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Jyotirlinga: मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग ही नहीं शक्ति पीठ भी

मल्लिकार्जुन: दक्षिण भारत के लोग इस पवित्र पर्वत को दक्षिण का कैलाश मानते हैं। श्रावण के महीने में और महाशिवरात्रि के दौरान इसके दर्शन करने से भक्तों का मानना है कि उनकी सारी मनोरथ पूर्ण होती है।

Sarojini Sriharsha
Published on: 13 Feb 2023 7:26 AM IST
Mallikarjun Jyotirlinga
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Mallikarjun Jyotirlinga (Social Media)

Mallikarjun Jyotirlinga: भारत के चारों दिशाओं में भगवान शिव ज्योतिर्लिंग के रूप में विराजमान हैं।12 ज्योतिर्लिंगों में से मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग भी एक प्रमुख है। यह ज्योतिर्लिंग भारत के आंध्र प्रदेश राज्य के कृष्णा जिले में कृष्णा नदी के तट के पास श्रीशैलम पर्वत पर स्थित है। दक्षिण भारत के लोग इस पवित्र पर्वत को दक्षिण का कैलाश मानते हैं। श्रावण के महीने में और महाशिवरात्रि के दौरान इसके दर्शन करने से भक्तों का मानना है कि उनकी सारी मनोरथ पूर्ण होती है।

इस मंदिर परिसर में 4 गेटवे टॉवर हैं, जिन्हें गोपुरम कहा जाता है और कई मंदिर बने हुए हैं जिनमें मल्लिकार्जुन और भ्रामराम्बा सबसे प्रमुख मंदिर हैं। मल्लिका का अर्थ पार्वती और अर्जुन भगवान शंकर हैं। पुराणों के अनुसार इस ज्योतिर्लिंग में भगवान शिव और मां पार्वती दोनों दिव्य ज्योति के रूप के विराजमान हैं। यह स्थल जंगलों के बीच में स्थित है।

इस ज्योतिर्लिंग के पीछे एक कथा है जो भगवान शिव और माता पार्वती के दोनों पुत्रों से जुड़ा है। एक बार पहले विवाह करने को लेकर कार्तिकेय और गणेश जी में विवाद हो गया । इस मुद्दे को सुलझाने के लिए शंकर जी ने एक शर्त रखी कि जो पहले पृथ्वी का चक्कर लगाकर आएगा उसका विवाह पहले होगा। इसके बाद कार्तिकेय अपनी सवारी पर परिक्रमा के लिए निकल गए लेकिन गणेश जी अपनी बुद्धि से मां बाप को ही संसार मानकर उनके चक्कर लगा लिए। उनकी इस बुद्धिमता पर उन्हें विजेता बनाकर उनका विवाह पहले करा दिया गया।

कार्तिकेय वापस लौटने पर गणेश को पहले विवाह करते देख अपने माता-पिता से नारज हो गए और कैलाश से वापस क्रोंच पर्वत पर आ गए। देवी-देवताओं के पुनः कैलाश लौटने के आग्रह को भी कार्तिकेय ने नहीं स्वीकारा। उनके माता पिता भी उन्हें मनाने की बहुत कोशिश की । लेकिन वे नहीं माने , अंत में पुत्र दर्शन की लालसा में भगवान शंकर ने ज्योति रूप धारण कर लिया और यहीं क्रोंच पर्वत पर विराजमान हो गए। तब से यह जगह मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के नाम से प्रसिद्ध हो गया। ऐसा माना जाता है की हर अमावस्या पर भगवान शिव और पूर्णिमा पर मां पार्वती यहां आते हैं।

इसके अलावा पौराणिक कथाओं के अनुसार यहां देवी सती के अवशेष गिरे थे जिससे यह स्थान शक्ति पीठ में भी गिना जाता है। राजा दक्ष के शिव को अपने यज्ञ में न बुलाने के अपमान के बाद उनकी पुत्री सती ने आत्मदाह किया । जिसका शरीर लेकर भगवान शंकर ने तांडव किया था और उस दौरान देवी सती के अवशेष जहां जहां गिरे वो स्थान शक्ति पीठ माना जाता है। मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग में उनके ऊपरी होंठ गिरे थे। श्रीशैलम का यह मंदिर 18 महाशक्ति पीठों में से एक है।

कैसे पहुंचें?

श्रीशैलम पहुंचने के लिए यहां कोई अपना हवाई अड्डा नहीं है । लेकिन निकटतम हवाई अड्डा बेगमपेट हैदराबाद का हवाई अड्डा है। देश के किसी भी कोने से इस हवाई अड्डे तक आकर ज्योतिर्लिंग के लिए सड़क के रास्ते से पहुंच सकते हैं। यहां से ज्योतिर्लिंग की दूरी करीब 215 किमी है। स्थानीय साधनों जैसे बस , टैक्सी की मदद से मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग तक पहुंचा जा सकता है। श्रीशैलम का सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन मरकापुर रेलवे स्टेशन है। यहां से मंदिर टैक्सी , बस और लोकल साधन से पहुंच सकते हैं। सड़क मार्ग से भी श्रीशैलम सभी शहरों से जुड़ा है।

मल्लिकार्जुन के पास अन्य दर्शनीय स्थल:

अक्क महादेवी गुफ़ाएँ :

ये गुफ़ाएँ तेलंगाना में श्रीशैलम से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर कृष्णा नदी के पास स्थित हैं। यह दर्शनीय स्थल अपने प्रवेश द्वार पर बने प्राकृतिक मेहराब के लिए मशहूर है।

श्री ब्रह्मराम्बा मल्लिकार्जुन स्वामी मंदिर :

श्री ब्रह्मराम्बा मल्लिकार्जुन स्वामी मंदिर कृष्णा नदी के तट पर श्रीशैलम शहर में स्थित है। ऐसा मानना है कि इस ऐतिहासिक मंदिर का निर्माण विजय नगर के राजा हरिहर ने 6वीं शताब्दी में करवाया था।

श्रीशैलम पातालगंगा:

ऐसी धारणा है कि कृष्णा नदी के श्रीशैलम पहाड़ी के मोड़ पर नदी में डुबकी लगाने से कई त्वचा रोग दूर हो जाते हैं। यहां रोपवे की सवारी कर पर्यटक नदी के साथ हरे-भरे जंगलों का नजारा देख आनंद उठा सकते हैं।

श्रीशैलम टाइगर रिजर्व:

लगभग 3568 एकड़ में फैला हुआ यह जगह श्रीशैलम और नागार्जुनसागर बांध के आरक्षित क्षेत्र में बना हुआ है। इस रिजर्व में बाघों के अलावा तेंदुआ, हिरण, काले हिरण, भालू ,हाथी आदि भी दिखाई दे सकते हैं।इसके अलावा इस क्षेत्र में मगरमच्छ, अजगर, नाग सांप, मोर आदि भी देख सकते हैं।

श्रीशैलम बांध :

भारत की 12 पनबिजली परियोजनाओं में श्रीशैलम बांध भी एक बड़ा हिस्सा है। तेलंगाना राज्य में बना यह बांध पर्यटकों के लिए एक मशहूर पिकनिक स्पॉट है।

शिखरेश्वर मंदिर : –

श्रीशैलम के सबसे ऊंचे स्थान पर स्थित यह मंदिर शिखरेश्वर स्वामी शिव का ही एक रूप है। यह मंदिर कृष्णा नदी के पास ही स्थित है। यहां से प्राकृतिक छटा देखते ही बनती है।

श्रीशैलम लिंगाला गट्टू :

यह जगह कृष्णा नदी के किनारे भगवान शिव को समर्पित है। इस स्थान पर भगवान शिव की छवि देखने को मिलती है । इसीलिए इस नदी के किनारे को लिंगला गट्टू नाम दिया गया है । मल्लिकार्जुन ऐसे तो श्रद्धालु किसी भी महीने में जा सकते हैं । लेकिन नवंबर से फरवरी का महीना घूमने के मौसम के हिसाब से बहुत सुहावना रहता है । तो एक साथ ज्योतिर्लिंग और शक्ति पीठ का दर्शन करने के साथ आसपास अन्य पर्यटक स्थल का भी आनंद उठा सकते हैं।



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Anant kumar shukla

Anant kumar shukla

Content Writer

अनंत कुमार शुक्ल - मूल रूप से जौनपुर से हूं। लेकिन विगत 20 सालों से लखनऊ में रह रहा हूं। BBAU से पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएशन (MJMC) की पढ़ाई। UNI (यूनिवार्ता) से शुरू हुआ सफर शुरू हुआ। राजनीति, शिक्षा, हेल्थ व समसामयिक घटनाओं से संबंधित ख़बरों में बेहद रुचि। लखनऊ में न्यूज़ एजेंसी, टीवी और पोर्टल में रिपोर्टिंग और डेस्क अनुभव है। प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म पर काम किया। रिपोर्टिंग और नई चीजों को जानना और उजागर करने का शौक।

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