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आत्मनिर्भरता की ओर भारतीय इस्पात उद्योग, इन दो बातों से आया क्रांतिकारी परिवर्तन

भारतीय इस्पात उद्योग को आत्मनिर्भर भारत में अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान देने के लिए सक्षम बनाना-'स्पेशलिटी स्टील' के लिए उत्पादन..

Deepak Raj
Published By Deepak RajWritten By Ramchandra Prasad Singh
Published on: 5 Sep 2021 11:02 AM GMT
Steel industry, file photo source social media
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स्टील उद्योग फाइल फोटो( सोर्स-सोशल मीडिया)

भारतीय इस्पात उद्योग को आत्मनिर्भर भारत में अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान देने के लिए सक्षम बनाना-'स्पेशलिटी स्टील' के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआई) को इसी रूप में देखा जाना चाहिए। न्यू इंडिया बनाने की दिशा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दूरदर्शी और रणनीतिक दृष्टिकोण, विनिर्माण क्षेत्र को मजबूत करने और इसके आत्मनिर्भर होने पर जोर देता है। जुलाई में केंद्रीय इस्पात मंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के बाद, यह पहली नीतिगत योजना है, जिसे लागू करने का अवसर मुझे मिला। यह योजना इस बात का शानदार उदाहरण है कि कैसे दो तरीकों से संस्थानों की मदद की जा सकती है–सटीकता को ध्यान में रखते हुए सोचें और पेश किये गए विकल्पों के आधार पर बेहतर निर्णय लें। इन विकल्पों को इस तरह डिज़ाइन किया गया है कि इससे दोनों ही पक्ष जीत की स्थिति में होंगे।


राम चंद्र प्रसाद सिंह केंद्रीय इस्पात मंत्री भारत सरकार (फाइल फोटो, सोर्स-सोशल मीडिया)

घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में मूल्य वर्धित उत्पादों की बेहतर कीमत मिलेगी

इस योजना के तहत 'स्पेशलिटी स्टील' के वृद्धिशील उत्पादन के लिए पात्र कंपनियों को साल-दर-साल आधार पर पांच साल की अवधि तक प्रोत्साहन दिया जायेगा। इसलिए, सरकार उन्हें उत्पादों में मूल्य-वर्धन के लिए प्रोत्साहित कर रही है। इससे दोहरा फायदा होगा। उन्हें घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में मूल्य वर्धित उत्पादों की बेहतर कीमत मिलेगी। योजना के तहत प्रोत्साहन भी प्राप्त होगा। इस योजना से एकीकृत इस्पात उत्पादकों के साथ-साथ द्वितीयक इस्पात उत्पादकों और एमएसएमई को भी लाभ होगा। 'स्पेशलिटी स्टील' के घरेलू निर्माण को बढ़ावा देने और महत्वपूर्ण निवेश आकर्षित करने के लिए 6,322 करोड़ रुपये के परिव्यय की योजना बनाई गई है।



इस्पात उद्योग (फाइल फोटो, सोर्स-सोशल मीडिया)


'स्पेशलिटी स्टील' की वह श्रेणी, जिसे प्रोत्साहन देने की आवश्यकता है। इसको उत्पादकों और उपयोगकर्ता उद्योगों के परामर्श से अंतिम रूप दिया गया है। 'स्पेशलिटी स्टील' उन 13 महत्वपूर्ण क्षेत्रों में से एक है, जिन्हें भारत की विनिर्माण क्षमता और निर्यात बढ़ाने के लिए चिह्नित किया गया है। जिनके लिए पीएलआई योजनाओ को मंजूरी दी गई है। प्रोत्साहन का उद्देश्य उपभोक्ताओं को बेहतर उत्पाद देने के साथ आयात में कमी लाकर भारत के विकास को गति देना है।

इस्पात क्षेत्र में वैश्विक चैंपियन भी बन सकता है भारत

इसके अलावा, इस योजना के तहत अपेक्षित अतिरिक्त निवेश से न केवल घरेलू मांग को पूरा करने की क्षमता विकसित होगी; बल्कि आने वाले समय में इस्पात क्षेत्र, वैश्विक चैंपियन भी बन सकता है। पीएलआई योजना उच्च श्रेणी के स्टील उत्पादन में प्रधानमंत्री के 'आत्मनिर्भर भारत' के विज़न को पूरा करने में मदद करेगी। इसके अलावा इस योजना से तकनीकी क्षमताओं को प्राप्त करने और एक प्रतिस्पर्धी व तकनीकी रूप से उन्नत इको-सिस्टम बनाने में सहायता मिलेगी। लगभग 40,000 करोड़ रुपये के निवेश से 'स्पेशलिटी स्टील' की घरेलू क्षमता में वृद्धि होगी, आयात में लगभग 30,000 करोड़ रुपये के कमी आयेगी और निर्यात में लगभग 33,000 करोड़ रुपये के वृद्धि होगी। लगभग 25 मिलियन टन की अतिरिक्त विनिर्माण क्षमता सृजित होगी।


स्टील उद्योग (फोटो सोर्स-सोशल मीडिया)


अनुमान है कि इस योजना में लगभग 5,25,000 लोगों को रोजगार देने की क्षमता है, जिनमें से लगभग 68,000 प्रत्यक्ष रोजगार होंगे। शेष अप्रत्यक्ष रोजगार होंगे। स्पेशलिटी स्टील क्षेत्र को प्रोत्साहन के लिए चुना गया था, क्योंकि भारतीय इस्पात उद्योग, इस्पात कारोबार के सन्दर्भ में मूल्य श्रृंखला के निचले स्तर पर काम करता है। वित्त वर्ष 2020-21 में भारत का इस्पात निर्यात 10.7 मिलियन टन था। इसमें 'स्पेशलिटी स्टील' का हिस्सा 1.8 मिलियन टन था, जबकि आयात 4.7 मिलियन टन रहा, जिसमें 'स्पेशलिटी स्टील' का हिस्सा 2.9 मिलियन टन था। कुल व्यापार के प्रतिशत के रूप में उच्च आयात और कम निर्यात के इस असंतुलन को पीएलआई योजना द्वारा एकदम से विपरीत किया जा सकता है।

राष्ट्रीय इस्पात नीति (एनएसपी), 2017 के तहत 2030-31 तक रणनीतिक अनुप्रयोगों के लिए उच्च श्रेणी के ऑटोमोटिव स्टील, इलेक्ट्रिकल स्टील, विशेष स्टील और मिश्र धातुओं की पूरी मांग को घरेलू स्तर पर पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। देश इस विजन को तभी हासिल कर सकता है, जब सरकार इस तरह के 'स्पेशलिटी स्टील' के उत्पादन को बढ़ाने और मूल्य श्रृंखला को बेहतर बनाने के लिए इस्पात उद्योग को प्रोत्साहित करे। मुझे विश्वास है कि यह पीएलआई योजना हमें उच्च गुणवत्ता वाले मूल्य वर्धित इस्पात का उत्पादन करने वाले देशों में शामिल करने में मदद करेगी। आइए हम "मेक इन इंडिया" ब्रांड, जिसका अर्थ प्रतिस्पर्धी कीमत पर उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद का निर्माण है, को मजबूत करने के लिए साथ मिलकर काम करें।

Deepak Raj

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