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Mehbooba Mufti Support For Pakistan: पाक परस्तों के साथ महबूबा का प्रेम तो देखो
Mehbooba Mufti Support For Pakistan: पाकिस्तान के हक में नारेबाजी करने वाले छात्रों को गिऱफ्तार किया तो पीडीपी की नेता महबूबा मुफ्ती को बहुत तकलीफ शुरू हो गई। उनका पाकिस्तान प्रेम सिर चढ़ कर सामने आ गया। उन्होंने गिरफ्तार छात्रों के लिए तत्काल पैरवी करनी चालू कर दी।
Mehbooba Mufti Support For Pakistan: एहसान फरामोशी के मामले में जम्मू-कश्मीर के कुछ लोगों का कोई जवाब नहीं है। उनकी बार-बार भारत के प्रति घृणा सामने आती ही रहती है। यह तो तब है जब भारत सरकार जम्मू-कश्मीर राज्य के लिए तमाम जन कल्याणकारी योजनाओं को लागू कर रही है। अब ताजा मामले को ही देख लें। राज्य के गांदरबेल में मौजूद 'शेर-ए-कश्मीर यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी' के सात छात्रों को गिरफ्तार किया गया है। इन कश्मीरी छात्रों पर आरोप है कि इन्होंने विगत 19 नवंबर को क्रिकेट वर्ल्ड कप फाइनल मैच में ऑस्ट्रेलिया के हाथों भारत की हार के बाद जमकर जश्न मनाया और पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाये गए। छात्रों के ऊपर “गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम” यानी यूएपीए के तहत केस दर्ज किया गया है। उन्हें अब दिन में तारे नजर आने लगेंगे। यूएपीए के तहत गिरफ्तार किए लोगों के लिए जमानत मिलना भी मुश्किल होता है।
कश्मीरी छात्रों का जश्न
अगर किसी के ऊपर इस धारा के तहत मुकदमा दर्ज हो जाता है, तो उसके लिए निचली अदालतों से जमानत लेना बेहद कठिन होता है। इन छात्रों की हरकत के बारे में एक गैर-कश्मीरी छात्र ने शिकायत दर्ज करवाई थी। उसने कहा था कि जब ऑस्ट्रेलिया ने भारत को हराया, तब उनकी यूनिवर्सिटी के हॉस्टल में कश्मीरी छात्रों ने खुलेआम जश्न मनाया। इसकी वजह से वह और उसके बाकी साथी डर गए। डरे और सहमे छात्रों ने हॉस्टल में फोड़े जा रहे पटाखों को लेकर भी आपत्ति जताई। मगर कश्मीरी छात्र जश्न मनाते रहे। शिकायत के बाद पुलिस ने इन सातों कश्मीरी छात्रों को उनके हॉस्टल से गिरफ्तार किया। गिरफ्तार किए गए छात्रों की पहचान तौकीर भट, मोहसिन फारूक वानी, आसिफ गुलजार वार, उमर नजीर डार, सैयद खालिद बुखारी, समीर राशिद मीर और उबैद अहमद के रूप में हुई है। गिरफ्तार कश्मीरी छात्र 'जीवे जीवे पाकिस्तान' (पाकिस्तान जिंदाबाद) के नारे लगा रहे थे। हालांकि कश्मीर में यह कोई पहली बार तो हो नहीं रहा है। कश्मीर घाटी में पाकिस्तान परस्त समय-समय पर सामने आने ही लगते हैं। हालांकि इनकी संख्या कोई बहुत तो नहीं है, पर यह नहीं कहा जा सकता है कि वहां किसी का भी दिल पाकिस्तान के लिए नहीं धड़कता है। जम्मू-कश्मीर के कुछ वे नेता भी उन पाकिस्तान के चाहने वालों के हक में खड़े हो जाते हैं जो विधायक या सांसद भी रहे हैं। जिन्होंने भारत के संविधान में अपनी आस्था की कसम भी खाई है।
पीडीपी की नेता महबूबा मुफ्ती का दर्द
पाकिस्तान के हक में नारेबाजी करने वाले छात्रों को गिऱफ्तार किया तो पीडीपी की नेता महबूबा मुफ्ती को बहुत तकलीफ शुरू हो गई। उनका पाकिस्तान प्रेम सिर चढ़ कर सामने आ गया। उन्होंने गिरफ्तार छात्रों के लिए तत्काल पैरवी करनी चालू कर दी। वह पहले भी पाकिस्तान के साथ बेशर्मी के साथ खड़ी हुई नजर आती ही रही हैं। याद नहीं आता कि जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने मुंबई हमलों के गुनाहगारों को फांसी देने की भी कभी पाकिस्तान सरकार से मांग की हो। यह भी याद नहीं आता कि महबूबा मुफ्ती ने पाकिस्तान के घोर भारत विरोधी नेताओं जैसे शेख राशिद अहमद और फावद चौधरी की बयानबाजी पर कभी आपत्ति जताई हो। यह दोनों भारत पर एटमी हमला तक करने की धमकी देते रहे हैं। तब महबूबा मुफ्ती की जुबान सिल जाती है, जब वहां का कोई नेता भारत पर हमला करने की बातें करता है।
जरा सोचिए कि जिस पाकिस्तान को सारी दुनिया आतंक का गढ़ मानती है, उसके प्रति महबूबा मुफ्ती का प्रेम कितना खुलकर सामने आ जाता है। उनकी इस घृष्टता की अनदेखी तो नहीं की जा सकती।क्या महबूबा मुफ्ती को पता नहीं है कि मुंबई हमलों के सारे के सारे हमलावर पाकिस्तानी थे? क्या वह मानती हैं कि अजमल कसाब पाकिस्तानी नहीं था? सारी दुनिया को पता है मुंबई में हमला पाकिस्तान में रहने वाले कठमुल्लों ने ही पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी आई एस आई की मदद से ही करवाया था। भारत ने उस हमले के तमाम पुख्ता साक्ष्य पाकिस्तान को दिए। पर महबूबा मुफ्ती ने उन भयावह हमलों के लिए कभी पाकिस्तान को नहीं घेरा।
मुंबई हमला
पूर्व पाकिस्तान प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने भी माना था कि मुंबई में 2008 में हमला पाकिस्तान में प्रशिक्षित आतंकियों ने ही किया था। शरीफ ने कहा था कि मुंबई में हुए बड़े आतंकी हमले के पीछे पाकिस्तानी आतंकियों का हाथ था। क्या महबूबा मुफ्ती ने कभी अजमल कसाब को जिंदा पकड़ने के क्रम में अपनी जान लेने वाले तुकाराम ओम्बले के परिवार से मिलने की इच्छा तक जताई? क्या वह उनका अपना नायक नहीं मानती है?
खैर, अब देश जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान को चाहने वालों को बर्दाश्त नहीं करेगा। यह आस्तीन के सांप हैं। इन्हें खदेड़ा जाएगा। इन्हें चुन-चुनकर मारा जाएगा। भारत बदल चुका है। अब अपने देश में 'पाकिस्तान जिंदाबाद' कहने वालों की खैर नहीं है। जम्मू-कश्मीर में पहले भी पाकिस्तान के पक्ष में नारेबाजी होती रही है। तब भी पुलिस ने कठोर एक्शन लिया था। तब भी महबूबा मुफ्ती या उनके जैसे लोग पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाने वालों के बचाव में आते रहे थे। इनका तर्क था कि ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ कहने में बुराई ही क्या है? क्या उन्होंने पेरू जिंदाबाद कहा होता तो किसी को कोई एतराज होता? अब इन अक्ल के दुश्मनों से पूछ लो कि क्या अजमल कसाब को पेरू ने मुंबई में खून-खराबा करने के लिए भेजा था ? क्या इन्हें याद नहीं है कि मुंबई में कसाब और उसके साथियों ने किस तरह से सैकड़ों मासूम हिन्दुस्तानियों को मौत के घाट उतारा था? अगर इससे भी उनका दिल खुश नहीं होता तो याद कर लीजिए कि करगिल में पाकिस्तान ने क्या किया था।
करगिल युद्ध
करगिल में अपने सैनिकों को भेजने के बहाने पाकिस्तान की योजना करगिल की कुछ चोटियों पर कब्ज़ा करने और फिर श्रीनगर-लेह राजमार्ग को बंद करने की थी। इस सड़क को बंद करना पाकिस्तान की प्रमुख रणनीतियों में शामिल था। क्योंकि, यह एकमात्र रास्ता था जिससे भारत कश्मीर में तैनात सैनिकों को सैन्य हथियार और राशन भेजता था। पाकिस्तान का मानना था कि हालात बिगड़ेंगे और भारत कश्मीर विवाद पर बातचीत के लिए मजबूर होगा। बहरहाल, उन चोटियों से पाकिस्तानी सैनिकों को मार-गिराने में भारतीय सेना ने अधिक वक्त नहीं लिया था पर उस क्रम में लगभग सैकड़ों भारतीय सैनिक भी रणभूमि के लिए शहीद हुए थे। पाकिस्तान के लिए नारेबाजी करने वाले और महबूबा मुफ्ती जैसे नेताओं के कारण देश के शेष भागों में रहने वाले राष्ट्रवादी मुसलमानों को भी कष्ट होता है। यह सबको पता है।
भारत सरकार यदि इसरायल की नीति अपना ले तो...
अभी इजरायल और हमास युद्ध में ऐसे कुछ उदहारण सामने आये हैं, जिसमें इजरायल में रहकर हमास के पक्ष में काम करने वाले कुछ लोगों को पकड़ा गया । कोर्ट ने यह फैसला सुनाया कि इन हमास समर्थकों को संपत्ति विहीन कर फिलिस्तीन भेज दिया जाये । तब तो ये गिडगिडाने लगा और फुट-फुटकर रोने लगे । लेकिन, इसरायल की पुलिस ने वही किया जो कोर्ट का फैसला था । भारत सरकार यदि इसरायल की नीति अपना ले तो इस देश में कभी कोई गलती से भी पाकिस्तान के समर्थन में नारे नहीं लगायेगा ।
(लेखक वरिष्ठ संपादक, स्तंभकार और पूर्व सांसद हैं)