×

Makar Sankranti 2025: मकर संक्रांति, 14 जनवरी को, समता व नवोत्कर्ष का पर्व

Makar Sankranti 2025: सूक्ष्म खगोलीय अयन चलन के कारण प्रति 70 वर्षों में निरयन मकर संक्रांन्ति का पर्व एक-एक दिन आगे बढ़ता है। बारह राशियों में सूर्य द्वारा औसत एक माह में एक बार राशि परिवर्तन करने से वर्ष में बारह संक्रान्तियां आती हैं।

DR Vijay Taylor
Published on: 14 Jan 2025 6:58 PM IST
Makar Sankranti 2025 History
X

Makar Sankranti 2025 History

Makar Sankranti 2025: सूर्य के मकर राशिमें प्रवेश के पर्व मकर संक्रांति को सम्पूर्ण देश व विदेशों में भी मनाया जाता है। सूर्य की दो अयन संक्रांतियों में मकर संक्रांति को उत्तरायण संक्रांति व कर्क संक्रान्ति को दक्षिणायन संक्रांति भी कहा जाता है। विगत 60 वर्षों से निरयन मकर राशि में सूर्य का प्रवेश 14 जनवरी को होता रहा है। उसके पूर्व यह 13 जनवरी, उसके पहले 12 जनवरी को आती थी। लगभग 1700 वर्ष पूर्व यह 22 दिसम्बर को आती थी।

सूक्ष्म खगोलीय अयन चलन के कारण प्रति 70 वर्षों में निरयन मकर संक्रांन्ति का पर्व एक-एक दिन आगे बढ़ता है। बारह राशियों में सूर्य द्वारा औसत एक माह में एक बार राशि परिवर्तन करने से वर्ष में बारह संक्रान्तियां आती हैं। सूर्य के मेषादि बारह राशियों में प्रवेश को उस राशि की संक्रान्ति के नाम से सम्बोधित किया जाता है। यथा मेष संक्रान्ति, वृष संक्रान्ति, मिथुन संक्रान्ति, कर्क संक्रान्ति आदि।

कर्क व मकर संक्रान्ति को अयन संक्रान्ति कहा जाता है। सूर्य की सायन कर्क व मकर संक्रान्तियां क्रमश: 22 दिसम्बर व 21 जून को मानी जाती हैं। संकल्प आदि में सायन कर्क संक्रान्ति से दक्षिणायन एवं सायन मकर संक्रान्ति से उत्तरायण माना जाता है। पृथ्वी के घूर्णन से उनकी धुरि में जो वृत्ताकार दोलन होता है, उसकी 25771 वर्षों में एक आवृत्ति होती है। इस दोलन से होने वाले विचलन को ही भारतीय खगोलविदों ने अयन चलन कहा है। इसी दोलन के कारण प्रति 70 वर्षों में संक्रान्ति 1-1 दिन आगे बढ़ती जाती है। पाश्चात्य खगोलविदों को पूर्व काल में इस अयन चलन की जानकारी नहीं थी। अब उन्होंने भी अयन चलन की प्राचीन भारतीय गणना को स्वीकार लिया है।

भारतीय धर्मशास्त्रों में संक्रान्तियां

ऋग्वेद (1.12.48 व 1.164.11) में सूर्य के बारह राशियों में भ्रमण व छह ऋतुओं के परिवर्तन का वर्णन है। कालनिर्णयकारिका, कृत्य रत्नाकर, हेमाद्रि (काल), समय मयूख में सूर्य के उत्तरायण व दक्षिणायन के पर्वों को मनाने, करणीय कामों की सूची और अयन व्रत की विस्तृत विधियां हैं। संक्रान्तियों पर गंगा स्नान, तैल रहित भोजन, या तिल युक्त जल से स्नान, पितरों के श्राद्ध व तर्पण और अन्न दान आदि के निर्देश हैं। बारह राशियों में भ्रमण से वर्ष में 12 संक्रान्तियां होती हैं।

भविष्य पुराण व वर्ष क्रिया कौमुदी (पृष्ठ 514) के अनुसार संक्रान्ति, ग्रहण अमावस्या व पूर्णिमा को गंगा स्नान एवं नदी व सरोवरों में स्नान को महापुण्यदायी व मोक्षदायक कहा है। इस पर्वों में जरूरतमन्द लोगों की सभी प्रकार से यथाशक्ति सहायता करनी चाहिए। संक्रान्ति के दिन मांस रहित भोजन करना चाहिए।

श्लोक:संक्रान्त्यां पक्षयोरन्ते ग्रहणे चन्द्रसूर्ययो:।

गंगास्नातो नर: कामाद् ब्राह्मण: सदनं व्रजेत।।

( भविष्य पु./वर्ष क्रिया कौमुदी पृ. 514)

भारत में मकर सक्रान्ति

भारत में मकर सक्रान्ति को सभी प्रदेशों में उल्लास के साथ मनाया जाता है। छत्तीसगढ़, गोवा, उड़ीसा, हरियाणा, बिहार, झारखण्ड, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, राजस्थान, सिक्किम, उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, पश्चिम बंगाल, गुजरात और जम्मू में इसे मकर संक्रांति नाम से ही मनाया जाता है।

मकर सक्रान्ति के प्रादेशिक नाम:-देश के कई प्रदेशों में मकर संक्रांति के प्रादेशिक नाम भी अग्रानुसार प्रचलित हैं-

ताइ पोंगल, उझवर तिरुनल: तमिलनाडु।

भोगाली बिहू : असम।

उत्तरायण:गुजरात, उत्तराखण्ड।

खिचड़ी: उत्तर प्रदेश, पश्चिमी बिहार।

उत्तरैन, माघी संगरांद: जम्मू।

पौष संक्रान्ति:पश्चिम बंगाल।

शिशुर सेंक्रंत: कश्मीर घाटी।

मकर संक्रमण: कर्नाटक।

माघी: हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, पंजाब।

वृहत्तर भारत स्थित अन्य एशियाई देशों में मकर सक्रान्ति

बांग्लादेश : शक्रैन/पौष संक्रान्ति।

नेपाल : माघे संक्रान्ति, ‘माघी संक्रान्ति’ ‘खिचड़ी संक्रान्ति’।

थाईलैण्ड : सोंगकरन।

लाओस : पि मा लगाओ।

म्यांमार : थिंयान।

कम्बोडिया : मोहा संगक्रान।

श्रीलंका : पोंगल, उझवर तिरुनल।

( लेखक प्रख्यात ज्योतिषाचार्य हैं ।)



Admin 2

Admin 2

Next Story