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संत रविदास मंदिर में सजा सियासी दरबार, मोदी से आगे निकल गए केजरीवाल

Admin
Published on: 22 Feb 2016 2:24 PM GMT
संत रविदास मंदिर में सजा सियासी दरबार, मोदी से आगे निकल गए केजरीवाल
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वाराणसी : राजनीति के माहिर खिलाड़ी पीएम नरेंद्र मोदी वाराणसी के सीरगोवर्धन स्थित संत गुरु रविदास की जन्मस्थली पर दिल्ली के सीएम और आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल से रविवार को पिछड़ गए। जयंती के मौके पर काशी में आस्था का सैलाब उमड़ा तो इसके बीच राजनीति भी रही। पीएम मोदी के बाद अरविन्द केजरीवाल भी गुरु के दरबार में मत्था टेकने पहुंचे। फर्क इतना रहा कि पीएम के पहुंचने पर जहां गो बैक के नारे लगे तो केजरीवाल का रैदासियों ने भव्य स्वागत किया। मंदिर महंत संत निरंजनदास जी महाराज ने केजरीवाल को शाल भेंट किया।

मोदी के रविदास मंदिर जाने को बीजेपी से दलितों को जोड़ने की राजनीति से भी देखा जा रहा था। बीजेपी नेता इससे उत्साहित भी थे। संभवत केजरीवाल भी इसीलिए यहां आए थे। पंजाब में विधानसभा चुनाव इसी साल है। पंजाब में लोग अकालीदल बीजेपी गठबंधन सरकार के कामकाज से खासा नाराज नजर आ रहे हैं। दिल्ली के बाद पंजाब एकमात्र ऐसा राज्य है जहां आप की पकड़ मजबूत दिखाई देती है इसीलिए राजनीतिक विश्लेषक आम आदमी पार्टी की सरकार बनने की संभावना भी जता रहे हैं। पंजाब में दलितों की संख्या कोई भी बड़ा उलटफेर कर सकती है। माना जा रहा है कि केजरीवाल इसी सिलसिले में वाराणसी रविदास की जन्मस्थली आए थे।क्यों हुआ मोदी का विरोध

दरअसल पीएम मोदी जैसे मंदिर में दर्शन करने पहुंचे तो पूर्व कार्यक्रम के तहत मंदिर के महंत संत निरंजनदास जी महाराज पंडाल से निकल कर मोदी से मिलने के लिए मंदिर की तरफ बढ़े। तभी वहां तैनात सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें रोक दिया। हालांकि ऐसा प्रोटोकाल और सुरक्षा को देखते हुए किया गया था लेकिन इस बात से नाराज सैकड़ों रैदासी धरने पर बैठ गए और मोदी गो बैक के नारे लगाने लगे। हालात बिगड़ने लगे तभी पुलिस के आलाधिकारियों ने मामले को संभाल लिया। नाराज निरंजनदास वहां से वापस पंडाल में लौट गए और उनकी मोदी से मुलाकात नहीं हो पाई।

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मोदी के जाने के बाद केजरीवाल पहुंचे मंदिर

इस मौके पर अरविन्द केजरीवाल ने खुलकर राजनीति की कोई चर्चा तो नहीं की मगर गुरु रविदास के बहाने दबी जुबान देश में दलितों और पिछड़ों को लेकर चल रहे गैरबराबरी के मुद्दे को छूने की कोशिश जरूर की। बीते लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी को टक्कर देने के बाद अरविन्द केजरीवाल पहली बार वाराणसी आए थे। संत की 639वीं जयंती पर उन्होंने मंदिर में मत्था टेका। उसके बाद केजरीवाल जयंती समारोह के मुख्य पंडाल में भी गए और देश दुनिया के कोने-कोने से आए रविदासियों को संबोधित किया। अपने छोटे से भाषण में अरविन्द केजरीवाल ने कहीं भी खुल कर राजनीति की बात नहीं की मगर इस मौके का फायदा उठाने से भी वो नहीं चूके। अरविन्द केजरीवाल ने कहा कि गुरु रविदास ने अपना जीवन समाज में सभी की बराबरी के लिए लगा दिया मगर आज भी वह गैरबराबरी मौजूद है जिसे सभी को मिल कर खत्म करना होगा। क्‍या कहते हैं राजनीतिक विश्लेषक

अरविन्द केजरीवाल ने अपने भाषण से पहले अखिल भारतीय रविदासिया धर्म संगठन के मुखिया संत निरंजन दास से आशीर्वाद भी लिया। इस मौके पर केजरीवाल ने कहा कि आज वे यहां संत गुरु रविदास से अपने मिशन की सफलता के लिए आशीर्वाद लेने आए हैं। वाराणसी में एक दो जगहों पर बीजेपी और आप कार्यकर्ताओं की भिड़ंत ने भी आग में घी का काम किया। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि उनका मिशन पंजाब विधानसभा का चुनाव है। लोकसभा के पिछले चुनाव में आप के चार सांसद पंजाब से ही चुन कर आए थे। चंडीगढ़ सीट से गुलपनाग ने बीजेपी की किरण खेर को कड़ी टक्कर दी थी। इसके अलावा राज्य की अन्य आठ सीटों पर भी आप प्रत्याशियों ने खास वोट बटोरे थे।

इससे पहले भी कई बड़े नेता संत रविदास की इस जन्मस्थली पर आते रहे हैं। मगर यह पहला मौका था जब देश की राजनीति के दो सबसे बड़े चेहरे पीएम मोदी और अरविन्द केजरीवाल संत रविदास के इस दरबार में उनकी जयंती पर पहुंचे। रविदासियों के लिए यह मौका भले ही उनकी आस्था से जुड़ा हो लेकिन राजनीति के गलियारों में इसके अपने सियासी मायने हैं।

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