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पूर्व डीजीपी भाजपा सांसद बृजलाल की बगिया में फिर चहचहाए गौरैया के बच्चे

गौरैया का प्रजनन- काल समाप्त हो गया है। इस सीज़न में पैदा हुए बच्चे भी आत्मनिर्भर हो चुके हैं।

Brij Lal
Written By Brij LalPublished By Shashi kant gautam
Published on: 8 Aug 2021 3:02 PM IST (Updated on: 8 Aug 2021 3:17 PM IST)
Sparrowagain chirped in the garden of former DGP BJP MP Brijlal
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पूर्व डीजीपी भाजपा सांसद बृजलाल 

पूर्व डीजीपी बृजलाल का गौरैया के प्रति प्रेम काफी गहरा है। गौरैया के प्रति उनका लगाव बचपन से ही है। उन्होंने यह प्यार अपनी मां से विरासत में पाया है। गौरैया के लिए दाना-पानी रखना मां ने ही सिखाया था। धीरे-धीरे बृजलाल को इसकी आदत पड़ गई। पूर्व डीजीपी बृजलाल का कहना है कि-

गौरैया का प्रजनन- काल समाप्त हो गया है। इस सीज़न में पैदा हुए बच्चे भी आत्मनिर्भर हो चुके हैं। प्रजनन के बाद गौरैया सहित अन्य पक्षी भी घोंसला छोड़ देते हैं और पेड़ों पर रहना पसंद करते है, भले ही बरसात हो रही हो।

बरसात में चिड़ियों को अन्न मिलना मुश्किल होता है।

बरसात में चिड़ियों को अन्न नही मिल पाता है। गर्मियों में विभिन्न फसलों और घास के बीजों से उन्हें पर्याप्त भोजन मिल जाता है, हां पानी की सबसे अधिक आवश्यकता होती है। जब गाँव में रहते थे और सिद्धार्थनगर की तराई क्षेत्र में भादों महीने में अधिकतर 15-20 दिन लगातार बारिश होती थी। उस समय गांव के लोग बरसात का इंतज़ाम पहले से कर लेते थे और बाज़ार से नमक, मसाले और मिट्टी का तेल पहले ही मंगा लिए जाते थे। क्योंकि लगातार हो रही बरसात में बाज़ार जाना भी मुश्किल था।


अपनी चहचहाहट से मुझे जन्म-दिन की बधाई दे रही थी

बृजलाल खुद बताते हैं कि 'मेरी मां कहती थी कि बरामदे में पका चावल और धान डाल दो, नहीं तो गौरैया भूखी रह जायेगी। बरसात के कारण उसे कीड़े- मकोड़े भी नही मिल पाते हैं। सरकारी सेवा में आने के बाद भी मैं, बंगलों में चिड़ियों के लिए दाना- पानी की व्यवस्था करता रहा।



आज लखनऊ के मेरे आवास में भी वही व्यवस्था साल भर की जाती है। आज 8 अगस्त को सुबह नाश्ते के बाद निकला तो मेरी गौरैया भी नाश्ता कर रही थी और अपनी चहचहाहट से मुझे जन्म-दिन की बधाई दे रही थी। माता- पिता का आशीर्वाद मिल रहा है, जिन्होंने ने जीव- जंतुओं की सेवा का संस्कार घुट्टी में पिला दिया।



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Shashi kant gautam

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