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Britain : श्वेत ब्रिटेन की संसद में नेता विपक्ष अफ्रीकी

Britain: ब्रिटेन के दो हजार वर्षों के संसदीय इतिहास में पहली बार एक अश्वेत नेता चुनी गई है। याद आता है घोर भारत-विरोधी तथा कई बार प्रधानमंत्री रहे और केमी की ही कंजर्वेटिव पार्टी के वरिष्ठ नेता सर विंस्टन चर्चिल ने कहा था

K Vikram Rao
Published on: 3 Nov 2024 5:15 PM IST (Updated on: 3 Nov 2024 5:22 PM IST)
Kemi Badenoch ( Pic- Social- Media)
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Kemi Badenoch ( Pic- Social- Media)

Britain:गोरों के देश ब्रिटेन में संसदीय विपक्ष की नेता कल एक काली महिला केमी बाडेनोच बहुमत से चुनी गई। इस साम्राज्यवादी देश में श्वेतों की आबादी सात करोड़ है। विद्रूप यह है कि केमी ने पूर्व पंजाबी मूल के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक को इसी पद से वंचित कर दिया। आमतौर पर निवर्तमान प्रधानमंत्री ही नेता विपक्ष चुना जाता है। मगर सुनक के विरुद्ध पार्टी में इतना आक्रोश था कि वे चुनाव से दूर ही रहे।अफ्रीकी मूल (नाइजीरिया) की केमी का पहला ऐलान था कि वे शीघ्र लेबर (सोशलिस्ट) पार्टी को अपदस्थ कर सत्ता फिर हासिल करेंगी। ब्रिटेन के दो हजार वर्षों के संसदीय इतिहास में पहली बार एक अश्वेत नेता चुनी गई है। याद आता है घोर भारत-विरोधी तथा कई बार प्रधानमंत्री रहे और केमी की ही कंजर्वेटिव पार्टी के वरिष्ठ नेता सर विंस्टन चर्चिल ने कहा था : "ये अश्वेत लोग सत्ता चलाने की काबिल नहीं है।"

वे भारत को आजादी देने का आखिरी दम तक विरोध करते रहे। चर्चिल का एक बदनाम बयान था : "जब हम अंग्रेज लोग भारत को स्वतंत्र कर चले जाएंगे तो वहां न एक पाई, न एक कुंवारी ही बचेगी।" भारत फिर भी प्रगति कर गया, कर रहा भी है।और तो और एक अश्वेत हिंदुस्तानी पंजाब दा पुत्तर तथा कर्नाटक का जामाता ऋषि सुनक चर्चिल की पार्टी से ही, प्रधानमंत्री बन गए थे। जब वे 10 डाउनिंग स्ट्रीट (प्रधानमंत्री के सरकारी आवास) में गए थे तो अपने पालतू कुत्ते को भी ले गए थे। छास की पार्टी की भी थी, जो पंजाब का प्रिय पेय है। आज चर्चिल का शव लंदन के कब्रिस्तान में तिलमिला रहा होगा सनक और अब केमी को देखकर। यदि अगली बार केमी प्रधानमंत्री बनी तो वे चौथी महिला होंगी। मार्गरेट थैचर, टेरेसा मई और लिंज ट्रस के बाद।

उनमें एक विरोधाभास जरूर दिखता है। ब्रिटेन में कंजर्वेटिव (रूढ़िवादी) पार्टी हमेशा उपनिवेशों को मुक्त करने का विरोध करती रही। उसकी आस्था थी जो साहित्यकार रुद्रयार्ड किपलिंग, इलाहाबाद में " दि पायोनियर" दैनिक के संपादक, ने रचा था : "राज करना सिर्फ गोरों का ही काम है।" आज उनकी उक्ति का भी केमी ने मखौल उड़ा दिया। जैसा प्रत्याशित है कि केमी ब्रिटेन में मुक्त अर्थनीति और अभिव्यक्ति की आजादी की जोरदार पैरोकार बनी रहेंगी। ये दोनों विशेषताएं ब्रिटेन के सत्तासीन लेबर (सोशलिस्ट) पार्टी की नापसंद रही हैं। वे वामपंथी हैं।

अचरज की बात यह है कि केमी इंग्लैंड में अश्वेत जन का प्रवेश कम करना चाहती हैं। उनका खुलेआम कहना है कि "विश्व की सभी संस्कृतियां स्वीकार्य नहीं हैं।" यह महिला नेता प्रसव भत्ता देना निरस्त करना चाहती हैं क्योंकि वह उद्योग पर भार है। वे कहती हैं कि ब्रिटेन के नौकरशाहों में दस प्रतिशत तो जेल में कैद करने लायक ही हैं। वे मानती हैं कि "10% तक सिविल सेवक इतने बुरे हैं कि वे सरकारी रहस्यों को लीक करते हैं और मंत्रियों के खिलाफ "आंदोलन" करते हैं।" "सरकारी रहस्यों को लीक करना, अपने मंत्रियों को कमतर आंकना आंदोलन करना। मेरे विभाग में भी कुछ ऐसा ही था, आमतौर पर यूनियन के नेतृत्व में, लेकिन उनमें से ज़्यादातर वास्तव में अच्छा काम करना चाहते हैं। और अच्छे लोग बुरे लोगों से बहुत निराश हैं।" बाडेनोच दावा करेंगी कि धन सृजन करने वाले लोग ब्रिटेन से भाग रहे हैं। "सच्चाई यह है कि वामपंथ कभी नहीं गया।"

ब्रिटेन के आम चुनावों के बाद अब भारतीयों का एक मुद्दा काफी उठ रहा है। केमी की पार्टी के दो नेता इसको लेकर लगातार टारगेट कर रहे हैं। कंजर्वेटिव पार्टी के नेता रॉबर्ट जेनरिक, जिन्हें केमी ने मतदान में हराया, का कहना है कि "भारतीयों पर सभी श्रेणियों में सख्त वीजा प्रतिबंध लगाए जाने की जरूरत है। ब्रिटेन में अवैध तौर पर काफी संख्या में भारतीय रह रहे हैं। जब तक इन लोगों को वापस नहीं लिया जाता, सख्त नियमों की पालना जरूरी है।" इस समय एक अनुमान के मुताबिक 1 लाख भारतीय ऐसे हैं, जो अवैध तौर पर रह रहे हैं।केमी बाडेनोच ने सितंबर 2022 में कहा था : "भारत-पाकिस्तान एशिया क्रिकेट कप मैच के दौरान लीस्टर की सड़कों पर काफी हिंसक झड़पें हुई थीं। ब्रिटेन की सड़कों पर अशांति पैदा करने में भारत के प्रवासियों का हाथ है, जिसकी वे निंदा करती हैं।" अपने भाषण में केमी बाडेनोच ने कंजर्वेटिव पार्टी को "नवीनीकृत" करने की कसम खाई। बताया कि कंजर्वेटिव की दो जिम्मेदारियाँ हैं : "इस लेबर सरकार को जवाबदेह ठहराना" और "सरकार गठन के लिए अगले कुछ वर्षों के दौरान तैयारी करना।"



Shalini Rai

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