×

TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

लालजी टंडन : समझदार नेता, दयालु इंसान

उत्तर प्रदेश में अटल युग के कीर्ति स्तंभ के रूप में महसूस किए जाने वाले राजनेता लाल जी टंडन नहीं रहे।

Newstrack
Published on: 21 July 2020 4:33 PM IST
लालजी टंडन : समझदार नेता, दयालु इंसान
X

-रतिभान त्रिपाठी

उत्तर प्रदेश में अटल युग के कीर्ति स्तंभ के रूप में महसूस किए जाने वाले राजनेता लाल जी टंडन नहीं रहे। आज सुबह सुबह जब मैंने मोबाइल उठाया तो पत्रकार साथी श्रीधर अग्निहोत्री का मेसेज पहले पहल दिखा। सूचना थी कि मध्यप्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन का देहावसान। असहज कर देने वाली सूचना थी, इसलिए कि कल-परसों उनके स्वास्थ्य को लेकर कुछ आश्वस्त करने वाली सूचनाएं भी थीं।

ये भी पढ़ें:राजस्थान: विधानसभा अध्यक्ष को कोर्ट का निर्देश, 24 जुलाई तक विधायकों पर कोई कार्रवाई न करें

पचास पचपन सालों से उत्तर प्रदेश की राजनीति में सक्रिय लालजी टंडन की गिनती हमेशा धीर-गंभीर और समझदार नेता के रूप में हुई है। जब कभी संबंधों के मजबूत सेतु बनाने की इंजीनियरिंग पर विमर्श होगा, उसके केंद्र में लालजी टंडन जरूर होंगे। संबंधित चाहें निजी स्तर पर हों या फिर राजनीतिक, टंडन जी दोनों के लिए अनुकरणीय उदाहरण हो सकते हैं। याद कीजिए बहुजन समाज पार्टी की नेता मायावती जी से भारतीय जनता पार्टी के रिश्तों के बीच के उन इंसान को, जो उत्तर प्रदेश क्या, पूरे देश में उनके राजनीतिक भाई के रूप में मशहूर हुए थे। वह टंडन जी ही थे। निजी रिश्तों को निभाने के किस्से तो हजारों हैं।

और जहां तक पत्रकारों से उनके आत्मीय संबंधों की बात की जाए तो लखनऊ में पत्रकारों के बीच टंडन जी जितना प्रिय नेता शायद ही कोई हो। टंडन जी निजी तौर पर भी वर्गीय और सांप्रदायिक भेदभाव के खिलाफ थे। इसका एक बहुत अच्छा किस्सा कभी पत्रकार साथी सद्गुरु शरण अवस्थी जी ने सुनाया था। एक मुस्लिम पत्रकार से जुड़ा किस्सा है कि टंडन जी ने बिना किसी भेदभाव के कैसे उनकी मदद की थी और शासन के अफसरों को लताड़ लगाई थी। वह बहुत दयालु इंसान थे।

टंडन जी से मेरा सामना एक तल्ख माहौल में हुआ था लेकिन उन्होंने अपना सहज स्वभाव नहीं छोड़ा। बात 2000-2001 के कुंभ मेले की है। एक घटनाक्रम में कुंभ मेला पुलिस ने पत्रकारों पर लाठीचार्ज किया था। आक्रोशित पत्रकार कुंभ मेला मीडिया कैंप में धरने पर बैठ गए। स्थानीय प्रशासन धरना खत्म नहीं करा पाया। राजनाथ सिंह जी मुख्यमंत्री थे और टंडन जी नगर विकास मंत्री। समस्या के समाधान के लिए राजनाथ जी ने टंडन जी को मिशन पर लगाया। टंडन जी अगले ही दिन पहुंच गए। पत्रकारों ने विरोध की ठान ही रखी थी। पत्रकार उन्हें कैंप में नहीं घुसने देने पर अड़े थे।

मैं और कुछ अन्य साथी उनकी गाड़ी के आगे खड़े हो गए। आगे नहीं बढ़ने दे रहे थे। एक पत्रकार साथी बृजेश मिश्र उत्साह में उनकी गाड़ी के बोनट पर चढ़ गए। मैंने ही किसी तरह उन्हें नीचे उतारा। जैसा कि ऐसे अवसरों पर मुर्दाबाद मुर्दाबाद होता ही है। लेकिन टंडन जी बिल्कुल गुस्सा नहीं हुए। वह कार से उतरे और खरामा-खरामा धरना स्थल पर जा पहुंचे।

नारेबाजी के बीच पत्रकारों से सहज भाव में बातचीत शुरू की। मुख्यमंत्री जी का संदेश सुनाया। धरना खत्म नहीं हुआ। बाद में उनके ही निर्देश पर तत्कालीन नगर विकास सचिव जयशंकर मिश्र जी ने मुझे अलग से बुलाया और बातचीत की। मैंने साफ़ मना कर दिया कि मांगें पूरी किए बगैर पत्रकार धरने से नहीं हटेंगे। आखिरकार धरना दस दिन से अधिक चला। बाद में कई मौकों पर जब कभी भी टंडन जी मेरी मुलाकात होती, वह मुस्कुराते हुए कहते। बहुत धरना देते हैं आप लोग। हंसकर बात होती। उन हालात का मलाल उन्हें कभी नहीं रहा। बड़े मन के नेता थे। बीते साल लखनऊ में उनके पौत्र का प्रीतिभोज था। मैं भी आमंत्रित था। प्रीतिभोज वाले दिन किसी कारण विशेष से मुझे प्रयागराज जाना पड़ गया लेकिन मैंने अपने दोनों बेटों शुभम और शिवम को भेज दिया था। उन दोनों समारोह में टंडन जी से मुलाकात की और मेरा परिचय देते हुए मेरी तरफ से बधाई दी तो टंडन जी ने पूछा कि त्रिपाठी जी कहां हैं। बच्चों ने बताया तो बोले, कहना कि मुलाकात करें। इसे दुर्योग ही मानूंगा कि तब से टंडन जी से मेरी मुलाकात नहीं हो पाई।

टंडन जी लोकतांत्रिक स्वभाव के थे। कुंभ के समय इलाहाबाद के तत्कालीन मेयर डॉ. केपी श्रीवास्तव विपक्षी पार्टी के थे लेकिन अवसर विशेष पर उनके सम्मान का ध्यान रखते थे। ऐसे ही कुंभ से पहले डॉ. रीता बहुगुणा जोशी इलाहाबाद की मेयर रही हैं। भाजपा की सरकार थी। वह कई मौकों पर नगर विकास मंत्री लालजी टंडन जी पर अपना गुस्सा दिखाती थीं लेकिन वह मुस्करा कर टाल जाते थे। विरोधी पार्टी में होने के बावजूद हेमवती नंदन बहुगुणा समेत अनेक नेताओं से आजीवन उनके प्रगाढ़ रिश्तों का गवाह है लखनऊ।

मध्यप्रदेश के राज्यपाल रहे लालजी टंडन 85 वर्ष के थे। पूर्व प्रधानमंत्री अटल विहारी वाजपेयी के बेहद करीबी रहे टंडन जी भाजपा और बसपा की साझा सरकारों में हमेशा कैबिनेट मंत्री ही होते रहे। वह भाजपा विधानमंडल दल के नेता भी रहे।

लालजी टंडन का जन्म 12 अप्रैल, 1935 में हुआ था। शुरुआती जीवन से ही लालजी टंडन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ गए थे। स्नातक तक पढ़ाई के बाद उनका विवाह 1958 में कृष्णा टंडन के साथ हुआ। उनके बेटे आशुतोष टंडन 'गोपाल जी' वर्तमान में उत्तर प्रदेश के नगर विकास मंत्री हैं, जिस पद पर वह बरसों बरस रहे।

लालजी टंडन की सत्तर के दशक में भाजपा के शीर्ष नेता अटल बिहारी वाजपेयी से लखनऊ में मुलाकात हुई। वह उनके बेहद करीबी होते गये। अटल विहारी वाजपेयी जब प्रधानमंत्री बने तो लखनऊ आने पर वह उनके घर पर ही भोजन करते थे। लालजी टंडन खुद कहते थे कि अटल बिहारी वाजपेयी ने राजनीति में उनके साथी, भाई और अभिभावक तीनों की ही भूमिका अदा की है।

लालजी टंडन का राजनीतिक सफर साल 1960 में शुरू हुआ था। तब वह लखनऊ में दो बार पार्षद चुने गए थे। उन्होंने इंदिरा गांधी की सरकार के खिलाफ जेपी आंदोलन में भी बढ़-चढकर हिस्सा लिया था। बाद में 1978 से 1984 तक और 1990 से 96 तक दो बार उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य रहे।1991-92 में कल्याण सिंह के नेतृत्व वाली सरकार में वह भी मंत्री रहे। 1996 से 2009 तक लगातार तीन बार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे। 1997 में वह भाजपा बसपा की साझा सरकार में नगर विकास मंत्री रहे। प्रदेश में भाजपा और बसपा की गठबंधन सरकार बनाने में भी उनका अहम योगदान किसी से छिपा नहीं था।

ये भी पढ़ें:चीन का बुरा हाल: मोदी सरकार के इस फैसले से बढ़ेगी मुसीबत, अब क्या करेगा ड्रैगन!

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के राजनीति से दूर होने के बाद 2009 में टंडन जी लखनऊ सीट से चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे। । लालजी टंडन को 2018 में बिहार का राज्यपाल बनाया गया और फिर इसके बाद पिछले साल जुलाई में उन्हें मध्यप्रेदश के राज्यपाल पद का जिम्मा सौंपा गया था।

अद्भुत सांगठनिक और प्रशासनिक क्षमता के धनी टंडन जी को लखनऊ पर एक ऐतिहासिक विकास बहुमुखी आयामों वाली तथ्यपरक पुस्तक लिखने के लिए भी सदैव याद किया जाएगा। लखनऊ में बाबूजी के नाम से मशहूर टंडन जी भले ही पार्थिव रूप से नहीं रहे लेकिन उनका व्यक्तिव्व और कृतित्व उन्हें लोगों के दिलों में चिरजीवी बनाए रखेगा। इन शब्दों के साथ मैं टंडन जी के प्रति विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।

देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।



\
Newstrack

Newstrack

Next Story