×

जनता कर्फ्यू: कुछ सुझाव

अब इस रविवार को पूरा भारत बंद रहेगा, यह अपने आप में अपूर्व घटना होगी। नरेंद्र भाई को यही अपील दक्षिण एशिया के सभी राष्ट्रों से भी करनी चाहिए थी। वे अब भी यह कर सकते हैं। दक्षिण एशिया के सभी राष्ट्र, ईरान और बर्मा सहित हमारे आर्य-परिवार के सदस्य हैं।

Dr. Ved Pratap Vaidik
Published on: 22 March 2020 8:52 AM GMT
जनता कर्फ्यू: कुछ सुझाव
X

डॉ. वेदप्रताप वैदिक

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना विषाणु (वायरस) का मुकाबला करने के लिए देशवासियों को जो संदेश दिया, वह बहुत ही प्रेरक और सामायिक था। यह वैसा ही था, जैसे कि 1965 में प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री ने जनता से कहा था कि सप्ताह में एक दिन उपवास करें।

अब इस रविवार को पूरा भारत बंद रहेगा, यह अपने आप में अपूर्व घटना होगी। नरेंद्र भाई को यही अपील दक्षिण एशिया के सभी राष्ट्रों से भी करनी चाहिए थी। वे अब भी यह कर सकते हैं। दक्षिण एशिया के सभी राष्ट्र, ईरान और बर्मा सहित हमारे आर्य-परिवार के सदस्य हैं।

मोदी ने दक्षेस-राष्ट्रों में कोरोना के विरुद्ध युद्ध करने के लिए जिस सामूहिक कोश का प्रस्ताव रखा है, वह सिर्फ उसके इलाज तक सीमित नहीं होना चाहिए। उसका लक्ष्य भयंकर आर्थिक मुसीबतों का सामना करना भी होना चाहिए।

कुछ चिंताएं

करोड़ों मजदूर, किसान, छोटे व्यापारी, कर्मचारी वगैरह अपना रोजमर्रा का खर्च कैसे चलाएंगे ? प्रधानमंत्री चाहें तो 23 करोड़ 53 लाख राशन कार्ड वाले लोगों और 33 करोड़ प्रधानमंत्री जन-धन योजना के खातेवाले लोगों को एक-दो माह के लिए हजार-दो हजार रु. की सहायता कर सकते हैं।

केरल सरकार ने कोरोना मरीजों की सहायता के लिए जो 20 हजार करोड़ रु. की घोषणा की है, हमारे अन्य प्रांत भी वैसा ही कर सकते हैं। हांगकांग ने अपने प्रत्येक नागरिक को 10,000 डाॅलर दे दिए हैं। अमेरिका उन्हें 250 अरब डाॅलर दे रहा है।

यूरोपीय राष्ट्र भी अपने व्यापारियों और उद्योगपतियों को अरबों डाॅलर की सुविधा दे रहे हैं ताकि वे इस शून्यकाल में अपने कर्मचारियों की मदद कर सकें। यदि भारत किसी बड़ी राशि की घोषणा दक्षिण एशिया के सभी देशों के लिए कर सके तो यह चमत्कारी कदम होगा।

तेल की कीमतें गिरने से भारत के पास पर्याप्त विदेशी मुद्रा इकट्ठी हो रही है। यह संतोष का विषय है कि अब तक कोरोना ने भारत की वह दुर्दशा नहीं की है, जो इटली, चीन या अमेरिका जैसे देशों की हो रही है। भारत की केंद्र और प्रदेश सरकारें काफी मुस्तैदी दिखा रही हैं।

रविवार की शाम को पांच बजे तालियां और थालियां बजाने का सुझाव मोदी ने दिया है। मेरा निवेदन है कि संकट की इस घड़ी में यह उत्सवी मुद्रा धारण करने की बजाय 3 मिनट का राष्ट्रीय मौन रखना बेहतर होगा। www.drvaidik.in

21.03.2020

Dr. Ved Pratap Vaidik

Dr. Ved Pratap Vaidik

डॉ. वेद प्रतापवैदिक अपने मौलिक चिंतन, प्रखर लेखन और विलक्षण वक्तृत्व के लिए विख्यात हैं।अंग्रेजी पत्रकारिता के मुकाबले हिन्दी में बेहतर पत्रकारिता का युगारंभ करनेवालों में डॉ.वैदिक का नाम अग्रणी है।

Next Story