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Mauni Amavasya 2025: मौनी अमृत स्नान में गूंजेगी रामभक्ति

Mauni Amavasya 2025: मौनी अमावस्या पर अमृत स्नान करने वाले श्रद्धालुओं के मौन के दौरान रामभक्ति सिर चिढ़ कर बोलेगी

Naved Shikoh
Written By Naved Shikoh
Published on: 23 Jan 2025 5:55 PM IST
Mauni Amavasya 2025 Snan Date History
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Mauni Amavasya 2025 Snan Date History 

Mauni Amavasya 2025 Snan Date History: 29 जनवरी को मौनी अमावस्या पर अमृत स्नान में गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम से अयोध्या की सरयू की यादें भी जुड़ जाएंगी। चौंतीस वर्ष पूर्व अयोध्या में सरयू के आंचल पर पुलिस की गोलियों से जान गंवाने वाले दिवंगत रामभक्तों का तर्पण भी किया होगा।

मौनी अमावस्या पर अमृत स्नान करने वाले श्रद्धालुओं के मौन के दौरान रामभक्ति सिर चिढ़ कर बोलेगी। इसका कारण शायद ये हो कि राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा का एक वर्ष पूरा होने के उत्साह के दौरान महाकुंभ के अमृत स्नानों का भी सिलसिला शुरू हुआ है। देश और प्रदेश के कुछ ऐसे भी श्रद्धालु हैं जो स्नान के लिए प्रयागराज आने के साथ अयोध्या राममंदिर दर्शन का भी शैडयूल बनाए हैं।

ऐसे लोगों का कहना है कि वो मौनी अमावस्या पर शाही स्नान की परंपराओं के अनुसार पितरों का तर्पण करेंगे।‌ जिसमें दिवंगत कारसेवकों को भी याद करेंगे। उनका आभार व्यक्त कर उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करेंगे और धर्म रक्षा की आत्मशक्ति के लिए दिवंगत कारसेवकों से आर्शीवाद मांगेंगे।


यह संयोग हैं कि यूपी में भक्तिभावना की अलख से अलख प्रज्वलित हो रही है। राम लला प्राण-प्रतिष्ठा के एक वर्ष पूर्व होने पर इसी माह अयोध्या के विजय उत्सव का उत्साह मन-मस्तिष्क में है। इस बीच 144 वर्ष के बाद शुभ संयोग में प्रयागराज का महाकुंभ हिन्दुत्व का पताका फहराकर भक्ति भावना को और भी शक्ति प्रदान करने लगा। इस बीच रामभक्ति का महाकुंभ के संगम से मिल जाना स्वाभाविक है।

प्रयागराज में मौनी अमावस्या पर महाकुंभ के अमृत स्नान में दस करोड़ श्रद्धालुओं के समागम की संभावना है।‌ देश के कोने-कोने से लोगों को यहां आना है। यूपी वालों में तो विशेष उत्साह है। कुछ ने प्रयागराज के साथ अयोध्या दर्शन की योजना बनाई है। राजाजीपुरम लखनऊ के रहने वाले आलोक अग्रवाल और करुणा सागर मित्र हैं।‌ दोनों ने साथ में अयोध्या में भगवान रामल्ला के दर्शन किए। अब ये लोग 29 जनवरी को मौनी अमावस्या पर प्रयागराज में अमृत स्नान करने की तैयारी कर रहे हैं। मौनी अमावस्या पर अमृत स्नान के धार्मिक पक्ष के अंतर्गत पितरों के तर्पण की परंपरा को याद दिलाते हुए ये बताते हैं कि वो जब अमृत स्नान के साथ अपने पितरों का तर्पण करेंगे तो इस पुण्य कार्य में कारसेवकों को अवश्य याद करेंगे।

अयोध्या राम दर्शन को आये प्रतापगढ़ के अनूप ओझा और अयोध्या के विकास पांडेय तो अयोध्या को देश की धार्मिक आजादी दिलाने का केंद्र मानते हैं। दोनों एकमत होकर कहते हैं कि राम मंदिर आंदोलन ने ना केवल राम जन्मभूमि मुक्त कराने की सफलता प्राप्त की बल्कि सनातनी चेतना को दिशा और गति दी। इसी का सुखद पहलू है यूपी में एक योगी की सत्ता होना और हमारे धार्मिक अधिकारों का फलना-फूलना। कुंभ-महाकुंभ हर दौर में होता रहा है, पर योगी सरकार में महाकुंभ का महाआयोजन अद्भुत है। एक आस्थावान ही आस्था की कद्र कर सकता है। योगी जी श्रद्धा और आस्था से इस अनुष्ठान को सफलता के शीर्ष तक लिए जा रहे हैं। इतने बड़े भूभाग में इतना विशाल महाकुंभ शायद कभी नहीं हुआ हो। कुशल प्रबंधन और इतनी चाक-चौबंद सुरक्षा व्यवस्था में करोड़ों श्रद्धालु अपने को सुरक्षित महसूस कर रहे हैं।


एक स्कूल की शिक्षिका सीमा का भी यही मानना है कि राम जन्मभूमि आंदोलन की सफलता के बाद हिन्दू समाज में धार्मिक अधिकारों के लिए लड़ने का साहस बढ़ा हैं। वो कहती हैं कि राम मंदिर के लिए बलिदान ना दिए जाते तो आज प्रयागराज के सुरक्षित और व्यवस्थित महाकुंभ में आधा भारत ना इकठ्ठा हो पाता।

अम्बेडकरनगर के एक विद्यालय के शिक्षक शीलचंद का मानना है कि राममंदिर आंदोलन की कुर्बानियों से ना केवल राम लला टाट से भव्य और दिव्य मंदिर में विराजमान हुए बल्कि भारत की सांस्कृतिक चेतना ने हमे शक्तिशाली बनाया।

फिल्म और टीवी कार्यक्रमों के निर्माता निर्देशक सुनील बत्ता का मानना हैं कि पहले की सरकारों में हिन्दू समाज के धार्मिक आयोजन बाधित किए जाते थे। इस तरह से व्यवस्थित और सुरक्षित महाकुम्भ का आयोजन योगी सरकार के बिना संभव नहीं था। श्री बत्ता कहते हैं कि मौनी अमावस्या पर अमृत स्नान में पितरों को तर्पण में कारसेवकों को सम्मानित करने का आह्वान किया जाना स्वागत योग और सराहनीय है।

प्रयागराज महाकुंभ आए लखनऊ के एडवोकेट संजय पांडेय कहते हैं कि जातियों को बांट कर हिन्दुओं को कमजोर करने की राजनीतिक साज़िश को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विफल कर दिया है। योगी-मोदी राज में ही इस तरह के भव्य, सुरक्षित और एतिहासिक महाकुंभ के आयोजन हो सकते हैं। ये शुभ बेला हिन्दू चेतना से प्राप्त हुई है। जिसका श्रेय राम जन्म भूमि आंदोलन और दिवंगत कारसेवकों को जाता है। संजय कहते हैं कि हर धार्मिक अनुष्ठान और धार्मिक आंदोलन में कारसेवकों की याद आना स्वाभाविक है।


पत्रकार और शौधकर्ता अजय शुक्ल महाकुंभ को प्रयागराज के विकास से भी जोड़ते हैं। कहते हैं कि जहां धर्म है वहां विकास, उन्नति, प्रगति, समृद्धि है। काशी हो मथुरा या अयोध्या हो,ऐसे पवित्र स्थलों का जितना रखरखाव होगा उतना आर्थिक विकास बढ़ेगा। योगी सरकार ने तीर्थ स्थलों का कायाकल्प कर पर्यटकों को आकर्षित किया हैं। राज्स्व तेजी से बढ़ रहा है। स्वरोजगार बढ़ने से लेकर व्यापारिक दृष्टि से आस्था के सम्मान ने विकास के द्वार खोले हैं।

महाकुंभ जैसे महाआयोजन में हिन्दुओं की रिकार्ड तोड़ तादाद इतिहास रच रही है। बिना किसी भय के बेहतर सुरक्षा व्यवस्था,शांति और सौहार्द के साथ लोग भारी संख्या में अपने धार्मिक अनुष्ठानों में सम्मिलित हो रहे हैं। महाकुंभ हिन्दू समाज को महाशक्ति बनने की यात्रा का मील का पत्थर साबित हो रहा है।

( लेखक पत्रकार हैं ।)



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