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ईश दर्शन

मन अशांत था और कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा था। तभी अचानक मोबाइल की रिंगटोन बज उठी पर कॉल उठाने का मन नहीं

Shweta
Published on: 31 March 2021 11:04 AM GMT (Updated on: 31 March 2021 2:48 PM GMT)
ईश दर्शन
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ईश दर्शन( सोशल मीडिया)

नूपुर श्रीवास्तव


ईश दर्शन

मन अशांत था और कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा था।

तभी अचानक मोबाइल की रिंगटोन बज उठी पर कॉल उठाने का मन नहीं हुआ। कुछ देर बाद देखा । अरे यह तो मेरी सबसे प्यारी आंटी का कॉल था ।

पर रात में! मन घबरा गया ।तुरंत कॉल किया । आंटी बोली कल ओरछा चलना है। प्रातः जल्दी जाने को बोली थी आंटी और मन देर तक सोने का था

आलस्य पर ईश दर्शन का लोभ भारी पड़ा और निकल पड़े ओरछा की तरफ अंकल आंटी और मम्मी के साथ।अंकल हमेशा की तरह शांत और आंटी हमेशा की तरह हंसती हुई।पता ही नहीं चला कि कब लाइन में लगे और कब दर्शन हो गए रामराजा सरकार के।

मंदिर के विशाल प्रांगण में स्थित तुलसी चौरा की परिक्रमा के बाद कुछ क्षण विश्राम बहुत आनंदित कर रहा था। कल का विचलित मन आज प्रफुल्लित था। मम्मी आंटी और अंकल के सानिध्य में मैं बीते हुए अतीत की छोटी बालिका बन चुकी थी।

आनंद से हम सब ने वही मंदिर के पास सब्जी पूड़ी और रायते का प्रसाद ग्रहण किया और साथ में कच्ची कैरी का ताजा अचार। वाह क्या अदभुद स्वाद!

हरदौल समाधि की तरफ बढ़ते हुए वहां लगी दुकानों के खिलौने मुझे अत्यंत आकर्षक लग रहे थे और मेरे कदमों में जैसे पर लगे हुए थे।

हरदौल बाबा की परिक्रमा के बाद नारियल फोड़ने को आतुर मेरे हाथों को एक आवाज ने रोक दिया "बेटा नारियल फोड़ने के लिए अपने पापा को बुला लो"! रीति अनुसार नारियल फोड़ना पुरुषों का कार्य है। उल्लासित मन में एक क्षणिक विषाद हुआ। कहां से बुला ले पापा को? गुज़रा कल क्या वापिस आता है ? मन मे कौंध गई सुभद्रा कुमारी चौहान की पंक्तिया

" मैं ही हूँ गरीबिनी ऐसी जो कुछ साथ नहीं लायी।

फिर भी साहस कर मंदिर में पूजा करने को आयी।"

और बढ़ा दिया उस आवाज की तरफ हाथ का नारियल की तोड़ दो आप । तभी एक दूसरी आवाज "लो उसके पापा आ गए "!! देखा तो अंकल खड़े थे। पर वह तो दूर थे ,इतनी जल्दी कैसे पहुंच गए। शायद ईश्वर ने उन्हें कोई इशारा किया और पहुंचा दिया मेरी सहायता को।विस्मृत मैं एकटक देखती रही अंकल को नारियल तोड़ते हुए और तंद्रा तब टूटी जब वह बोले लो चढ़ा दो नारियल।

यह ईश कृपा ही तो है। अशांत चित् आज बहुत शांत है और आज के दर्शन उपरांत एक अद्भुत अनुभूति मन को आल्हादित कर रही है।

ओपिनियन(नूपुर श्रीवास्तव)

लेखिका का परिचय

कु नूपुर श्रीवास्तव अंग्रेज़ी साहित्य में परास्नातक हैं और रेलवे विभाग में कार्यरत हैं। रंगोली, नृत्य ,गारमेंट डिज़ाइन इंटीरियर डिज़ाइन, पेपर क्राफ्ट आदि कलाओं में अभिरुचि के साथ कहानी लेखन का यह प्रथम प्रयास है।

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