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Jai Prakash Narayan: आपातकाल के विरुद्ध शंखनाद करने वाले लोकनायक जयप्रकाश नारायण

Jai Prakash Narayan: पटना में बिहार विद्यापीठ में उच्च शिक्षा के लिए प्रवेश लेने के साथ ही वे स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने लगे। वे 1922 में उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका चले गये। जहां उन्होंने 1922 से 1929 तक कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय व विस्कांसिन विवि में अध्ययन किया।

Mrityunjay Dixit
Written By Mrityunjay Dixit
Published on: 10 Oct 2023 8:42 AM GMT
jai prakash narayan birth anniversary
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jai prakash narayan birth anniversary   (फोटो: सोशल मीडिया )

Jai Prakash Narayan: भारतीय लोकतंत्र के महानायक जयप्रकाश नारायण का जन्म 11 अक्टूबर, 1902 को बिहार के सारण जिले के सिताबदियारा गांव में हुआ था। उनका जन्म ऐसे समय में हुआ था, जब देश विदेशी सत्ता के आधीन था और स्वतंत्रता के लिए छटपटा रहा था। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा सारन और पटना जिले में हुई थी । वे विद्यार्थी जीवन से ही स्वतंत्रता के प्रेमी थे । पटना में बिहार विद्यापीठ में उच्च शिक्षा के लिए प्रवेश लेने के साथ ही वे स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने लगे। वे 1922 में उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका चले गये। जहां उन्होंने 1922 से 1929 तक कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय व विस्कांसिन विवि में अध्ययन किया। वहां पर अपने खर्चे को पूरा व नियंत्रित करने के लिए उन्होंने खेतों व रेस्टोरेंट में काम किया। वे मार्क्स के समाजवाद से प्रभावित हुए। उन्होनें एम ए की डिग्री प्राप्त की। इसी बीच उनकी माता जी का स्वास्थ्य काफी बिगड़ने लगा, जिसके कारण वे अपनी पढ़ाई को छोड़कर स्वदेश वापस आ गये। भारत वापस आने पर उनका विवाह प्रसिद्ध गांधीवादी बृजकिशोर प्रसाद की पुत्री प्रभावती के साथ संपन्न हुआ।

जब वे अमेरिका से वापस लौटे तब भारत में स्वतंत्रता आंदोलन चरम सीमा पर था। वे भी भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन का हिस्सा बने। 1932 में गांधी तथा अन्य नेताओं के जेल जाने के बाद उन्होंने इस आन्दोलन का नेतृत्व किया। अंततः उन्हें भी 1932 में जेल में डाल दिया गया। नासिक जेल में उनकी मुलाकात मीनू मसानी ,अच्युत पटवर्धन ,सी के नारायणस्वामी सरीखे कांग्रेसी नेताओं के साथ हुई। जेल में चर्चाओं के बाद कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी का जन्म हुआ। यह पार्टी समाजवाद में विश्वास रखती थी।

1939 में लोक आंदोलन का नेतृत्व

1939 में उन्होंने अंग्रेज सरकार के खिलाफ लोक आंदोलन का नेतृत्व किया। सबसे बड़ी बात यह है कि जेपी स्वतंत्रता संग्राम के आंदोलन में हथियार उठाने के पक्षधर थे। उन्होंने सरकार को किराया और राजस्व को रोकने का अभियान चलाया। टाटा स्टील कंपनी में हड़ताल करवाकर यह प्रयास किया कि अंग्रेजों को स्टील, इस्पात आदि न पहुंच सके। जिसके कारण उन्हें फिर हिरासत में ले लिया गया। उन्हें नौ माह तक जेल की सजा सुनायी गयी।


गया में विनोबा भावे के सर्वोदय आंदोलन के लिए किया जीवन समर्पित

आजादी के बाद जयप्रकाश नारायण ने 19 अप्रैल, 1954 को बिहार के गया में विनोबा भावे के सर्वोदय आंदोलन के लिए जीवन समर्पित कर दिया। 1959 में उन्होंने लोकनीति के पक्ष में राजनीति करने की घोषणा की। 1974 में उन्हें बिहार में किसान आंदोलन का नेतृत्व किया और तत्कालीन बिहार सरकार के इस्तीफे की मांग की। जेपी प्रारम्भ से ही कांग्रेसी शासन विशेषकर इंदिरा गांधी की राजनैतिक शैली के प्रखर विरोधी थे। 1975 में श्रीमती इंदिरा गांधी ने अपनी सत्ता को बचाकर रखने के लिए आपातकाल लगा दिया। आपातकाल के दौरान देश के विपक्षी दलों के नेताओं को जेलों में डाल दिया गया । लगभग 600 से अधिक नेताओं को जेल में डाला गया। उन पर जेलों में अमानवीय अत्याचार किया गया।जनता पर प्रतिबंध लगाए गये। आपातकाल में अत्याचारों से परेशान जनता कांग्रेस पार्टी से बदला लेने के लिए उतावली हो रही थी।


पटना में ऐतिहासिक रैली से क्रांति का आह्वान किया

जनता व नेताओं को अत्याचारों से मुक्ति दिलाने के लिए जेपी ने अथक प्रयासों से विपक्ष को एक किया और 15 जून, 1975 को पटना में ऐतिहासिक रैली में जेपी ने सम्पूर्ण क्रांति का आह्वान किया। 1977 के चुनावों में देश को पहली बार कांग्रेस से मुक्ति मिली। लेकिन भारत के दुर्भाग्यवश जेपी का यह अथक प्रयास बीच में ही टूट गया। उनके प्रयासों से बनी पहली गैर कांग्रेसी सरकार बीच में ही बिखर गयी। जिससे उनको मानसिक दुःख पहुंचा।

लोकनायक जयप्रकाश नारायाण सम्पूर्ण क्रांति में विश्वास रखते थे। उन्होंने बिहार से ही सम्पूर्ण क्रांति का आरम्भ किया था । वे घर- घर क्रांति का दिया जलाना चाह रहे थे। जेपी का जीवन बहुत ही संयमित व नियंत्रित रहता था । वे राजनैतिक जीवन में उच्च आदर्शों का पालन करते थे, जो देश के कई राजनैतिक दलों को पसंद नहीं थे। आज बिहार के अधिकांश नेता लालू प्रसाद यादव, नीतीश कुमार, रामविलास पासवान आदि कभी जेपी आंदोलन के युवा नेता हुआ करते थे। स्वर्गीय इंदिरा गांधी के आपातकाल के खिलाफ सम्पूर्ण क्रांति का आह्वान करने के नायक, समाज सेवक, लोकनायक जयप्रकाश जी को 1998 में मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया। लोकनायक जी को 1995 में मैगसेसे पुरस्कार प्रदान किया गया।जब 8 अक्टूबर, 1979 को जेपी का निधन हुआ था । तब तत्कालीन प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह ने सात दिन का राजकीय शोक घोषित किया था।

( लेखक स्तंभकार हैं ।)

Monika

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Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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