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India vs Bharat: हंगामा है बरपा इंडिया बनाम भारत को लेकर

India vs Bharat: देशों के नाम परिवर्तित करने की प्रक्रिया कोई नवीन प्रथा नहीं है। इसके अनेक उदाहरण देखने को मिलते हैं, यथा - हॉलैण्ड ने नीदरलैण्ड, बर्मा ने म्यांमार, तुर्की ने तुर्कीये आदि।

Yogesh Mohan
Written By Yogesh Mohan
Published on: 16 Sept 2023 7:44 AM IST (Updated on: 16 Sept 2023 3:14 PM IST)
India vs Bharat
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India vs Bharat (Photo: Social News)

India vs Bharat: आज देश में इंडिया बनाम भारत नाम की चर्चा सोशल मीडिया एवं राजनीतिक क्षेत्रों में अत्यधिक हो रही है। यह चर्चा स्वाभाविक भी है । क्योंकि जब भी देश परिवर्तन की ओर अग्रसरित होता है तो कुछ सज्जन पुरूष स्वयं को सुर्खियों में रखने के लिए अपने कुछ सार्थक तथा अनर्गल विचार रखने के लिए स्वतंत्र होते है। कुछ लोग परिवर्तन के हित-अहित की चिंतन किए बिना व्यर्थ का ही अनुसरण करने लगते हैं। देशों के नाम परिवर्तित करने की प्रक्रिया कोई नवीन प्रथा नहीं है। इसके अनेक उदाहरण देखने को मिलते हैं, यथा - हॉलैण्ड ने नीदरलैण्ड, बर्मा ने म्यांमार, तुर्की ने तुर्कीये आदि।

अब यदि इंडिया बनाम भारत देश को केवल भारत के नाम से पहचाना जाए तो इसमें भारत माता का अस्तित्व समाप्त न होकर यथावत रहेगा, क्योंकि भारत और इंडिया दोनों ही शब्द हमारी प्राचीन संस्कृति की ही देन है। इन पर पाश्चात्य संस्कृति का कोई भी प्रभाव नहीं है। यदि हम इतिहास पर दृष्टिपात करें तो ज्ञात होता है कि इंडिया शब्द की उत्पत्ति इंडस शब्द से हुई। इंडस शब्द का उदय इंडस वैली से हुआ है जो सिंधु नदी का नाम हुआ करता था। सिंधु एक संस्कृत शब्द है। कालान्तर में भाषा के परिवर्तित रूप के कारण इसका इंडिया नाम भी प्रचलित हो गया और यह परिवर्तन उसी प्रकार हुआ जैसे - बहुत से अन्य शहरों के नाम में परिवर्तन होता है। जिस प्रकार मनुष्य का शरीर नश्वर होता है, आत्मा अजर, अमर होती है, उसी प्रकार भारत देश की महिमा सदैव से ही रही है। भारत देश की भूमि को माता का स्थान हमेशा से ही रहा है और हमेशा ही रहेगा। अब चाहें इसे अतीत में इंडिया या किसी अन्य नाम से ही क्यों न जाना जाता रहा हो।

आज देश के समक्ष कुछ विचारणीय बिन्दु हैं, जिनपर भारत के राजनीतिज्ञों, सामाजिक कार्यकर्ताओं तथा पत्रकारों के विशिष्ट वर्गों के द्वारा सकारात्मक चिन्तन करने की नितान्त आवश्यकता है। वे प्रमुख बिन्दु निम्नवत् हैं, यथा - शिक्षा, चिकित्सा, जीडीपी, गरीबी, महिलाओं पर अत्याचार, भ्रष्टाचार, स्वस्थ राजनीति, विकास, न्याय में विलम्ब, चुनावों में पारदर्शिता आदि।इन बिन्दुओं पर सकारात्मक चिन्तन के साथ कार्य करने से भारत का विकास प्रभावित होगा। अब यदि इंडिया के स्थान पर भारत देश नाम रख भी दिया जाए तो उपरोक्त मुद्दो पर कोई प्रभाव नहीं होने वाला।

हमारे देश का नाम परिवर्तन करने का प्रयास पूर्व से ही किया जाता रहा है। यह मुद्दा पहले भी संसद और विधानसभाओं में चर्चा का विषय रहा है । परन्तु इस विषय पर कोई ठोस निर्णय नहीं हो पाया। अब यदि यह नाम परिवर्तित हो जाता है तो भारत की जनता को अत्यधिक प्रसन्नता होगी। भारत नाम हम भारतीयों की संस्कृति से जुड़ा है, जिस कारण हम भारतीयों को प्रसन्नता की अनुभूति होना स्वाभाविक है। नाम परिवर्तन की प्रक्रिया को प्रारम्भ करने के साथ-साथ सरकार ने कानूनी जटिलताओं का अवश्य ही संज्ञान में लिया होगा। देश को मोदी जी को बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहिए कि उन्होंने इतना प्रशंसनीय कार्य करने का निश्चिय किया, जिसके विषय में किसी ने स्वप्न में भी नहीं सोचा था। इसके लिए सम्पूर्ण देश उनका सदैव ऋणी रहेगा।

(लेखक शिक्षाविद हैं।)

Snigdha Singh

Snigdha Singh

Leader – Content Generation Team

Hi! I am Snigdha Singh from Kanpur. I Started career with Jagran Prakashan and then joined Hindustan and Rajasthan Patrika Group. During my career in journalism, worked in Kanpur, Lucknow, Noida and Delhi.

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