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महाशिवरात्रि पर विशेष : मनोकामना पूरी करते हैं बाबा भोलेनाथ
हर साल फाल्गुन मास की चतुदर्शी को मनाए जाने वाले महाशिवरात्रि के त्योहार की हिंदू धर्म में विशेष मान्यता है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती का विवाह हुआ था। इसलिए इस दिन भोलानाथ और मां पार्वती की पूजा का विशेष महत्व होता है। इस दिन श्रद्धालु भगवान शिव की आराधना करते हैं ताकि उनकी मनोकामना पूर्ण हो सके। इस दिन देशभर के शिव मंदिरों में भक्तों का तांता लगा रहता है। भक्त इस दिन भगवान शिव को फल-फूल, दूध व जल चढ़ाते हैं। कई लोग इस खास मौके पर रूद्राभिषेक का भी आयोजन करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन किया गया रूद्राभिषेक काफी फल देने वाला होता है। इस साल महाशिवरात्रि का पर्व ४ मार्च को मनाया जाएगा। यह पर्व सायं ४ बजकर २८ मिनट से आरंभ होगा। इस बार बाबा भोलेनाथ के भक्तों के लिए खास बात यह है कि इस दिन सोमवार है जो कि भगवान शिव का ही दिन माना जाता है। इसलिए इस बार भक्तों के लिए इस पर्व का विशेष महात्म्य है। वैसे इस वर्ष महाशिवरात्रि का व्रत नक्षत्र के हिसाब से मंगलवार ५ मार्च २०१९ को रखा जाएगा।
महाशिवरात्रि का महत्व
महाशिवरात्रि का महत्व शिव महापुराण में विस्तार से बताया गया है। महाशिवरात्रि के दिन शिवजी और माता पार्वती विवाह-सूत्र में बंधे थे। पौराणिक कथाओं और मान्यताओं के अनुसार महाशिवरात्रि की मध्य रात्रि में भगवान शिव, शिवलिंग (प्रतीक) के रूप में प्रकट हुए थे। पहली बार शिवलिंग की पूजा भगवान विष्णु और ब्रह्माजी ने की थी। वेदों में शिव को महादेव कहा गया है, महान देवता जो स्वयं ईश्वर ही है। तंत्र में शिव को अपने देवत्व को जागृत करने के लिए शक्ति (देवी) की आवश्यकता पड़ती है। गंगाजी को जटाओं में धारण करने वाले शिवजी के सिर पर चंद्रमा, हाथ में त्रिशूल, मस्तक पर त्रिपुंड, कंठ में कालपाश (नागराज), रुद्राक्ष माला से सुशोभित तीन नेत्रों वाले शिव के हाथ में डमरू और धनुष है।
विधिविधान से करें पूजा
इस दिन भगवान शिव की पूजा पूरे विधि विधान से करनी चाहिए। वैसे कहा जाता है कि बाबा भोलेनाथ एक लोटा जल चढ़ाने से ही भगवान इंसान की मुराद पूरी कर देते हैं। हिंदू धर्म के अनुसार भगवान शिव पर पूजा करते वक्त बिल्वपत्र, शहद, दूध, दही, शक्कर और गंगाजल से अभिषेक करना चाहिए। ऐसा करने से आपकी सारी समस्याएं दूर होंगी।
एक वर्ष में एक महाशिवरात्रि और ११ शिवरात्रियां पड़ती हैं, जिन्हें मासिक शिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार देवी सरस्वती, लक्ष्मी, पार्वती, सीता और गायत्री देवी ने भी मासिक शिवरात्रियों का व्रत किया था और शिव कृपा से अनंत फल प्राप्त किया था।
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पूरी होती है मनोकामना
कहा जाता है कि बाबा भोलेनाथ जिस पर मेहरबान हो जाते हैं, उसकी मनोकामना पूरी कर देते हैं। भगवान शिव सबसे जल्दी प्रसन्न होने वाले देवता हैं। तमाम देवी-देवताओं के मुकाबले शिव की साधना भी काफी सरल है। शास्त्रों में शिव जी को प्रसन्न करने के लिए कुछ आसान तरीके बताए गए हैं, जो व्यक्ति की मनोकामनाओं को पूरी करने में सहायक माने गए हैं। आइए जानते हैं शिव पूजा में किस मनोकामना के लिए किस चीज का प्रयोग किया जाता है।
शिव के स्वरूप
भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करने वाले बाबा भोलेनाथ शिवशंकर, शंकर, नीलकंठ, बाबा बर्फानी, भोलेनाथ, महादेव, महकाल, भगवान् आशुतोष, उमापति, महादेव, गौरीशंकर, सोमेश्वर, महाकाल, उमापति, विश्वनाथ ओंकारेश्वर, वैद्यनाथ, शिव, त्रिपुरारि, सदाशिव तथा अन्य सहस्त्रों नामों से पूज जाते हैं।
ऐसे करें अभिषेक
कहते हैं कि सृष्टि के कण-कण में महादेव का वास है और वे अपने भक्तों का हर रूप में कल्याण करते हैं। यदि किसी के विवाह में समस्या आ रही हैं तो वह महाशिवरात्रि पर गन्ने के रस से शिव का अभिषेक कर सकता है। इस उपाय से शीघ्र विवाह का संयोग बनता है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। महाशिवरात्रि पर भक्तिभाव से शिवलिंग पर शहद से अभिषेक से सभी पापों से मुक्ति मिलती है। साथ ही जीवन से कर्ज का मर्ज भी दूर हो जाता है और परिजनों के बीच सामंजस्य बना रहता है।
महाशिवरात्रि पर शिव का दही से अभिषेक करने पर जीवन से जुड़ी सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं। साथ ही साधक को वाहन सुख की प्राप्ति होती है।
यदि आप भगवान शिव को जल्दी प्रसन्न कर मनाचाहा वरदान पाना चाहते हैं तो महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर कच्चा दूध चढ़ाना न भूलें। कच्चे दूध से शिव का अभिषेक करने से आरोग्य की प्राप्ति होती हैं और संतान का सुख मिलता है। दुनिया में हर किसी के जीवन में कुछ न कुछ दिक्कतें जरूर हैं। तमाम तरह के दुखों को दूर करने के लिए महाशिवरात्रि पर भगवान शिव का किसी पवित्र नदी के जल से? नम: शिवाय मंत्र का जाप करते हुए अभिषेक करें। इसका सकारात्मक असर जरूर दिखेगा।
धन में वृद्धि और लंबी आयु पाने के महाशिवरात्रि पर भगवान शिव का गाय के घी से अभिषेक करें। इस पूजन से भगवान शिव प्रसन्न होंगे और सभी मनोकामनाओं को शीघ्र पूर्ण करेंगे।
यदि आपको ग्रह विशेष से कोई बाधा आ रही है या फिर शत्रु परेशान कर रहे हैं या फिर हर समय उनका भय बना रहता है तो महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव का सरसों के तेल से अभिषेक करें। इस पूजा से शत्रुओं का नाश होता है।
भगवान शिव की कृपा पाने के लिए महाशिवरात्रि पर उनका चंदन से अभिषेक करना न भूलें क्योंकि शिवलिंग पर चंदन चढ़ाने से साधक का सौभाग्य जगता है। उसमे समाज में मान-सम्मान और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
इन पांच चीजों से करें बाबा का पूजन
भगवान शिव को यूं तो भोलेनाथ कहा जाता है, क्योंकि वे बड़ी आसानी से किसी को भी वरदान दे देते हैं। इसके बावजूद भगवान शिव की पूजा में इन पांच चीजों का विशेष महत्व है। आइए जानते हैं उन पांच चीजों के बारे में।
बेल पत्र: बेल पत्र का महादेव की पूजा में बहुत महत्व है। बाबा भोलेनाथ को बेल पत्र चढ़ाना काफी फलदायी माना जाता है। तीन जन्मों के पापों के संहार के लिए त्रिनेत्ररूपी भगवान शिव को तीन पत्तियों युक्त बिल्व पत्र जरूर चढ़ाना चाहिए, जो सत्व-रज-तम का प्रतीक है।
भंग: भगवान शिव ने हलाहल विष का पान किया है। इस विष के उपचार के लिए देवताओं ने कई तरह की जड़ी-बूटियों का प्रयोग किया जिनमें भांग भी एक है। इसलिए भगवान शिव को भंग बेहद प्रिय है।
धतूरा: भांग की तरह धतूरा भी एक जड़ी बूटी है। भगवान शिव के सिर पर चढ़े विष के प्रभाव को दूर करने के लिए धतूरा का प्रयोग भी किया गया था। इसलिए शिव जी को धतूरा भी प्रिय है। महाशिवरात्रि पर भगवान शिव को धतूरा अर्पित करने से शत्रुओं का भय दूर होता है। इसके साथ ही धन संबंधी मामलों में उन्नति होती है।
गंगा जल: गंगा भगवान विष्णु के चरणों से निकली और भगवान शिव की जटा से धरती पर उतरी है। इसलिए सभी नदियों में गंगा परम पवित्र है। गंगा जल से भगवान शिव का अभिषेक करने से मानसिक शांति और सुख की प्राप्ति होती है।
गन्ने का रस: गन्ना जीवन में मिठास और सुख का प्रतीक माना जाता है। गन्ने के रस से शिवलिंग का अभिषेक करने से धन-धान्य की प्राप्ति होती है। शास्त्रों से इसे बहुत ही पवित्र माना गया है।
महाशिवरात्रि व्रत पूजन विधि
विधि विधान से महाशिवरात्रि व्रत व पूजन करने से इच्छित फल, धन, सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है। महाशिवरात्रि का सबसे प्रमुख भाग उपवास होता है। सबसे पहले पानी में गंगाजल डाल कर स्नान करें। स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद हाथ में अक्षत और गंगाजल लेकर महाशिवरात्रि व्रत का संकल्प लें। इसके बाद सफेद वस्त्र धारण करें और किसी भी शिव मंदिर में जाकर शिवजी का पंचामृत से अभिषेक करें। शंकर जी का अभिषेक करने के लिए पंचामृत में दूध, दही, शहद, गंगा जल और काले तिल का उपयोग करें। पंचामृत से अभिषेक के बाद शिवलिंग का विधिपूर्वक पूजन करें और शिवलिंग बेलपत्र, गाजर, बेर, धतूरा, भांग, सेंगरी और जनेऊ जरूर चढ़ाएं। भगवान शिव का अभिषेक करने के बाद शिवपरिवार को केसर का तिलक करें और सफेद फूल की माला अर्पित करें। महाशिवरात्रि पर भगवान का तिलक करने के बाद उन्हें स्वच्छ वस्त्र अर्पित करें और धूप-दीप से शिवजी की पूजा करें। शिवचालीसा का पाठ करने के बाद शिवजी की आरती करना ना भूलें। आरती करने के बाद उत्तर दिशा की तरफ मुख करके ? नम: शिवाय मंत्र का १०८ बार जाप करें। शिव आराधना में लीन रहते हुए अगली सुबह शिवजी को फल का भोग लगाकर स्वयं भी फल का सेवन कर व्रत खोलें।