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International Day: बच्चों में बसते भगवान, ऐसे रोकें बाल यातना एवं अवैध तस्करी
भारत देश या वह देश जहां पर गरीबी अधिक होती है ऐसे ग्राहकों के लिए या पीडोफिलिया मनोरोगी का गढ़ माना जाता है। इससे पीड़ित व्यक्ति विशेषकर बच्चों को अनैतिक कार्य सेक्स या ऐसा यातना पूर्ण कार्य करते हैं
International Day Against Child Torture and Illegal Trafficking: हम लोग बच्चों में परमात्मा देखते है| बच्चों से लाड-प्यार व दुलार-पुचकार कर उनसे हंसी-खेल करके खुद आपका मन भी आनंदित और तरोताजा हो जाता होगा| परन्तु आप को जानकर आश्चर्य होगा कि कुछ ऐसे लोग है जो बच्चो को प्यार दुलार कि बजाय उनका यौन शोषण व यातनाये देकर संतुष्ट व आनंदित होते है । यह मनोविकृति है| दिमाग़ का दिवालियापन है|
इस मनोरोग को पीडोफिलिया नाम से जाना जाता है| इससे पीड़ित व्यक्ति विशेषकर बच्चों को अनैतिक कार्य सेक्स या ऐसा यातना पूर्ण कार्य करते हैं जिसकी यातना से बच्चों में दर्द का, डर का जो भाव होता है और उनकी चीख से वह यातना देने वाला बहुत ही आनंद वह सकुन महसूस करता है।
ज्यादातर बच्चे अपने ही घरों में शिकार
इस पीडोफिलिया नामक रोग का शिकार 85 परसेंट बच्चे होते हैं| इन बच्चों के साथ अप्राकृतिक सेक्स करना, काटना, जलाना यहां तक उनके टुकड़े-टुकड़े करके उनके मांस तक खाना शामिल है|
जानकार लोगों का कहना है वैसे तो पूरे विश्व में इस प्रकार के लोग पाए जाते हैं| अगर आप अपने आसपास भी देखेंगे तो आपको अनेक इस तरीके के प्रताड़ित बच्चे मिल जाएंगे जो ज्यादातर अपने ही घरों में शिकार होते हैं| लेकिन अरब देश के लोगों का एक विशेष वर्ग का शौक और खेल होता है जिसके लिए वह बच्चों का अपहरण कराते हैं और उनकी ख़रीद फ़रोख़्त कर के शोक करते हैं |
भारत देश या वह देश जहां पर गरीबी अधिक होती है ऐसे ग्राहकों के लिए या पीडोफिलिया मनोरोगी का गढ़ माना जाता है आजकल भारत में गोवा/ बिहार गड बनता जा रहा है |हमारे देश मे बहुत से पीडोफिलिया विदेशी सैलानी आते है, जिससे कि बच्चो के तस्करो की अच्छी कमाई हो रही है। वैसे तो कुछ देशो मे बच्चो को ऊँट की पीठ पर बान्धकर ऊँटो को दौडाया जाता है जिससे बच्चे कि चित्कार् से वहा के लोग आनन्द की प्राप्ति करते है| यह भी पीडोफिलिया का ही एक उदाहरण है ।
सामाजिक व परिवारिक लोगों को बच्चों के प्रति इस प्रकार की यातना से बचाने के लिए उन्हें बच्चों के ऊपर विशेष ध्यान रखना चाहिए कि कहीं कोई अड़ोसी या पड़ोसी या रिश्तेदार उसे प्रलोभन देकर या उसके प्रती असामान्य व्यवहार तो नही कर रहा हैं।
यही भी ध्यान दे यह लोग उसके साथ अप्राकृतिक कृत्य या प्राइवेट पार्ट पर हाथ तो नहीं लगा रहा है| आपका ध्यान उस पीड़ित व्यक्ति के अवसाद बाद उन्माद जैसी इच्छाओं से बचा सकता है| आपको जानकर बड़ा आश्चर्य होगा की यह कृत्य सम्भ्रांत परिवार में नोकर द्वारा बच्चों के साथ या छोटे नौकरों के साथ काफी परसेंटेज में पाई जाती है| जब घर के लोग इस तरह का कृत्य करते है तो प्रश्न उठता है कैसे बाल गोपाल को बचाये।
क्यों करते हैं लोग ऐसा
सत्यमेव जयते रियलिटी टी.वी. शो में बाल यौन शोषण की कुछ सच्ची घटनाये देख कर आप का मन जरुर कौतुहल व हैरानी से भर गया होगा और मन में ये प्रश्न भी उठ रहा होगा ऐसा भी होता है और आखिर बाल यौन शोषण करने वाले लोग ऐसा क्यों करते है |
आपको बताते है .2018 हिंदुस्तान टाइम्ज़ ने इस मुद्दे को बहुत प्रमुखता से वीमेन अवार्ड लखनऊ में उठाया| आपको जानकर आश्चर्य होगा वहाँ उपस्तिथ महिलाओं को जानकारी होने पर रो पड़ी। इसकी भयानकता से अनभिज्ञ थी। तमाम सम्भ्रांत महिलाओं को जानकारी का अभाव था |
हमारे देश मे बहुत से गैंग है जो बच्चो की तस्करी यौन शोषण व यातनाय व भिक्षा के लिए बच्चों को उठा लेते है फिर अच्छे दाम में बेच देते है| इसकी रोक थाम के लिए अनेक सामाजिक संस्थाओ ने शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक शोषण का शिकार बच्चों द्वारा पीड़ित और दर्द को समझाहै जो इस जोखिम से भरे काम को कर रही है|
आज समाज के हर नागरिक का कर्त्तव्य है बच्चों को समझायें क्या सही है क्या ग़लत इस तरह घर के शोषण को रोका जा सकता है| बाहर बच्चों की निगरानी रखे और उन्हें कभी भी अकेला ना छोड़े जबतक भरोसा ना हो ।
बाल यातना एवं अवैध तस्करी के ख़िलाफ़ अंतर्राष्ट्रीय दिवस 04 जून को संयुक्त राष्ट्र द्वारा मनाया जाता है| इसकी स्थापना 19 अगस्त 1982 को हुई थी|मूल रूप से 1982 के लेबनान युद्ध के पीड़ितों पर केंद्रित इस दिवस का उद्देश्य "विश्व भर में शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक शोषण का शिकार बच्चों द्वारा पीड़ित और दर्द को समझना है| यह दिवस बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है|