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कोविड मरीजों की सेवा से देश के प्रति निभा रहे जिम्मेदारी
डॉ. फऱीदी कहते हैं कि कोविड के दौरान हम अधिक मानवीयता और देश के प्रति अपनी जिम्मेदारी मानकर मरीजों का इलाज कर रहे हैं।
कोविड-19 की चुनौतियों को स्वीकारने में राजधानी लखनऊ का एरा मेडिकल यूनिवर्सिटी (Era Medical University) का मेडिकल कॉलेज अग्रणी रूप में उभरा है। एरा एजुकेशनल ट्रस्ट (ईईटी) ने इसे 2001 में मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई), स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय और भारत सरकार के अनुमोदन से शुरू किया था। 2006 में इसे मान्यता प्राप्त हुई। एरा के लखनऊ मेडिकल कॉलेज और अस्पताल की अवधारणा के पीछे मेडिकल शिक्षा को फिर से तैयार करने का उद्देश्य रहा और अच्छी तरह से समझे गए विषयों, जीवन के सिद्धांतों को मूर्त रूप देने का एरा एजुकेशनल ट्रस्ट ने प्रयास किया।
एरा मेडिकल कॉलेज पर लिखने का विचार तब आया जब इस अस्पताल से ठीक होकर निकलने वाले हर मरीज की जुबान से यह बात सुनी कि बहुत बेहतरीन व्यवस्था है। डॉक्टरों और स्टाफ का व्यवहार बहुत बढ़िया। पता ही नहीं चला 15 दिन कैस बीत गए। हर चीज का बहुत ध्यान दिया जाता है। इससे ऐसा लगा कि कोविड-19 के राजधानी लखनऊ में जैसे जैसे मरीज बढ़ते गए एरा अस्पताल की जिम्मेदारी और मानवीय दृष्टिकोण बढ़ता गया। यही वजह रही कि इस अस्पताल से ठीक होकर निकलने वाले तमाम मरीज इसे घर से बेहतर देखभाल के लिए नंबर देते हैं। यहां से ठीक होकर निकले मरीज कहते हैं कोविड संक्रमण के दौर में यहां के डॉक्टरों की ईमानदारी, करुणा, साहस, दृढ़ता और जिम्मेदारी देखते ही बनती है। यहां छात्रों को सक्षम चिकित्सक बनाने के साथ ही उनमें नैतिकता और मूल्यों की शिक्षा दी जाती है जिससे वे अपने रोगियों का मानवीय दृष्टिकोण के साथ इलाज कर सकें। हमने इस मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. एमएम ए फरीदी से इस संबंध में बात की, प्रस्तुत हैं उनसे बातचीत के प्रमुख अंश...
एरा यूनिवर्सिटी में तीन स्तर पर मॉनीटरिंग सिस्टम
डॉ. एमएम ए फऱीदी (Dr. MA Faridi कहते हैं कि कोविड महामारी के दौरान हम अधिक मानवीयता और देश के प्रति अपनी जिम्मेदारी मानकर मरीजों का इलाज कर रहे हैं। वह बताते हैं कि एरा यूनिवर्सिटी प्राइवेट यूनिवर्सिटी एक्ट के तहत 2016 से संचालित है। वह बताते हैं कि हमारे यहां तीन स्तर पर मॉनीटरिंग सिस्टम है। इसे भारत सरकार की आयुष्मान भारत योजना को कार्यान्वित और क्रियान्वित करने के लिए प्रतिष्ठित SKOCH पुरस्कार मिला है।
वह बताते हैं कि अस्पताल में डॉक्टरों, नर्सिंग स्टाफ व मरीजों की तीन स्तर पर मानीटरिंग की जाती है। बेहतरीन सीसीटीवी कंट्रोल रूम है। जिसमें 360 एंगल के कैमरे हैं जिनको जूम करके प्रत्येक गतिविधि की निगरानी की जाती है।
कोविड प्रोटोकाल के बारीकी से पालन किये जाने के बारे में वह जानकारी देते हैं कि डाक्टरों से लेकर स्टाफ तक के किट उतारते समय पूरी प्रक्रिया के अक्षरशः पालन की मानिटरिंग की जाती है। इस पूरी प्रक्रिया में दस से 15 मिनट लगते हैं। सीनियर डा. चेक करते हैं और यदि कहीं कोई चूक दिखती है तो तुरंत आगाह किया जाता है।
'हम मरीज पर 500-600 रुपये प्रतिदिन खर्च करते हैं'
एक सवाल के जवाब में वह कहते हैं कि सरकार भोजन का सौ रुपये देती है लेकिन हमारी सीएसटी टीम अदरक, हल्दी, गिलोय, अश्वगंधा, भुना जीरा, कद्दू के बीज, भुनी तिल्ली, कलौंजी, आंवला चूर्ण, लौकी का सूप, कद्दू का सूप, ब्रोंकली हर दो घंटे पर देती है। इसके अलावा मरीजों की खुराक की विशेष निगरानी की जाती है। उन्हें ग्रीन टी, मिल्क टी, फल नाश्ता, लंच, डिनर आदि जो हम प्रोवाइड करते हैं। हम मरीज पर 500-600 रुपये प्रतिदिन खर्च करते हैं।
डॉ. फरीदी कहते हैं मरीज ने कितना खाया, क्या नहीं खाया क्यों नहीं खाया। इस सब की निगरानी होती है डायट्रीशियन मरीज की जरूरत के हिसाब से उसकी खुराक तय करते हैं उसे दवा की तरह उसकी खुराक भी दी जाती है।
वह कहते हैं हम इसी मिट्टी के हैं और सब को इसी में मिल जाना है। हम सेवा भाव से काम कर रहे हैं। खासकर कोविड मरीजों की सेवा में। आइसोलेशन में मरीज के लिए सरकार 1800 रुपये देती है, हम सब खर्च कर देते हैं। एचडीयू के अंदर 3500 और आईसीयू में 4500 रुपये प्रतिदिन मिलता है लेकिन हम बचाने की कोशिश नहीं करते बल्कि उससे ज्यादा ही खर्च करते हैं।
700 बेड रन कर रही है एरा अस्पताल
एरा अस्पताल का लिक्विड ऑक्सीजन का प्लांट है। 700 बेड रन कर रहे हैं। सबसे ज्यादा प्रेशर हमारे ऊपर है। हम मरीज और उसके तीमारदारों की तीन स्तर पर काउंसलिंग दिन में दो बार करते हैं। आइसोलेशन में एडमिट पेशेंट से बात करते हैं। अगर सइकियाट्रिक प्राब्लम पता चलती है तो हमारी टीम बात करती है। कोरोना महामारी के दौर में पीड़ित मानवता के लिए यह तो एक यज्ञ है, हम चाहते है हमारी आहुति भी पड़ जाए।