं मिल सका? आखिर गांव के विकास का क्या पैमाना होना चाहिए? क्या गांव का प्रधान या मुखिया ही गांव के विकास के लिए पूर्णतः उत्तरदाई है? ऐसी तमाम सवालों ने ग्रामीण विकास को एक बार पुनः चर्चा का केंद्रीय विषय बना दिया। लोग मॉडल या आदर्श गांव की चर्चा करने लगे जो खुद में विकास के जरूरी पैमानों को पूरा करता दिखे। रोजगार के अवसर, पर्यावरण संरक्षण, बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था, शिक्षा के अवसर आदि जैसे पहलुओं को शामिल किए हो। ऐसे गांव की कल्पना की जाने लगी जो खुद से रोजगार के अवसरों को उत्पन्न कर सके और स्वावलंबी रहे।

भारत गांवों का देश- राष्ट्रपिता महात्मा गांधी: फोटो- सोशल मीडिया

एक आदर्श गांव कैसा होना चाहिए?

एक आदर्श गांव के संदर्भ में सैकड़ों पैमाने बताए जा सकते हैं। लेकिन सवाल यह है कि वह कौन सी आदर्श व्यवस्था है जो किसी गांव को मॉडल गांव के रूप में परिभाषित कर सकती है? वरिष्ठ आईएएस अधिकारी और माडल गांव के सलाहकार डॉ हीरा लाल बताते हैं कि एक मॉडल गांव की पृष्ठभूमि में गांव का चौमुखी विकास शामिल होता है। बांदा जिले के जिलाधिकारी के रूप में डॉ हीरा लाल की चर्चा पूरे देश में होती रही है। देश के गांव को एक मॉडल गांव के रूप में विकसित करने का यह पूरा आईडिया उन्होंने बांदा जिले के अपने कार्यकाल के दौरान ही तैयार किया था।

वो बताते हैं कि अपनी संस्था मॉडल गांव के अंतर्गत वह विलेज मेनिफेस्टो के माध्यम से गांव में विकास का एजेंडा स्थापित करते हैं एवं गांव से ही चेंजमेकर को तैयार कर गांव के सर्वांगीण विकास को सुनिश्चित करते हैं। हर गांव में लोगों को विलेज मेनिफेस्टो से जोड़ना, गांव में चेंजमेकर तैयार करना करना और गांव में किसान उत्पादक संघ की स्थापना करना कि एक मांडल गांव बनाने का बुनियादी पैमाना है।

मेनिफेस्टो- गांव के विकास का एक ख़ाका

विलेज मेनिफेस्टो एक घोषणापत्र है जो प्रत्याशियों के जरिए नहीं बल्कि गांव के हर सदस्य के जरिए जारी किया जाता है। इस मेनिफेस्टो के माध्यम से गांव के हर व्यक्ति को विकास का एक ख़ाका समझाया जाता है। इस घोषणापत्र के जरिए गांव के विकास से जुड़े प्रमुख मुख्य मुद्दों को गांव के बीच रखा जाता है। इसमें प्रमुख रूप से सफाई, पढ़ाई, दवाई, बिजली-पानी, रोजगार, विपणन, संवाद, जैविक उत्पाद, आत्मनिर्भर गांव, वृक्षारोपण, महिला विकास, गांव स्थापना दिवस जैसे 25 बिंदुओं को शामिल किया गया है। वह आगे बताते हैं कि गांव के प्रधान के भरोसे ही सिर्फ गांव का विकास नहीं सोचा जा सकता है। इसलिए हर गांव में चेंजमेकर बनाने की जरूरत है। चेंजमेकर वह व्यक्ति होता है जो किसी सामाजिक समस्या का समाधान एक रचनात्मक तरीके से करता है। चेंजमेकर अपने गांव के विकास का एजेंडा स्थापित करने में प्रभावशाली भूमिका निभाता है।

डॉ हीरा लाल बताते हैं कि किसी भी गांव की आजीविका की बुनियाद कृषि से जुड़ी होती है इसलिए बिना कृषि को शामिल किए एक आदर्श गांव नहीं बनाया जा सकता है। उनका कहना है कि कृषि सबसे बड़ा उद्योग है और किसान सबसे बड़ा उघमी। उनका मानना है कि किसान उत्पादक संगठन के रूप में हर गांव में समूह बनाने की जरूरत है। इस संगठन की वजह से किसानों को बेहतर सौदेबाजी करने की शक्ति मिलती है और वह अपनी उपज का अच्छा मूल्य प्राप्त कर पाते हैं। किसान उत्पादक संगठन बेहतर विपणन अवसरों के लिए कृषि उत्पादों का एकत्रीकरण करते हैं और व्यवसायिक गतिविधियों को विस्तारित करते हैं। डॉ हीरा लाल के मॉडल गांव अभियान को बड़े स्तर पर सराहा भी जा रहा है। हाल ही में नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ राजीव कुमार ने इनके प्रयासों की प्रशंसा करते हुए सभी को प्रेरणा लेने की सलाह दी है।

भारत की अर्थव्यवस्था गांव से होकर गुजरती है: फोटो- सोशल मीडिया


भारत की अर्थव्यवस्था गांव से होकर गुजरती है

21वीं सदी का भारत बिना गांव को विकास की मुख्यधारा में शामिल किए बगैर 5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था नहीं बन सकता है। विश्व की सबसे अग्रणी अर्थव्यवस्था बनने का रास्ता भारत के गांव से होकर गुजरता है। भारत की 65 फ़ीसदी से अधिक आबादी गांव में रहती है यानी कि भारत का 65 फ़ीसदी सामर्थ्य गांव में मौजूद है। इसलिए आज भारत को वैश्वीकरण से ग्राम स्वराज की तरफ वापस लौटने की जरूरत है। इसके लिए गांव को आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक रूप से सशक्त करने की जरूरत है। गांव विकास का एक ऐसा हिस्सा है जो संसाधनों से भरा हुआ है। आज जरूरत इन संसाधनों के समुचित इस्तेमाल की है। गांव को एक मॉडल के रूप में विकसित करने के लिए सामूहिक जन भागीदारी को सुनिश्चित करना कि एक अहम पहलू होता है। आज जरूरत है कि गांव आधारित विकास मॉडल को तैयार कर गांव को स्वावलंबी बनाया जाया। अगर भारत के गांव को हम नई तकनीक और नए विकास के पैमानों से जोड़ने में सफल हो गए तो हमारी 90 फ़ीसदी समस्याओं का समाधान हो जाएगा। जिस दिन भारत के गांव अपने विकास के एजेंडे को खुद स्थापित करेंगे उस दिन सही अर्थों में बापू के ग्राम स्वराज की स्थापना होगी।

लेखक - (संस्थापक एवं अध्यक्ष- फाइनेंस एंड इकोनॉमिक्स थिंक काउंसिल।)

Shashi kant gautam

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