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International Volunteer Day : स्वयंसेवक रचते हैं सेवा एवं संस्कृति के नये स्वास्तिक

International Volunteer Day : संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 17 दिसंबर, 1985 को स्वयंसेवक दिवस मनाने की घोषणा की। तब से अंतर्राष्ट्रीय स्वयंसेवक दिवस संयुक्त राष्ट्र प्रणाली, सरकारों, नागरिक समाज संगठनों आदि द्वारा प्रतिवर्ष मनाया जाने लगा।

Lalit Garg
Written By Lalit Garg
Published on: 4 Dec 2024 4:57 PM IST
International Volunteer Day : स्वयंसेवक रचते हैं सेवा एवं संस्कृति के नये स्वास्तिक
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International Volunteer Day : सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्वयंसेवक दिवस 5 दिसंबर को प्रतिवर्ष दुनिया भर में मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 17 दिसंबर, 1985 को स्वयंसेवक दिवस मनाने की घोषणा की। तब से अंतर्राष्ट्रीय स्वयंसेवक दिवस संयुक्त राष्ट्र प्रणाली, सरकारों, नागरिक समाज संगठनों आदि द्वारा प्रतिवर्ष मनाया जाने लगा। यह दिवस उन लोगों और संगठनों का सम्मान करता है, जो दूसरों के जीवन को बेहतर बनाने एवं जरूरतमंद लोगों की सहायता के लिए अपना समय और ऊर्जा स्वेच्छा से देते हैं। स्वयंसेवकों को मान्यता देने के साथ-साथ, इस दिन का उद्देश्य परोपकार, सेवा एवं सहायता के रूप में स्वयंसेवा को बढ़ावा देना भी है। यह स्वयंसेवकों से जुड़े संगठनों और व्यक्तिगत स्वयंसेवकों को स्वयंसेवा को बढ़ावा देने, सरकारों को स्वयंसेवी प्रयासों का समर्थन करने के लिए प्रोत्साहित करने और स्थानीय, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) की उपलब्धि में स्वयंसेवकों के योगदान को मान्यता देने का अवसर प्रदान करता है।

पूरी दुनिया में 970 मिलियन स्वयंसेवक हैं। भले ही लाखों स्वयंसेवक हों, लेकिन दुनिया को हमेशा और अधिक की आवश्यकता है। आज देश एवं दुनिया के विभिन्न विश्वविद्यालयों में जिस स्वयंसेवक संगठन की उपयोगिता एवं सार्थकता की चर्चा है, जिसकी विलक्षणताओं एवं विशेषताओं पर शोध हो रहा है, वह है भारत का शताब्दी वर्ष मना रहा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, जो दुनिया सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन है। संघ देश की सरकारों तथा गैर-सरकारी संस्थाओं को आर्थिक तथा सामाजिक विकास के साथ-साथ राष्ट्रीय एकता, सांस्कृतिक विरासत को प्रोत्साहन देने एवं राष्ट्रीय अस्तित्व एवं अस्मिता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का स्मरण कराता है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भारत का एक दक्षिणपंथी, हिन्दू राष्ट्रवादी, अर्धसैनिक, स्वयंसेवक संगठन हैं, जो भारत के सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी का व्यापक रूप से पैतृक संगठन माना जाता हैं। यह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अपेक्षा संघ या आर.एस.एस. के नाम से अधिक प्रसिद्ध है। बीबीसी के अनुसार संघ विश्व का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संस्थान है। इसकी स्थापना सन् 27 सितंबर 1925 को विजयदशमी के दिन मोहिते के बाड़े नामक स्थान पर डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार ने की थी। संघ के 5 स्वयंसेवकों के साथ शुरू हुई विश्व की पहली शाखा आज 50 हजार से अधिक शाखाओ में बदल गई और ये 5 स्वयंसेवक आज करोड़ों स्वयंसेवकों के रूप में हमारे समाने हैं, जो स्वयं में एक विलक्षण एवं अद्भूत उदाहरण है। संघ आर्थिक असंतुलन, सांस्कृतिक उन्नयन एवं गरीबी को दूर करने एवं समतामूलक समाज की स्थापना के लिये प्रतिबद्ध है। राष्ट्र कई क्षेत्रों में प्रगति करने के बाद भी देश में गरीबी एक राक्षस के रूप में खड़ी है। जिस तरह हम विजयादशमी के दिन राक्षस रूपी पुतला का वध कर बुराई पर अच्छाई को स्थापित करने का संकल्प लेते हैं उसी तरह हमें इस गरीबी पर विजय पाने का प्रण लेना होगा। इसके लिए देश में सभी को नौकरी सरकार या निजी संस्थाएं दे नहीं सकती हैं। इसलिए हमें स्वरोजगार एवं स्व उद्यमिता पर जोर देना होगा। स्वदेशी जागरण मंच की ओर से स्वावलंबी भारत के लिये संघ प्रयासरत है।


संघ की विचारधारा में राष्ट्रवाद, हिंदुत्व, हिंदू राष्ट्र, राम जन्मभूमि, अखंड भारत, समान नागरिक संहिता जैसे विषय हैं, जो देशवासियोें को देश की समरसता की ओर ले जाते हैं। 1975 के बाद से धीरे-धीरे इस संगठन का न केवल सामाजिक-सांस्कृतिक बल्कि राजनीतिक महत्व बढ़ता गया और इसकी परिणति भाजपा जैसे राजनीतिक दल के रूप में हुई जिसे आमतौर पर संघ की राजनीतिक शाखा के रूप में देखा जाता है। संघ की स्थापना के 75 वर्ष बाद सन् 2000 में प्रधानमन्त्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में एनडीए गठबंधन की सरकार भारत की केन्द्रीय सत्ता पर आसीन हुई। इसके पश्चात 2014 एवं 2019 में नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री नेतृत्व इसकी सरकार बनी हैं। संघ का मूल उद्देश्य भारत को उसकी अपनी सभ्यता एवं संस्कृति के परिप्रेक्ष्य में पहचान प्रदान करना है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ संघ या आरएसएस के नाम से अधिक लोकप्रिय है। इसका मुख्यालय महाराष्ट्र के नागपुर में है। संघ के छोटे बड़े लगभग 55 स्वस्थ समाज निर्माण में जुटे संगठन एवं गतिविधियां हैं जो संसारभर में फैले हैं। महात्मा गाँधी ने 1934 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शिविर की यात्रा के दौरान वहाँ पूर्ण अनुशासन, समर्पण देखा और छुआछूत की अनुपस्थिति पायी। इससे प्रभावित होकर उन्होंने संघ की मुक्त कंठ से प्रशंसा की। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ संसार का अकेला ऐसा संगठन है जिसमें आज तक भ्रष्टाचार, पदलिप्सा या अनैतिकता की स्थिति नहीं आई। इस समय संघ द्वारा करीब 25,028 सेवा-प्रकल्प चलाए जा रहे हैं। ये प्रकल्प देश के 30 प्रांतों में 11,498 स्थानों पर चल रहे हैं।

ये सेवा कार्य भिन्न-भिन्न क्षेत्रों पर केन्द्रित हैं, जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा, सामाजिक, आर्थिक विकास, कौशल विकास, गोसेवा आदि। भौगोलिक दृष्टि से 16,101 सेवा कार्य ग्रामीण क्षेत्रों में, 4,266 वनवासी क्षेत्रों में, 3,412 सेवा बस्तियों में और शेष स्थानों पर 1,249 सेवा कार्य चल रहे हैं। संघर्षों से जूझने की क्षमता संघ को अपने उदयकाल से ही प्राप्त है। इसके सामने प्रारंभ से जैसी संघर्षपूर्ण परिस्थितियां रही है, साधारण व्यक्ति या संस्था उसके सामने टिकने का साहस नहीं कर पाता। किन्तु जिसकी जन्मघूंटी के साथ ही अनुशासन, सहिष्णुता, संगठन, राष्ट्रीयता के संस्कार मिल जाये, वह कभी हार नहीं सकता।


अंतर्राष्ट्रीय स्वयंसेवक दिवस मनाते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थितियों का आकलन इस दिवस की सार्थकता को व्यक्त करता है। आरएसएस में स्वयंसेवक इस शब्द का अर्थ होता है- स्वेच्छा से काम करने वाला। संघ के विचारों को मानने वाले और नियमित तौर पर शाखा में जाने वाले लोगों को संघ का स्वयंसेवक कहा जाता है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रमुख शैक्षणिक प्रवृत्ति एवं संगठनात्मक उपक्रम है विद्या भारती। जो आज 20 हजार से ज्यादा स्कूल चलाता है, लगभग दो दर्जन शिक्षक प्रशिक्षण कॉलेज, डेढ़ दर्जन कॉलेज, 10 से ज्यादा रोजगार एवं प्रशिक्षण संस्थाएं चलाता है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद को विश्व के सबसे बड़ा छात्र संगठन के रूप में भी जाना जाता है।

विद्यार्थी परिषद का नारा है- ज्ञान, शील और एकता। स्वास्थ्य के क्षेत्र में संघ के कुल प्रकल्पों की संख्या 3,112 है। भारतीय किसान संघ की स्थापना 4 मार्च 1979 को राजस्थान के कोटा शहर में महान भारतीय तत्त्वचिंतक, आंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त मजदूर नेता दत्तोपंतजी ठेंगडी ने भारतीय किसानों के उत्थान हेतु की। इस सम्पूर्ण संगठन के पीछे की मूल भावना यह है कि निहित स्वार्थों की जगह सामूहिक हित, राष्ट्रीयता की भावना, स्व-संस्कृति एवं स्व-पहचान को प्राथमिकता देना है। इतनी अकल्पित उपलब्धियों से भरा-पूरा संघ सम्पूर्ण राष्ट्र को एक नई शक्ति, नई ताजगी, नया विश्वास देने वाला है। इसकी सफलता में संघ के शीर्ष नेतृत्व के साथ-साथ कार्यकर्ताओं, जन साधारण का उत्साह, हौसला एवं पुरुषार्थ का योग है। सुदृढ़ संगठन इसकी विरल विशेषता है, संगठन के क्षेत्र में ऐसा कोई दूसरा उदाहरण नहीं है। यही कारण है कि आज संघ की तेजस्विता, वर्चस्विता एवं प्रखरता की चर्चा आम आदमी के मुंह पर है।


सूरज की एक किरण को देखकर सूरज बनने का सपना संजोने वाला संगठन महान होता है। वह और अधिक महान होता है, जो सूरज बनने का सपना देखकर परिपूर्ण सूरज बन जाता है। शताब्दियों के बाद कोई-कोई संगठन ऐसा होता है। वह अपनी रोशनी से एक समूची परंपरा एवं संस्कृति को उद्भासित कर देता है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ऐसा ही अनूठा स्वयंसेवी संगठन है। संघ का काम व्यक्ति, समाज एवं राष्ट्र निर्माण का है। व्यक्ति से समाज एवं समाज से राष्ट्र निर्मित होता हैं। प्रत्येक संघी यानी स्वयंसेवक समाज में आचरण में परिवर्तन लाने का प्रयास करते हैं। यह स्वावलंबी पद्धति से, सामूहिकता से चलने वाला काम है।

स्वयंसेवक परम्परा को इतना मजबूत और विश्वसनीय बनायें कि निर्माण का हर क्षण इतिहास बने। नये एवं सशक्त भारत का निर्माण हो, जिसका हर रास्ता मुकाम तक ले जाये। सबकी सबके प्रति मंगलभावनाएं मन में बनी रहे। आज देश ने राष्ट्रीयता के ईमान को, कर्त्तव्य की ऊंचाई को, संकल्प की दृढ़ता को और मानवीय मूल्यों को सुरक्षित रखने के लिये ‘यशस्वी भारत’ एवं ‘सशक्त भारत’ के रूप में स्वयंसेवक की इस परम्परा ने फिर आह्वान किया है। आओ, फिर एक बार जागें, अराष्ट्रीयता, संकीर्णता एवं स्वार्थ की दीवारों को ध्वस्त करें।



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Rajnish Verma

Rajnish Verma

Content Writer

वर्तमान में न्यूज ट्रैक के साथ सफर जारी है। बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की पढ़ाई पूरी की। मैने अपने पत्रकारिता सफर की शुरुआत इंडिया एलाइव मैगजीन के साथ की। इसके बाद अमृत प्रभात, कैनविज टाइम्स, श्री टाइम्स अखबार में कई साल अपनी सेवाएं दी। इसके बाद न्यूज टाइम्स वेब पोर्टल, पाक्षिक मैगजीन के साथ सफर जारी रहा। विद्या भारती प्रचार विभाग के लिए मीडिया कोआर्डीनेटर के रूप में लगभग तीन साल सेवाएं दीं। पत्रकारिता में लगभग 12 साल का अनुभव है। राजनीति, क्राइम, हेल्थ और समाज से जुड़े मुद्दों पर खास दिलचस्पी है।

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