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Jasoosi Kand: आरोप कम -राजनीति का शोर अधिक, देश के खिलाफ गहरी साजिश

Jasoosi Kand: संसद के मानसून सत्र (Monsoon Session 2021) के पहले एक सुनियोजित अंतरराष्ट्रीय साजिश के अंतर्गत जासूसी कांड उछाला गया है।

Mrityunjay Dixit
Written By Mrityunjay DixitPublished By Shreya
Published on: 23 July 2021 11:11 PM IST
Jasoosi Kand: आरोप कम -राजनीति का शोर अधिक, देश के खिलाफ गहरी साजिश
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जासूसी (कॉन्सेप्ट फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Jasoosi Kand: संसद के मानसून सत्र (Monsoon Session 2021) के पहले एक सुनियोजित अंतरराष्ट्रीय साजिश के अंतर्गत जासूसी कांड उछाला गया है और विपक्ष की ओर से संसद में हंगामा किया जा रहा है, बयानबाजी की जा रही है और संसद के पहले दिन से ही इतना अधिक हंगामा हुआ कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) अपने नये मंत्रियों का परिचय तक नहीं करा सके। मानसून सत्र के पहले ही दिन विपक्ष ने लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की आजादी के बहाने लोकतंत्र की सभी सीमाओं को तार-तार कर दिया।

यह जासूसी कांड पूरी तरह से विदेशी साजिश ही नजर आ रही है। यह महज एक संयोग ही है कि इस स्टोरी को विदेशी समचार पत्रों ने संसद के मानसून सत्र के ठीक एक दिन पहले ही प्रकाशित किया है। यह जासूसी की स्टोरी उन समाचार पत्रों में प्रकाशित हुई है जो पहले भी भारत विरोधी समाचार व लेखों का प्रकाशन करते रहे हैं और भारत के विरोधी दलों के राजनेता प्रधनमंत्री नरेंद्र मोदी व उनकी सरकार की छवि को खराब करने के लिए उनको आधार मानकर उनके ऊपर सीधे हमले करते रहे हैं। यही कारण है कि देश के विरोधी दलों के आरोपों को जनता के बीच समर्थन नहीं मिला है इसके विपरीत आम जनमानस के बीच विरोधी नेताओं की छवि को ही आघात लगा है।

जासूसी का आरोप लगाने वाले भारत विरोधी

ताजा जासूसी कांड पूरी तरह से बेसिर पैर का है, लेकिन उसमें जिन लोगों के नाम सामने आ रहे हैं कि जिनका फोन टेप किया गया है यह बहुत ही शरारतपूर्ण और आपत्तिजनक और सुनियोजित है। जिससे यह पता चल रहा है कि भारत सरकार पर जासूसी का आरोप लगाने वाले लोग कितने खतरनाक हैं और भारत विरोधी हैं। यह लोग नहीं चाहते कि भारत आत्मनिर्भर बनें, यह लोग भारत की विकास यात्रा पर बाधा डालना चाहते हैं।

यह लोग नहीं चाहते कि भारत में राष्ट्रवाद की धारा मजबूत हो और यह भी नहीं चाहते कि भारत एक भारत एक श्रेष्ठ भारत बने। यह लोग पहले भी भारत में जासूसी कांड करवाकर सरकारें बदलवाते रहे हैं और इस बार भी इन लोगों ने सोचा था कि वह लोग अबकी बार जरूर मोदी सरकार को हिलाकर रख देंगे लेकिन उनकी यह योजना इस बार फेल हो गयी है।

राहुल गांधी की अगुवाई में प्रदर्शन करते कांग्रेसी सांसद (फोटो साभार- ट्विटर)

कांग्रेस देख रही वापसी का सपना

आज का विपक्ष विशेषकर कांग्रेस (Congress) जब से कोरोना महामारी (Coronavirus Pandemic) का दौर शुरू हुआ है तब से वह मतिभ्रम का शिकार होकर मोदी सरकार व राज्यों की बीजेपी सरकारों की छवि को खराब करने के लिए दिन रात एक कर रही थी तथा उसके लिए हरसंभव प्रयास किये गये लेकिन उसे सफलता हाथ नहीं लगी लेकिन अब उसे पेगासस (Pegasus Hacking Case) के रूप में एक ऐसा हथियार अमल गया है जिसक माध्यम से वह मोदी सरकार व राज्यों की बीजेपी सरकारों को गिराने का स्वप्न देख रही है तथा ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि पेगासस जासूसी कांड की आढ़ में कांग्रेस की जिन राज्यों में सरकारें गिरी थीं वहां पर एक बार फिर वह वापसी की तैयारी कर रही है।

असल बात तो यह है कि इस समय कांग्रेस का आलाकमान अपनी एक के बाद एक विफलताओं से बहुत अधिक घबरा गया है। कांग्रेस शासित सभी राज्यों में कांग्रेस आसी कलह से गुजर रही है और कांग्रेसी आलाकमान परिस्थितियों को संभालने की बजाय उसे टाल रहा है। यही कारण है कि अभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसदीय दल की बैठक में कहा कि कांग्रेस हर जगह हार रही है और उसे अपनी नहीं हमारी चिंता अधिक हो रही है। उन्होंने कहा कि वह हर बार असत्य बोलेंगे लेकिन हमें जनता के बीच सत्य ही बोलना है।

अमित शाह के इस्तीफे की मांग

पेगाासस कांड (Pegasus Spyware Case) पर पहले विपक्ष बहुत ही आक्रामक अंदाज में कौवा कान ले गया कि अंदाज मे उड़ने लग गया और उसने गृहमंत्री अमित शाह के इस्तीफे तक की मांग कर डाली। कांग्रेस नेता राहुल गांधी व अन्य कांग्रेसी नेताओं ने अपने टिवटर हैंडल पर पीएम मोदी व बीजेपी के खिलाफ आपत्तिजनक शब्दावली का प्रयोग किया और बिना किसी जांच व सबूतों के अभाव में बीजेपी का नाम भारतीय जासूस पार्टी कर दिया।

गृहमंत्री का यह बयान बिलकुल सही है कि इस तथाकथित रिेपोर्ट के लीक होने का समय और संसद में विपक्ष का हंगामा इसे आपस में जोड़कर देखने की आवश्यकता है। यह एक विघटनकारी वैश्विक संगठन है जो भारत की प्रगति को पसंद नहीं करता है। यह कार्य केवल और केवल विश्वस्तर पर भारत को अपमानित करने और भारत के विकास के पथ को पटरी से उतारने के लिए किया गया है।

क्या है जासूसी रिपोर्ट में

ज्ञातव्य है कि यह जासूसी रिपोर्ट द गार्जियन और भारत में द वायर में प्रकाशित हुई है। द गार्जियन के अनुसार डेटाबेस में एक फोन नंबर की मौजूदगी इस बात की पुष्टि नहीं करती कि कि संबंधित डिवाइस पर जासूसी ही की गई या फिर की जानी ही थी। अत्यधिक सनसनीखेज कहानी के रूप में रिपोर्ट में कई तरह के संगीन आरोप लगाये गये हैं। लेकिन इन पर अभी तक कोई सार नजर नहीं आता।

यह पूरी तरह से वामपंथी मीडिया की गहरी साजिश है यह उन लोगों व पत्रकारों की साजिश है जिनकी दुकानें अब 2014 के बाद से बंद हो चुकी है। इस रिपेार्ट को लीक करने में वह लोग शामिल हैं जो पूर्व में गठबंधन सरकारों का मंत्रिमडल तय किया करते थे। इस रिपोर्ट के खुलासे की टाइमिंग में तो झोल ही झोल नजर आ रहा है। 2024 में लोकसभा चुनावों के पूर्व उप्र सहित पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव आगामी 2022 में होने जा रहे हैं और यदि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार की वापसी को रोकना है तो इसके लिए पहले उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार के विजयरथ को रोकना होगा।

अगर यह लोग अपनी साजिशों में सफल हो भी जाते हैं तो 2024 में पीएम मोदी की राह और अधिक मुश्किल हो जायेगी। यही कारण है कि बीजेपी ने अपने सभी मुख्यमंत्रियों व जहां पर बीजेपी विपक्ष में है वहां पर अपने विरोधी दल के नेता को कांग्रेस के आरोपों पर पलटवार करने के लिए मैदान में उतार भी दिया है।

इस संस्था पर कानूनों के उल्लंघन और भ्रष्टाचार के आरोप

ये रिपोर्ट एमनेस्टी इंटरनेशनल और फारविडन स्टोरीज नामक दो अंतराष्ट्रीय संस्थाओं ने तैयार की है जिसमें एमनेस्टी इंटरनेशनल पर पिछले वर्ष भारत में कानूनों के उल्ल्ंघन और भ्रष्टाचार के कई आरोप लगे थे और जिसके बाद इन लोगों के अकांउंटस फ्रिज कर दिये गये थे और ये संस्था भारत सरकार पर तमाम आरोप लगाकर देश से भाग गई गयी थी। जबकि फारबिन स्टोरीज एक ऐसी संस्था है जो ऐसे स्वतंत्र पत्रकारों को प्लेटफार्म उपलब्ध कराती है जिनकी जान को सरकार या दुश्मनों से खतरा होता है।

इन दोनों संस्थाओं ने मिलकर ये रिपोर्ट बनाई है जिसे भारत के कई मीडिया संस्थानों ने प्रकाशित किया है। यह लोग एक टूलकिट बनाकर जिस तरह से नामों को उजागर कर रहे हैं उससे इन लोगों के बेहद खतरनाक इरादे जगजाहिर हो रहे हैं। यह रिपोर्ट टुकडे- टुकडे गैंग से भी बहुत अधिक खतरनाक हैं। यह रिपोर्ट पूरी तरह से हिंदुत्व और भारतीयता के खिलाफ है।

इस रिपोर्ट के आधार पर जिस प्रकार से पाक पीएम इमरान खान (PM Imran Khan) का नाम जोड़ा जा रहा है और दिल्ली दंगों के गुनहगार उमर खालिद आदि का नाम जोड़ा जा रहा है उससे साफ पता चल रहा है कि यह रिपोर्ट केवल और केवल पीम नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह व बीजेपी को निशाना बनाकर ही तैयार की गयी है।

सोनिया गांधी-राहुल गांधी (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

कांग्रेस के इतिहास में जासूसी ही जासूसी

रिपोर्ट के प्रकाश में आने के बाद पूर्व कंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने जिस प्रकार से पलटवार किया है वह भी चर्चा का विषय है और पूरे मामले में कांग्रेस को बैकफुट पर लाने वाला है। कांग्रेस का तो पूरा इतिहास ही जासूसी का रहा है। कांग्रेस नेता स्वर्गीय राजीव गांधी ने तो पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय चंद्रशेखर की सरकार को जासूसी के आरोप लगाकर ही गिरा दी थी।

पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह को अपनी जासूसी का शक होने पर पत्र भी लिखा था। आपातकाल के दौरान कांग्रेस तो विरोधी नेताओं का दमन ही जासूसी के दम पर कर रही थी। अभी हाल ही में जब राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व सचिन पायलट के बीच विवाद चल रहा था तब सचिन ग्रुप ने मुख्यमंत्री पर फोन टैपिंग के आरोप लगाये थे। पूर्व पीएम मनमोहन सिंह की सरकार में भी जासूसी हो रही थी और उस पर करोड़ों रूपये खर्च हो रहे थे।

अब मामले की जांच का समय

यह बात तो सही है कि पेगासस की यह कहानी बहुत ही शरारतपूर्ण है क्योंकि जिन संस्थाओ ने रिपेार्ट तैयार की है वह कभी भी मजबूत और विकासशील भारत के समर्थक नहीं रहे हैं और उन पर भारत में देशद्रोही हरकतें करने क आरोप लगते रहे हैं। भारत में जिस मीडिया संस्था द वायर ने यह रिपोर्ट प्रकाशित की है उसे दिल्ली हाईकोर्ट सहित देश की कई अदालतें फटकार भी लगा चुकी हैं और द वायर की भूमिका बहुत ही संदिग्ध रहती है। आज ऐसी संस्थाएं छटपटा रही हैं कि उनका भारत में बाजार बंद हो गया है उनकी दुकान बंद हो गयी है। वह लोग भारत में अपनी दुकान खोलने के लिए इस प्रकार की विकृत हरकतें कर रहे हैं।

अतः अब समय आ गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली मजबूत सरकार इस पूरे मामले के हर पहलू की गहराई से हर बिंदु की जांच करवाये और दूध का दूध और पानी का पानी करें। सरकार को जांच अवष्य करवानी चाहिये ताकि विपक्ष का मुंह भी बंद होगा और फिर विदेषी साजिषों का भंडाफोड भी आसानी से होगा। सरकार को यह जांच इतने विस्तृत दायरे में करवानी चाहिये कि यदि कोई पीड़ित व्यक्ति सामने आकर अपनी जांच करवाना चाहे तो उसे भी उसमें शामिल किया जाये और अगर उसकी बात व आरोप झूठे साबित होते है तो उसके ऊपर मानहानि का आपराधिक मुकदमा सरकार की ओर से चलाया जाना चाहिये ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके। अगर यह आरोप झूठे हैं तो सरकार को आगे आकर रिपोर्ट तैयार करने वाली संस्थाओं पर भी मुकदमा करना चाहिये।

जांच के मैदान से दूर हटेगा विपक्ष

यहां पर सबसे बड़ी बात यह है कि यदि आरोप झूठे हैं और तथ्यहीन और बिना किसी सबूत के लगाये जा रहे हैं तो यह विपक्ष पहले से ही जांच के मैदान से दूर हटेगा क्योंकि देश के विरोधी दलों के नेताओं को देश की न्यायपालिका, सीबीआई और ईडी पर भरेासा नहीं रह गया है। विपक्ष मांग कर रहा है कि पूरे मामले की संसद की समिति बनाकर जांच हो वहां पर भी वह अल्पमत में है। असल बात तो यह है कि वह केवल हंगामा कर मोदी सरकार को डरा रहा है और केवल अपनी राजनीति को चमकाना चाह रहा है।

सबसे बड़ी बात तो यह है कि पूरे प्रकरण से यह बात तो साफ हो गयी है कि यह लोग जिस प्रकार से सरकार पर हमला बोल रहे हैं उससे साफ हो गया है कि इनके दिल मेें डर तो बहुत बड़ा है और यह भी सत्य हो गया है कि सरकारी एजंसियो ने इन लोगो की देश विरोधी हरकतो को पकड़ लिया है क्योंकि सरकार को इस बात का अधिकार प्राप्त है कि वह देश विरोधी गतिविधियों में षामिल लोगों की किसी भी प्रकार की निगरानी कर सकती है अैार फोन आदि टेप कर सकती है।

सरकार को यह जाने का पूरा हक है कि क्या कोई संस्था राजनैतिक दल नेता व संस्था आदि देश विरोधी गतिविधियो में नहीं शामिल है। आज देश के राजनैतिक दल वास्तव में सुपारी गैंग बनकर बयानबाजी कर रहे हैं।

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Shreya

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