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महरूम सैनिकों को क्या दुःख विजय दिवस पर जाने

भारत ने कारगिल युद्ध में 22 साल पहले 26 जुलाई 1999 को विजय हासिल करके पाकिस्तान को शिकस्त दी थी।

rajeev gupta janasnehi
Written By rajeev gupta janasnehiPublished By Shweta
Published on: 25 July 2021 1:49 PM GMT
कॉन्सेप्ट फोटो
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कॉन्सेप्ट फोटो ( फोटो सौजन्य से सोशल मीडिया)

भारत ने कारगिल युद्ध में 22 साल पहले 26 जुलाई 1999 को विजय हासिल करके पाकिस्तान को शिकस्त दी थी। भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई जी ने इस 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस के रूप में बनाने की भारत की जनता के सामने घोषणा की और अपने सैनिकों की शहादत की याद के तौर पर कारगिल विजय दिवस का रूप दिया। भारत के सैनिकों ने कारगिल की विजय हासिल करके एक बार पुनः यह साबित कर दिया की वह भारत की सेना एक मज़बूत है जो हर स्थिति में फहत कर सकती है। असल व सच्चे हीरो हमारे सैनिक है नाकि फ़िल्मी हीरो हैं। आज के दिवस पर उस हीरो को भी सलाम व याद करना चाहिये जिस एक कश्मीरी चरवाहा ने 3 मई को पाकिस्तान की नाकाम इरादों को भारत के सैनिकों को इसकी सूचना दी कि पाकिस्तान ने कारगिल पर कब्जा कर लिया है। हमें उस सच्चे भारतीय को भी नही भूलना चाहिए। 5 मई को भारतीय सेना ने जब पेट्रोलिंग करने गई तो उन्हें वहां पकड़ लिया और 5 जवानों की हत्या कर दी गई। इसी समय भारतीय सेना ने पाक रेंजर्स के द्वारा कब्जा किए जाने की सूचना भारतीय मीडिया को सूचना दी। भारत के अखबार में यह खबर आते ही एक तहलका सा मच गया।

6 जून को भारतीय सेना ने पूरी ताकत से पाकिस्तान पर हमला कर दिया और 9 जून को बलिटिक की दो चौकियों पर भारत ने तिरंगा फहरा दिया। 11 जून को तो जर्नल परवेज मुशर्रफ व पाकिस्तानी सेना अध्यक्ष जनरल अजीज खान की बातचीत की रिकॉर्डिंग भारत ने दुनिया के सामने जारी कर दिया और बताया कि पाकिस्तान की नापाक हरकतें पाकिस्तान की सेना द्वारा की जा रही है। भारतीय वायुसेना ने सबने बड़ी शिद्दत के साथ 18000 फीट की ऊंचाई पर कारगिल की लड़ाई लड़ी। भारतीय वायु सेना ने पाकिस्तान के खिलाफ मिग 27 मिग 29 का भी इस्तेमाल किया गया और जहां भी पाकिस्तान ने कब्जा किया था वहां बम गिराए गए। भारतीय सैनिक कारगिल की ऊंची पहाड़ियों पर जहाँ पाकिस्तान ने 5000 सैनिकों के साथ घुसपैठ कर कब्जा किया था उन्हें खदेड़ने में कामयाब हुए इस युद्ध में बड़ी संख्या में राकेट और बमों का इस्तेमाल किया गया।

इस दौरान करीब 250000 गोले दागे गए वहीं 5,000 बम फायर करने के लिए 300 से ज्यादा मोटाॅरऔर राकेट लांचरओं का इस्तेमाल किया गया। लड़ाई के 17 दिनों में हर रोज प्रति मिनट एक राउंड फायर किया जाता था। बताया जाता है कि विश्व युद्ध के बाद यही एक ऐसा युद्ध था जिसमें दुश्मन देश की सेना पर इतनी बड़ी संख्या में बमबारी की गई यहां पर मैं आपको बताता चलूं की 2 जुलाई को भारतीय सेना ने कारगिल को तीनों तरफ से घेर लिया था और अंततः टाइगर हिल पर भारत ने तिरंगा फहराया धीरे-धीरे सभी पोस्टों पर कब्जा जमा लिया। यह बात अलग है की जीत हमारे हिस्से में आई लेकिन हमारे सैनिक जो शहीद हुए जो घायल हुए जो नुकसान हुआ उसकी भरपाई हम कभी भी नहीं कर सकते हैं। इस जंग में देश के 500 से ज्यादा वीर योद्धाओं को खोया था वही 1400 से ज्यादा सैनिक घायल हुए थे। कारगिल विजय दिवस के रूप से हम उनको श्रदांजलि देतेहै।

अगर आज तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई जैसी जीवट का व्यक्ति होता निश्चित रूप से यह कवि मन बहुत भाव विभोर होकर कहता सच्चे हीरो भारत के सैनिक हैं ना कि बॉलीवुड के कलाकार जो पैसा लेकर केवल मनोरंजन करते हैं और देश में रहते हुए भी देश के खिलाफ बोलते हैं। आज भारत का हर नागरिक इस भावना से सहमत होता जा रहा है कि बॉलीवुड के लोग केवल कलाकार हैं हीरो नहीं है सच्चे हीरो तो आज हमारे देश के सैनिक हैं जो कितनी कठिन परिस्थितियों का सामना करते हैं। आज हर सिवल मुसीबत में भी वही याद आते है और हमें हर तरह से सुरक्षित रखते हैं।

परंतु हमें इस पहलू पर भी विचार करना होगा क्या 26 जुलाई को विजय दिवस के रूप में हम दिवस बनाते हैं क्या उसमें तत्कालीन प्रधानमंत्री जी की मंशा की पूर्ति होती हैं या नहीं?. आपने भी देखा होगा अनेक शहीद हुए सैनिक के परिजन सरकार द्वारा दिए गए सम्मान को पाने के लिए कई कई वर्ष तक सरकारी सिस्टम से जद्दोजहद करते हैं| ऐसे में उन परिजनों के दिल से कोई पूछे उनका क्या हाल है। इस व्यथा का चित्रण फ़िल्म धूम मे बहुत सच्चे ढंग से पेश किया है। फिल्म धूम वैसे तो एक फैमिली ड्रामा है, जो रियल लाइफ घटना पर आधारित है। इस फिल्म में कारगिल वॉर में शहीद हुए कैप्टन अनुज नय्यर की फैमिली से जुड़ी कहानी है। इस फिल्म में ओमपुरी ने कैप्टन पिता का किरदार निभाया है। इसमें उस एंगल को लिया गया है, जब कारगिल वॉर के शहीदों के घरवालों को सरकार की ओर से पेट्रोल पंप दिए गए थे। फ़िल्म शहिद के परिवार की व्यथा के साथ सरकारी सिस्टम की पोल खोलती है एसे में सभी सरकारों को देखना पड़ेगा क्या यह विजय जुलूस पर जिन शहीदों ने देश की रक्षा के लिए अपने प्राण दिए हैं क्या उनके परिवार की हम लोग सच्चे तरीके से उनको संरक्षण व रोजगार उपलब्ध करा पा रहे हैं? अगर नहीं करा पा रहे हैं तो विजय दिवस के शुभ अवसर पर हमारी सरकारों को इस विषय पर सोचना होगा ताकि भारतीय अपने लाल को देश की सुरक्षा करने हेतु तैयार कर सकें।

जिस तरीके से आज चीन पाकिस्तान की तरह नापाक इरादे दिखा रहा है मुझे पूर्ण विश्वास है की हमारे देश के सैनिक चाहे थल हो वायु हो जल हो और और नागरिक भी उनका पूर्ण साथ देकर भारत को स्वतंत्र भारत रखेंगे। वियतनाम की तरह देश के नागरिकों सेन प्रतिक्षण लेना चाहिए। भारतीय सेना के अदम्य साहस और वीरता की गाथा के लिए याद रखा जाने वाला कारगिल युद्ध का चैप्टर सभी कॉलेज के छात्रों की किताब में होना चाहिए और बॉलीवुड के जो कलाकार हैं वो केवल कलाकार उन्हें अपना आदर्श ना मान कर सैनिकों को हीरो मानना चाहिए जो अपने आप में हर परिस्तिथि में देश की रक्षा के तत्पर रहता है। आज सैनिकों के बाद वो कोरोना योद्धा जो सीधे सीधे कोरोना से लड़ कर उसे हारने के लिए अपनी ज़िन्दगी ग़बा दी । पूरा देश 22 वर्ष पूर्व हुए सभी सैनिकों को नमन और उनके परिवार जनों के स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना करता हूं और आशा करता हूं कि हम भारत की सेना के हाथों में ना केवल सुरक्षित हैं बल्कि आराम की जिंदगी जी रहे है और पाक और चीन जैसे नालायक देशों की गंदी सोच ओर निगाह से बचे हुए।

वन्दे मातरम् जय हिंद

Shweta

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