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Food Processing Sector : भारत के खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र का विस्तृत क्षितिज

Food Processing Sector : आर्थिक विकास को गति देने एवं खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में एक बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। भारत सरकार ने विभिन्न व्यावहारिक पहलों के साथ-साथ सुधारों के एक नए युग की शुरुआत की है

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Newstrack Network
Published on: 16 Sept 2024 10:55 PM IST
Mrs Anita Praveen ( Pic- Newstrack)
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Mrs Anita Praveen ( Pic- Newstrack)

Food Processing Sector : भारत दुनिया की सबसे बड़ी एवं सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और इसका खाद्य प्रसंस्करण उद्योग आर्थिक विकास को गति देने एवं खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में एक बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। भारत सरकार ने विभिन्न व्यावहारिक पहलों के साथ-साथ सुधारों के एक नए युग की शुरुआत की है, जिसने भारत को तेजी से विकास के पथ पर ला खड़ा किया है। राष्ट्र न केवल अभूतपूर्व प्रगति एवं विकास का साक्षी बना है, बल्कि एक जीवंत एवं विविधतापूर्ण अर्थव्यवस्था द्वारा संचालित एक वैश्विक शक्ति के रूप में भी उभरा है।


भारत सरकार की प्रगतिशील नीतिगत पहलों एवं उपायों के कारण, खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र ने हाल के वर्षों में उल्लेखनीय प्रदर्शन किया है और मैन्यूफैक्चरिंग के सकल मूल्य वर्धित (जीवीए) में 7.66 प्रतिशत और वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान कृषि के जीवीए में 8.45 प्रतिशत का योगदान दिया है।समृद्ध एवं विविधतापूर्ण कृषिगत संसाधनों से लैस भारत वैश्विक स्तर पर खाद्य उत्पादन के मामले में एक महत्वपूर्ण शक्ति है। दूध, पोषक अनाज, खाद्यान्न, फल, सब्जियां, चाय और मछली जैसे कई खाद्य पदार्थों का सबसे बड़ा उत्पादक होने के नाते, इसने खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के लिए एक मजबूत आधार तैयार किया है।


वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान भारत का कृषि-खाद्य निर्यात बढ़कर 46.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया, जो इस क्षेत्र की तीव्र प्रगति और इसके बढ़ते वैश्विक प्रभाव को दर्शाता है। कुल कृषि-खाद्य निर्यात में प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों की हिस्सेदारी 2014-15 में 4.90बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2023-24 में 10.88बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गई। नवाचार, निवेश और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के सही मिश्रण के साथ, यह क्षेत्र अपनी क्षमता का संपूर्ण दोहन करने और देश के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए तैयार है।

प्रौद्योगिकी ने की खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में क्रांति

भारत के खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में अपार एवं विविधतापूर्ण अवसर उपलब्ध हैं और इसका प्रत्येक उप-क्षेत्र विकास की अनूठी संभावनाएं प्रदान करता है। प्रौद्योगिकी के आगमन ने इस उद्योग में क्रांति ला दी है, जिससे खाद्य सुरक्षा, पैकेजिंग, लॉजिस्टिक्स और आपूर्ति श्रृंखला के प्रबंधन में अभूतपूर्व प्रगति हुई है। ई-कॉमर्स में आए उछाल और उपभोग के लिए तैयार (रेडी-टू-ईट) व सुविधाजनक खाद्य पदार्थों की बढ़ती मांग ने इस क्षेत्र के विकास के नए रास्ते खोल दिए हैं, जिससे यह निवेशकों और उद्यमियों के लिए एक आकर्षक विकल्प बन गया है।


खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के समग्र विकास को सहायता प्रदान करने हेतु, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय (एमओएफपीआई) ने ऐसी कई योजनाएं और पहल लागू की हैं, जो बदलाव लाने और एक मजबूत इकोसिस्टम को बढ़ावा देने में अहम रही हैं। यह इकोसिस्टम सूक्ष्म, लघु, मध्यम एवं बड़े उद्यमों में नवाचार, निवेश और समावेशिता को प्रोत्साहित करता है। प्रधानमंत्री किसान सम्पदा योजना (पीएमकेएसवाई) नाम की प्रमुख योजना ने खेतों से रिटेल आउटलेट तक कुशल आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन के साथ आधुनिक बुनियादी ढांचे के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।


इन प्रयासों से न केवल फसल कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम किया जा सका है, बल्कि निर्यात क्षमता में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इसके अलावा, उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआईएस) भारत के खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के विकास और प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ावा देने की दिशा में एक प्रमुख प्रयास है। मंत्रालय देश में सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों की स्थापना/उन्नयन के लिए वित्तीय, तकनीकी और व्यावसायिक सहायता प्रदान करने हेतु केन्द्र प्रायोजित “पीएम सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों की औपचारिकीकरण योजना (पीएमएफएमई)” भी लागू कर रहा है।

‘वर्ल्ड फूड इंडिया’: वैश्विक स्तर पर ‘फूड बास्केट’ के रूप में भारत

खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय द्वारा परिकल्पित ‘वर्ल्ड फूड इंडिया’ वैश्विक स्तर पर एक खाद्य प्रसंस्करण केंद्र के रूप में उभरने के प्रति भारत की प्रतिबद्धता का प्रमाण है। यह वार्षिक उत्सव एक ऐसे वैश्विक मंच के रूप में कार्य करता है, जो खाद्य मूल्य श्रृंखला के विभिन्न क्षेत्रों से संबंधित हितधारकों को एक साथ लाता है, पारस्परिक सहयोग को बढ़ावा देता है, ज्ञान साझा करने की प्रक्रिया को प्रोत्साहित करता है और भारत को एक वैश्विक खाद्य प्रसंस्करण केन्द्र बनने के अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में प्रेरित करता है।


यह बहुप्रतीक्षित कार्यक्रम 19 से 22 सितंबर, 2024 के दौरान नई दिल्ली स्थित भारत मंडपम में आयोजित किया जाएगा। पिछले संस्करणों की सफलता को आगे बढ़ाते हुए, इस वर्ष के आयोजन का लक्ष्य अपेक्षाकृत अधिक बड़ा और प्रभावशाली कार्यक्रम का संचालन करना है जो नेटवर्किंग और सहयोग के अद्वितीय अवसर प्रदान करे। मंत्रालय वैश्विक निवेशकों, व्यापारिक जगत की अग्रणी हस्तियों, खाद्य प्रसंस्करण कंपनियों, निर्यातकों, आयातकों, नवोन्मेषकों तथा सरकारी प्रतिनिधियों को इस प्रतिष्ठित कार्यक्रम में शामिल होने और भारत के विशाल खाद्य बाजार व आर्थिक अवसरों का लाभ उठाने के लिए आमंत्रित किया है।


वर्ल्ड फूड इंडिया 2024 में पेट फूड, एचओआरईसीए (होटल, रेस्तरां और कैटरिंग) और फसल की कटाई के बाद (पोस्ट हार्वेस्ट) उपयोग में आने वाली मशीनरी सहित कई नए क्षेत्रों को समर्पित विशेष खंड शामिल होंगे। ये नए समावेश खाद्य उद्योग के उभरते परिदृश्य को दर्शायेंगे और इनका उद्देश्य विविध किस्म के निवेश व नवाचारों को आकर्षित करना है। यह आयोजन उद्योग जगत के हितधारकों के बीच ज्ञान साझा करने और सहयोग की सुविधा की दृष्टि से डिजाइन किए गए विभिन्न विषयगत सत्रों की एक श्रृंखला का आयोजन करेगा। इसके मुख्य विषयों में टिकाऊ पैकेजिंग प्रौद्योगिकियां; अपशिष्ट को न्यूनतम करना, मूल्य को अधिकतम करना; खाद्य-पदार्थ एवं व्यापार के मामले में क्रांतिकारी बदलाव लाना शामिल होंगे। ये सत्र विशेषज्ञों को चुनौतियों का समाधान करने, सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों को साझा करने और सतत विकास के लिए उपयुक्त रणनीतियों का पता लगाने के लिए एक मंच प्रदान करेंगे। इसी के समानांतर, ‘रिवर्स बायर सेलर मीट’ अंतर्राष्ट्रीय खरीदारों एवं भारतीय विक्रेताओं के बीच सीधे बातचीत को संभव बनाएगी, बाजार तक पहुंच सुलभ करेगी और नई साझेदारियों को बढ़ावा देगी।

वैश्विक खाद्य नियामक शिखर सम्मेलन का आयोजन

इन बातों के अलावा, भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण द्वारा आयोजित वैश्विक खाद्य नियामक शिखर सम्मेलन का आयोजन वर्ल्ड फूड इंडिया के साथ किया जायेगा। इस शिखर सम्मेलन का उद्देश्य खाद्य सुरक्षा, गुणवत्ता और नवाचार से संबंधित महत्वपूर्ण समस्याओं के समाधान हेतु वैश्विक खाद्य नियामकों के बीच निरंतर बातचीत एवं सहयोग को प्रोत्साहित करना है।


खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय एक ऐसे जीवंत व सुदृढ़ खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है जो न केवल भारत की आर्थिक समृद्धि में योगदान दे, बल्कि देश के लोगों का कल्याण भी सुनिश्चित करे। साथ मिलकर, हम एक ऐसे भविष्य का निर्माण कर सकते हैं, जहां विकसित भारत की आकांक्षाओं और एक आत्मनिर्भर राष्ट्र के सपने को साकार करते हुए भारत खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर एक अग्रणी देश के रूप में स्थापित होगा।

(लेखिका खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय की सचिव हैं।)



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Shalini Rai

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