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दक्षिण भारत में कांग्रेस का बढ़ रहा जनाधार, राहुल का फायदा या चलेगा मोदी का जादू
राहुल के लिए उम्मीद की किरण केरल, तमिलनाडु व पुडुचेरी है। यदि इन जगहों पर वह कांग्रेस का प्रतिनिधित्व बढ़ाने में भी कामयाब हो जाते हैं तो उनकी जय जय कार शुरू हो जाएगी।
रामकृष्ण वाजपेयी
कांग्रेस के युवराज ताजपोशी से पहले इस बार अपने दम का करिश्मा दिखाना चाहते हैं। इसके लिए उन्हें दक्षिण भारत में उम्मीद की किरण दिखायी दे रही है। वह चाहते हैं कि जून में अपनी ताजपोशी और पार्टी में विरोधी गुट को धूल चटाने के लिए पांच राज्यों के हो रहे चुनाव में वह अपना दमखम दिखा दें। यदि राहुल गांधी इन पांच राज्यों में बंगाल को छोड़कर कांग्रेस का झंडा फहराने में कामयाब हो जाते हैं तो कांग्रेस अध्यक्ष पद पर उनकी पकड़ मजबूत हो जाएगी और तब वह विरोधियों पर सख्त कार्रवाई कर सकेंगे।
राहुल गांधी क्यों दक्षिण भारत में कांग्रेस का बढ़ा रहे हैं जनाधार
यह बात निर्विवाद रूप से सही है कि राहुल गांधी या प्रियंका गांधी में वह कुव्वत नहीं है जो उनकी दादी इंदिरा गांधी में थी। इंदिरा गांधी ने कांग्रेस में विभाजन के हालात होने पर पुरानी कांग्रेस से अलग होकर नई कांग्रेस घड़ी कर दी थी। कांग्रेस के भावी अध्यक्ष राहुल गांधी में ये क्षमता नहीं है। वह जानते हैं कि कांग्रेस को छोड़ने का क्या मतलब है इसीलिए वह पूरा एड़ी चोटी का जोर लगाए हुए हैं ताकि अपनी क्षमता का जौहर दिखाकर विरोधियों का मुंह बंद कर सकें।
राहुल की उम्मीद केरल, तमिलनाडु व पुडुचेरी से
एक बात और यदि राहुल गांधी असफल भी होते हैं तो उनकी मां सोनिया गांधी कार्रवाई की तलवार चलाकर विरोधियों को किनारे कर सकती हैं। क्योंकि वर्तमान गांधी परिवार कांग्रेस से अलग हटकर अपना वजूद नहीं देख पा रहा है। राहुल के लिए उम्मीद की किरण केरल, तमिलनाडु व पुडुचेरी है। यदि इन जगहों पर वह कांग्रेस का प्रतिनिधित्व बढ़ाने में भी कामयाब हो जाते हैं तो उनकी जय जय कार शुरू हो जाएगी।
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इससे कांग्रेस को कैसे मिलेगा फायदा
कांग्रेस से इसको कोई फायदा होगा या नहीं यह बात दीगर है लेकिन राहुल गांधी को एक लाइफ लाइन मिल सकती है। अलबत्ता इन राज्यों में कांग्रेस की हार का ठीकरा बड़े आराम से वह अपने विरोधी खेमे में फोड़ सकते हैं। कांग्रेस में विरोधी ग्रुप 23 समूह भी विरोध का झंडा बुलंद कर जितना आगे निकल चुका है अब उसको वापसी का रास्ता बंद दिखायी दे रहा है ऐसे में उनकी भी मजबूरी है कि विरोध को जिंदा रखें।
वहां क्या नहीं चलेगा मोदी का जादू
बाद अगर की जाए तो नरेंद्र मोदी के जादू की तो केरल, पुडुचेरी या तमिलनाडु में भाजपा की मौजूदगी दर्ज कराना उनके लिए अभी भी एक बड़ी चुनौती है। कांग्रेस को रोकने की स्थिति में इन राज्यों में भाजपा नहीं है। केरल में विजयन का जादू बोलता रहा है। तमिलनाडु व पुडुचेरी में डीएमके और एआईडीएमके के बीच ही सीधा मुकाबला होता रहा है।
(ये लेखक के निजी विचार हैं।)