×

TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

केरलः मुद्दई सुस्त, गवाह चुस्त

केरल ने केंद्र की यह जो सरकारी निंदा की है, वैसी निंदा मुझे याद नहीं पड़ता कि पहले कभी किसी राज्य सरकार ने की है। और मजा तो इस बात का है कि केरल वह राज्य है, जिसमें केंद्र सरकार के इन तीनों कृषि-कानूनों का कोई खास प्रभाव नहीं होनेवाला है।

Shivani Awasthi
Published on: 2 Jan 2021 11:51 AM IST
केरलः मुद्दई सुस्त, गवाह चुस्त
X

vadik-pratap डॉ. वेदप्रताप वैदिक

केरल की कम्युनिस्ट सरकार ने कमाल कर दिया है। अपनी विधानसभा में उसने सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित कर दिया, जिसमें केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए तीनों कृषि-कानूनों की भर्त्सना की गई है। उसमें केंद्र सरकार से कहा गया है कि वह तीनों कानूनों को वापस ले ले। केरल की सरकार ने वह काम कर दिखाया है, जो पंजाब, राजस्थान और छत्तीसगढ़ की कांग्रेसी सरकारें भी नहीं कर सकीं।

कृषि-कानूनों की केरल में भर्त्सना

केरल ने केंद्र की यह जो सरकारी निंदा की है, वैसी निंदा मुझे याद नहीं पड़ता कि पहले कभी किसी राज्य सरकार ने की है। और मजा तो इस बात का है कि केरल वह राज्य है, जिसमें केंद्र सरकार के इन तीनों कृषि-कानूनों का कोई खास प्रभाव नहीं होनेवाला है। केरल में न्यूनतम समर्थन मूल्यवाले पदार्थों की खेती बहुत कम होती है। वहां सरकारी खरीद और भंडारण नगण्य है। वहां साग-सब्जी और फलों की पैदावार कुल खेती की 80 प्रतिशत है। केरल सरकार ने 16 सब्जियों के न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किए हुए हैं।

ये भी पढ़ेंः आवश्‍यक है झूठी बातों का खंडन करना

किसानों की सहायता के लिए 32 करोड़ रु. की राशि

इसके अलावा किसानों की सहायता के लिए 32 करोड़ रु. की राशि अलग की हुई है। इसके बावजूद उसने कृषि-कानूनों पर भर्त्सना-प्रस्ताव पारित किया है याने मुद्दई सुस्त और गवाह चुस्त। केरल ने आ बैल सींग मार की कहावत को चरितार्थ कर दिया है। इसीलिए राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने इसी मुद्दे पर विधानसभा बुलाने की अनुमति टाल दी थी।

farmers protest

केंद्र सरकार के तीनों कृषि-कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव

केरल का मंत्रिमंडल एक दिन के नोटिस पर विधानसभा आहूत करना चाहता था। उसे चाहिए था कि राज्यपाल के संकोच के बाद वह अपना दुराग्रह छोड़ देता लेकिन अब यह प्रस्ताव पारित करके उसने मजाकिया काम कर डाला। आश्चर्य यह भी है कि भाजपा के एक मात्र विधायक ओ. राजगोपाल ने भी इस प्रस्ताव का विरोध नहीं किया।

ये भी पढ़ेंः ऊर्जा का संचय और किसानों की आमदनी दोगुना करना

कांग्रेसी विधायकों का मिला समर्थन

कांग्रेसी विधायकों ने भी इसका समर्थन किया लेकिन उनको दुख है कि इसमें मोदी सरकार की भर्त्सना नहीं की गई। इस प्रस्ताव में उक्त कानूनों के बारे में जो संदेह व्यक्त किए गए हैं, वे निराधार नहीं हैं और कानून बनाते वक्त केंद्र सरकार ने जिस हड़बड़ी का परिचय दिया है, उसकी आलोचना भी तर्कपूर्ण है लेकिन यह काम तो केरल के मुख्यमंत्री पिनरायी विजयन अपना बयान जारी करके या प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर भी कर सकते थे। विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर किसी केंद्रीय कानून को वापस लेने की मांग करना मुझे काफी अतिवादी कदम मालूम पड़ता है। ऐसे कदम स्वस्थ संघवाद के लिए शुभ नहीं कहे जा सकते।

डॉ॰ वेद प्रताप वैदिक भारत के वरिष्ठ पत्रकार, राजनैतिक विश्लेषक, पटु वक्ता एवं हिन्दी प्रेमी हैं।

दोस्तों देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।



\
Shivani Awasthi

Shivani Awasthi

Next Story